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क्या सही में तारा टूटकर गिरता है नीचे, जानने के लिए कल आसमान में देखें

अंतरिक्ष में रुचि रखने वाले अंतरिक्ष प्रेमियों के लिए 12 अगस्त की रात में एक रोमांचक खगोलिए घटना होने वाली है. शनिवार की रात में आसमान से अनगिनत टूटते हुए तारे दिखाई देंगे. इस खबर में जानिए क्या सही में तारा टूटकर गिरता है.

Falling stars will be seen in sky
Falling stars will be seen in sky

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Published : Aug 11, 2023, 4:51 PM IST

गोरखपुर: 12 अगस्त यानी की शनिवार को आसमान में एक अद्भुत नजारा देखने को मिलेगा. रात में टूटते हुए तारों की घटना घटेगी, जो अंतरिक्ष में रुचि रखने वाले अंतरिक्ष प्रेमियों को रोमांच का अनुभव कराएगी. इसके साथ टूटते हुए तारे देखकर विश यानी इच्छा मांगने वालों के लिए विशेष दिन होगा. क्योंकि टूटते हुए तारे काफी देर तक आसमान में दिखेंगे.

असल में नहीं टूटता है ताराः वीर बहादुर सिंह नक्षत्र शाला गोरखपुर के खगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि सौर मंडल के ग्रहों के बीच के अंतरिक्ष में पत्थर और लोहे के अनगिनत छोटे छोटे कंकड़ या कण मौजूद हैं. ऐसा कोई कण जब पृथ्वी के गुरूत्वाकर्षण में तीव्र वेग से आता है तो पृथ्वी के वायुमंडलीय घर्षण के कारण रात में आकाश क्षण भर के लिए चमक उठता है. इसी को उल्का या टूटता तारा कहा जाता है. खगोलविद ने बताया कि उल्का वृष्टि का संबंध धूमकेतुओं से है. धूमकेतु धूलिकणों और बर्फ से बनी गैसों के पिंड होते हैं. ये लंबी दीर्घ वृत्ताकार कक्षाओं में सूर्य की परिक्रमा करते हैं. इनसे निकले हुए कण इनकी कक्षाओं में चक्कर लगाते रहते हैं.

आसमान में करीब 100 उल्का दिखेंगेःखगोलविद अमर पाल सिंह ने बताया कि जब पृथ्वी किसी धूमकेतु के यात्रापथ से गुजरती है. तब धूमकेतु के वे कण पृथ्वी के वायुमंडल में घर्षण के कारण जलने लगते हैं और उल्काओं के रूप में चकमने लगते हैं. तब आकाश में उल्का वृष्टि का आकर्षक नजारा दिखाई देता है. इसी को खगोल विज्ञान की भाषा में मेटियर शॉवर या उल्का वृष्टि या केतु वृष्टि और आम बोल चाल की भाषा में इसे ही टूटते हुए तारों की संज्ञा दी जाती है. इस बार की उल्का वृष्टि में आप एक घण्टे में कम से कम 60 से लेकर 100 उल्काओं का दीदार कर सकते हैं. जो कि पृथ्वी के धरातल से लगभग 100 किलोमीटर ऊपर और 60 किलो मीटर प्रति सेकंड की गति से लंबी पूंछ वाली चमकती हुई उल्काएं दिखाई देंगी.

आकाश में एक बिंदु से आती हुई दिखाई देगीः अमर पाल सिंह ने बताया कि इस बार की उल्का वृष्टि का कारण है स्विफ्ट टटल धूमकेतु, इसे 109पी भी कहा जाता है. अगस्त में होने वाली उल्का वृष्टि/टूटते हुए तारों को नाम दिया जाता है. देखने पर ये आकाश में एक बिंदु से आती हुई दिखाई देती हैं. जिसे रेडियंट प्वाइंट कहा जाता है, जो कि पर्सीड तारामंडल की तरफ से शुरू होता है. वैसे तो यह आकाश में हर तरफ दिखाईं देंगी. इसके साथ ही इसे देखने के लिए किसी भी अतिरिक्त टेलीस्कोपिक उपकरण की आवश्यकता नहीं होगी. आप सीधे तौर से अपनी साधारण आंखों से रात के साफ आकाश में इसे आसानी से अपने घरों से देख सकते हैं.

रात में 2 बजे से भोर तक अच्छे से दिखेगाःइसे देखने के लिए किसी साफ़ जगह पर जाकर जहां ज्यादा लाइट पॉल्यूशन न हो आसानी से देख सकते हैं. शाम होते ही उल्का पिंडों/ टूटते हुए तारों का दीदार होना शुरु हो जाएगा. लेकिन रात में 2 बजे से भोर तक अपने चरम सीमा पर दिखाई देगा. क्योंकि इस दौरान रात में चंद्रमा भी केवल 10 प्रतिशत ही चमक लिए दिखाई देगा. इस कारण उल्का वृष्टि या टूटते हुए तारों को आसानी से देख सकते हैं.

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