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Published : Jan 4, 2021, 6:40 PM IST

Updated : Jan 4, 2021, 7:55 PM IST

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श्रीनगर मुठभेड़ : मारे गए युवकों के परिवारों ने किया प्रदर्शन, शव सौंपने की मांग

जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में गत 31 दिसंबर को एनकाउंटर में मारे गए आतंकियों के परिवारों ने अपने बेटों के शवों को सौंपने की मांग की है. आज आतंकी के परिवार ने श्रीनगर में विरोध प्रदर्शन किया. परिवार का कहना है कि उनका बेटा निर्दोष था, आतंकवाद से उसका जुड़ाव नहीं था.

श्रीनगर मुठभेड़
श्रीनगर मुठभेड़

श्रीनगर : जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में एनकाउंटर में मारे गए एक युवक के परिवार ने विरोध दर्ज कराया है और अपने बेटे के शव की मांग की है. बता दें कि 31 दिसंबर को श्रीनगर के लावापोरा में सुरक्षा बलों ने एनकाउंटर में तीन आतंकवादियों को मार गिराया था. जिसमें 24 वर्षीय एजाज मकबूल गनई पुलवामा जिले के पुत्रिगम, 22 वर्षीय जुबैर अहमद लोन शोपियां जिले के तुर्कवांगम और 16 वर्षीय अतहर मुश्ताक वानी पुलवामा जिले के बेल्लाव गांव का रहने वाला था.

श्रीनगर मुठभेड़ में मारे गए युवकों के परिवारों ने किया प्रदर्शन

बर्फबारी के बीच अतहर मुश्ताक वानी का परिवार दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले से श्रीनगर आया है. अतहर के चाचा मुहम्मद शफी वानी ने कहा, 'हम इंसाफ चाहते हैं. हमारा बेटा निर्दोष था. हम उसके शव की मांग करते हैं ताकि हम उसे अपने पैतृक कब्रिस्तान में दफन कर सकें. उसके पिता दफन की प्रक्रिया में शामिल होने के लिए कैसे 120 किलोमीटर की यात्रा कर सकते हैं.'

16 वर्षीय अतहर के पिता मुश्ताक अहमद वानी ने कहा, 'उन्होंने मुझसे सब कुछ छीन लिया है. अब मेरे पास कुछ भी नहीं बचा है. मुझे भी मुठभेड़ में मार दो और मुझे भी उनके साथ दफना दो.'

भारतीय सेना की किलो फोर्स (Kilo Force) के जीओसी मेजर जनरल एचएस साही ने बीते बुधवार को कहा था कि मुठभेड़ में मारे गए तीनों युवक आतंकवादी थे, जो श्रीनगर में सुरक्षा बलों पर हमले की योजना बना रहे थे.

लेकिन उनके परिवारों का कहना है कि उनके बेटे आतंकवादियों से नहीं जुड़े थे. उनका कहना है कि उनके बेटों को श्रीनगर में फर्जी मुठभेड़ में मारा गया है.

पुलिस ने भी एक बयान में कहा था कि मारे गए युवक आतंकवादी सूची में नहीं थे और उन्होंने आतंकवादियों को लॉजिस्टिक सहायता प्रदान की थी.

परिवारों के विरोध प्रदर्शन में शामिल सिख सामाजिक कार्यकर्ता अंगत सिंह ने कहा कि यदि मारे गए तीनों युवक आतंकी गतिविधियों में शामिल थे, तो पुलिस को यह साबित करना चाहिए. पुलिस किसी मामले में अदालत, जज और जूरी नहीं बन सकती है.

उन्होंने कहा कि शवों को हासिल करना परिवारों का अधिकार है, जो मानवाधिकार कानूनों में स्पष्ट रूप से वर्णित है. पुलिस शवों को सौंपने से क्यों डरती है.

इस बीच, पीडीपी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने परिवारों की मांग का समर्थन किया है और उपराज्यपाल से हस्तक्षेप करने और तीनों युवकों के शवों को उनके शोक संतप्त परिवारों को सौंपने का आग्रह किया है.

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मुफ्ती ने कहा, 'इस तरह की रणनीति से मदद नहीं मिलेगी और यह उस खाई को और गहरी करेगा, जो पहले से ही कश्मीर के लोगों और नई दिल्ली के बीच व्यापक रूप से गहरी बनी हुई है. नई दिल्ली कब तक बंदूक की नोंक पर कश्मीर के लोगों का दमन करेगी और आप कब तक लोगों को बंधक बनाए रखेंगे. शोक संतप्त परिवारों को शवों को नहीं सौंपना धर्म और मानवता के खिलाफ है.'

नेशनल कॉन्फ्रेंस उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कहा कि उनकी पार्टी के सांसद मसूदी हसनैन ने हाल ही में इस बारे में उपराज्यपाल (एलजी) से बात की थी, एलजी ने इस एनकाउंटर के लिए निष्पक्ष और तेज जांच का वादा किया है. हमें उम्मीद है कि एलजी युवकों के परिवारों को उनके शवों को सौंपने का आदेश देंगे.

उमर ने एक अन्य ट्वीट में कहा कि यह बहुत जरूरी है कि इस मुठभेड़ की जांच जल्द से जल्द पूरी हो. केवल एक निष्पक्ष और पारदर्शी जांच, जो जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा द्वारा वादा किया गया है, उन परिवारों को संतुष्ट करेगी, जिन्होंने अपने बेटों को खो दिया है. जिनका कहना है कि वे निर्दोष थे.

Last Updated : Jan 4, 2021, 7:55 PM IST

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