गोरखपुर: 12 अगस्त यानी की शनिवार को आसमान में एक अद्भुत नजारा देखने को मिलेगा. रात में टूटते हुए तारों की घटना घटेगी, जो अंतरिक्ष में रुचि रखने वाले अंतरिक्ष प्रेमियों को रोमांच का अनुभव कराएगी. इसके साथ टूटते हुए तारे देखकर विश यानी इच्छा मांगने वालों के लिए विशेष दिन होगा. क्योंकि टूटते हुए तारे काफी देर तक आसमान में दिखेंगे.
असल में नहीं टूटता है ताराः वीर बहादुर सिंह नक्षत्र शाला गोरखपुर के खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि सौर मंडल के ग्रहों के बीच के अंतरिक्ष में पत्थर और लोहे के अनगिनत छोटे छोटे कंकड़ या कण मौजूद हैं. ऐसा कोई कण जब पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण में तीव्र वेग से आता है तो पृथ्वी के वायुमंडलीय घर्षण के कारण रात में आकाश क्षण भर के लिए चमक उठता है. इसी को उल्का या टूटता तारा कहा जाता है. खगोलविद ने बताया कि उल्का वृष्टि का संबंध धूमकेतुओं से है. धूमकेतु धूलिकणों और बर्फ से बनी गैसों के पिंड होते हैं. ये लंबी दीर्घ वृत्ताकार कक्षाओं में सूर्य की परिक्रमा करते हैं. इनसे निकले हुए कण इनकी कक्षाओं में चक्कर लगाते रहते हैं.
आसमान में करीब 100 उल्का दिखेंगेःखगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि जब पृथ्वी किसी धूमकेतु के यात्रापथ से गुजरती है. तब धूमकेतु के वे कण पृथ्वी के वायुमंडल में घर्षण के कारण जलने लगते हैं और उल्काओं के रूप में चकमने लगते हैं. तब आकाश में उल्का वृष्टि का आकर्षक नजारा दिखाई देता है. इसी को खगोल विज्ञान की भाषा में मेटियर शॉवर या उल्का वृष्टि या केतु वृष्टि और आम बोल चाल की भाषा में इसे ही टूटते हुए तारों की संज्ञा दी जाती है. इस बार की उल्का वृष्टि में आप एक घण्टे में कम से कम 60 से लेकर 100 उल्काओं का दीदार कर सकते हैं. जो कि पृथ्वी के धरातल से लगभग 100 किलोमीटर ऊपर और 60 किलो मीटर प्रति सेकंड की गति से लंबी पूंछ वाली चमकती हुई उल्काएं दिखाई देंगी.