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प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक के सिक्कों का अनोखा संग्रह, आप भी देखें

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Published : Apr 25, 2022, 7:03 PM IST

Updated : Apr 25, 2022, 7:53 PM IST

अब तक आपने लोगों के कई शौक के बारे में पढ़ा और देखा होगा. कोई बैट का कलेक्शन करता है तो कोई कपड़ों का तो कोई गानों का कलेक्शन करता है, लेकिन बिहार के फैजी युसूफ (Faizi Yusuf of patna) को सिक्कों के संग्रह करने का शौक है. क्या है उनका ये शौक आगे पढ़ें..

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डिजाइन फोटो

पटना: बिहार के पटना के सैयद रूमानुल फैजी युसूफ ( Syed Rumanul Faizi Yusuf Rare coin collector of bihar ) का शौक उनका जुनून है. उनका यही जुनून उन्हें दूसरों से अलग बनाता है. उनके पास भारत की गुलामी से लेकर आजादी के बाद तक केसिक्के(Rare Collection of Coins In patna) मौजूद हैं. इतना ही नहीं युसूफ के पास कई देशों के भी सिक्के और करेंसी का खजाना है. इस खजाने को देखने और इसके बारे में जानने के लिए लोग दूर-दूर से उनके पास आ रहे हैं. युसूफ भी भारत के प्राचीनकाल के इतिहास के बारे में बड़े ही चाव से लोगों को समझाते और बताते हैं.

ऐसा कलेक्शन देख हैरान रह जाएंगे आप: इतिहास में हम सबने गुप्त साम्राज्य, चालुक्य, हुण, पाल, पद्मावती, होशाला के अलावा कई और साम्राज्य के बारे में पढ़ा है. यह भी पढ़ा है कि इनके शासन काल में कैसी व्यवस्था होती थी. लेकिन हम में से शायद ही किसी ने इन सभी साम्राज्य में उपयोग होने वाली करेंसियों को देखा हो लेकिन राजधानी के पटना सिटी निवासी व दूरदर्शन के डिप्टी डायरेक्टर रह चुके सैयद रूमानुल फैजी युसूफ के पास दुर्लभ सिक्कों व करेंसी के ऐसे कलेक्शन हैं, जिससे देखने वाला दंग हो जाता है. रूमानुल के पास मुगल काल से लेकर शिवाजी व ब्रिटिश काल के भी सिक्के हैं.

सिक्कों के संग्रह पर देखिए पूरी रिपोर्ट

भाई से शुरू हुआ शौक: इन सबके कलेक्शन के बारे में शुरू हुए शौक के बारे में युसूफ कहते हैं, मेरे बड़े भाई ऐसे सिक्कों को जमा करते थे. एक बार टॉफी खरीदने के लिए मैंने एक सिक्का ले लिया था, जिसके बाद उन्होंने गुस्से में आकर वह सारे सिक्के मुझे दे दिए. बस वहीं से मेरा इन सिक्कों को एकत्र करने का शौक शुरू हो गया. जॉब के सिलसिले में मेरा तबादला देश के कई शहरों में हुआ. जहां भी रहा, वहां इस शौक को पूरा करते रहा. जब शिलांग में पोस्टिंग हुई तो वहां पर काफी वक्त मिला. वहां पर अपने कलेक्शन को पूरी तरह से एकत्र करने में बहुत मदद मिली.

"मैं कलेक्शन करने में 50 साल से लगा हूं. कुछ घर में ही सिक्के मिले तो कुछ नोट बदलने वाले लोगों से कलेक्ट किया. कुछ सिक्के दोस्तों ने दिये. ऑक्शन हाउस से भी मैं जुड़ा हुआ हूं. फेसबुक से भी कलेक्शन में मदद मिलती है. जहां पता चलता है वहां मैं सिक्का कलेक्ट करने पहुंच जाता हूं. फकीर के पास भी अगर दुर्लभ सिक्का दिखता था तो उससे भी पैसे देकर मैं दुर्लभ सिक्के लेता हूं. मेरे पास कौड़ी, फूटी कौड़ी सब है."-सैयद रूमानुल फैजी युसूफ, संग्रहकर्ता

सिक्कों का संग्रह

हजारों की संख्या में सिक्के: युसूफ के अनुसार उनके पास आज की तारीख में छह हजार से भी ज्यादा सिक्के और नोट हैं. होशाला साम्राज्य की सोने का सिक्का फनम से लेकर महमूद गजनबी, चौहान, मुहम्मद बिन सैम, इल्तुतमिश, गुलाम वंश, तुगलक वंश में गयासुद्दीन तुगलक, फिरोजशाह तुगलक, लोदी वंश में सिकंदर शाह लोदी, बहलोल लोदी, शेरशाह सूरी सल्तनत की चांदी की बनी करेंसी के अलावा बीजापुर, गोलकुंडा, कश्मीर, मालवा व बहमनी साम्राज्य के शासनकाल के सिक्कों का शानदार कलेक्शन है. मुगल एंपायर में युसूफ के पास हुमांयू के बाद से शुरू होकर अकबर, जहांगीर, शाहजहां इसके बाद फरूखसियर, मुहम्मद शाह, शाह आलम के सिक्के, अकबर का कॉपर का क्वाइन भी है.

अलग-अलग डायनेस्टी के भी क्वाइन:युसूफ के पास देश के अलग-अलग राज्यों जैसे कच्छ, नवानगर, मैसूर के टीपू सुल्तान, मराठा के शिवाजी, बांसवाडा, दतिया, बीकानेर स्टेट, जयपुर, झबुआ, ग्वालियर, इंदौर, जूनागढ़, कूच बिहार, अलवर व अवध स्टेट के अलावा ब्रिटिश इंडिया के 1835 से लेकर साल 1947 तक के सभी राजाओं के नाम पर बने सिक्के भी संग्रह के रूप में हैं.

दुनिया के दूसरे देशों की भी करेंसी:युसूफ बताते हैं, उनके पास दुनिया के तमाम बड़े छोटे करीब दो सौ से ज्यादा देशों के नोट भी संग्रह के रूप में रखे हुए हैं. इनमें कई ऐसे नोट हैं जिनका प्रचलन बंद हो चुका है. इसके अलावा बनाने के दौरान किसी त्रुटि के शिकार बने क्वाइन व करेंसी भी हैं.

पुराने दस्तावेज भी संग्रह में शामिल:युसूफ के पास न केवल क्वाइन या करेंसी है बल्कि इनके पास कई पुराने दस्तावेज भी संग्रह के रूप में है. इनमें तत्कालीन प्रिंस ऑफ वेल्स मेडिकल कॉलेज [वर्तमान में पीएमसीएच] के उद्घाटन के वक्त का निमंत्रण पत्र व बख्तियारपुर लाइट रेलवे के ऑरिजनल कागजात भी हैं. युसूफ के दादाजी सैयद मोहम्मद युसूफ तत्कालीन मार्टिन कंपनी के डायरेक्टर थे. तब पटना जिला पर्षद द्वारा बख्तिायरपुर से बिहारशरीफ तक चलाई जाने वाली रेल के लिए 20 सितंबर1901 में समझौता हुआ था. तब बिहार के तत्कालीन प्रीमियर मोहम्मद युनूस ने इसके लिए 500 रूपये का चेक भी दिया था. ये सारे दस्तावेज भी युसूफ के बाद सुरक्षित संग्रह कर के रखा हुआ है.

सिक्कों का संग्रह

कई जगहों से एकत्र किया संग्रह:युसूफ बताते हैं, इन सारे चीजों को कई तरीके से एकत्र किया हूं. कई बार एक्सचेंज कर के तो कई बार ऑक्शन के जरिये इनको एकत्र कर पाया हूं. जानकारी मिलती है कि अगर किसी के पास कोई एंटीक पीस है तो उनसे मांगने के लिए गुहार भी लगा लेता हूं. वह कहते हैं, ऐसी चीजों को संग्रह करना मेरे लिए जुनून है. जबतक संभव होगा, संग्रह करता रहूंगा.

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Last Updated : Apr 25, 2022, 7:53 PM IST

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