हैदराबाद : भारत का पहला स्वदेशी कोरोना टीका कोवैक्सिन (COVAXIN) भारत बायोटेक द्वारा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) के सहयोग से विकसित किया गया है. इस वैक्सीन को भारत बायोटेक के बीएसएल-3 (बायो-सेफ्टी लेवल 3) में विकसित और निर्मित किया गया है.
कोवैक्सिन के पहले और दूसरे चरण का नैदानिक परीक्षण सफल रहा है. भारत बायोटेक को वैक्सीन के तीसरे चरण के नैदानिक परीक्षण के लिए डीसीजीआई से मंजूरी मिल गई है. कंपनी अपने कोरोना टीके का देशभर में 25 से अधिक केंद्रों में 26,000 प्रतिभागियों में नैदानिक परीक्षण कर रही है.
क्या है 'कोवैक्सिन' और कैसे विकसित किया गया
कोवैक्सिन टीका भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड (बीबीआईएल) ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) के सहयोग से विकसित किया है.
कोविड-19 स्ट्रेन (प्रजनन) को पुणे स्थित एनआईवी में अलग किया गया और भारत बायोटेक में स्थानांतरित किया गया.
हैदराबाद के जिनोम घाटी में स्थित भारत बायोटेक के हाई कन्टेंमेंट फैसिलिटी बीएसएल-3 (बायो-सेफ्टी लेवल 3) में कोरोना टीका विकसित और निर्मित किया गया.
भारत बायोटेक दुनिया की एकमात्र वैक्सीन निर्माता कंपनी है, जिसके पास बीएसएल-3 प्रोडक्शन फैसिलिटी है.
अमेरिकी कंपनी के साथ सहकार्यता
- भारत बायोटेक कंपनी वर्तमान में दो अन्य टीकों के निर्माण पर कार्य कर रही है. जिसमें कोरोफ्लू (CoroFlu) शामिल है, जिसका विकास फ्लूजेन इंक (FluGen Inc.) और विस्कॉन्सिन-मैडिसन विश्वविद्यालय के सहयोग से किया जा रहा है.
- इसके अलावा भारत बायोटेक ने पेंसिल्वेनिया के जेफरसन वैक्सीन सेंटर (जेवीसी) के निदेशक मैथिस शनेल (Matthis Schnell) के साथ कोरोनो वायरस प्रोटीन के लिए एक निष्क्रिय रेबीज वैक्सीन व्हीकल विकसित किया है.
- 20 मई को, भारत बायोटेक ने जेवीसी के साथ अपनी सहकार्यता की घोषणा की थी. साथ ही क्लीनिकल परीक्षण करने और अमेरिका, यूरोप और जापान को छोड़कर 80 देशों में टीके का उत्पादन और वितरित करने के लिए लाइसेंस प्राप्त किया था. सात अप्रैल को, जेवीसी ने कोरावैक्स (Coravax) नाम से वैक्सीन बनाने की घोषणा की थी.
- कोरावैक्स कोरोन वायरस के स्पाइक प्रोटीन को ले जाने के लिए एक निष्क्रिय रेबीज वैक्सीन का उपयोग करता है. स्पाइक प्रोटीन एक होस्ट सेल से जुड़ता है और संक्रमण का कारण बनता है, इसलिए विशेषज्ञों को उम्मीद थी कि यह टीका शरीर के हिस्से पर एक अच्छी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को सक्रिय करेगा.
- शनेल ने जानवरों पर प्रारंभिक परीक्षणों के बाद इस प्रतिक्रिया की पुष्टि की. शनेल ने कहा कि जेवीसी को अनुवर्ती अध्ययन पूरा करने के लिए एक और महीने की आवश्यकता होगी.
- रेबीज वैक्सीन का उपयोग कर कोरोन वायरस के लिए वैक्सीन विकसित करना एक ऐसी तकनीक है, जिसे शोधकर्ताओं ने MERS और SARS वायरस के खिलाफ भी इस्तेमाल किया है. यह संभव है कि भारत बायोटेक अपने टीके कोवैक्सिन के लिए इस तकनीक का उपयोग करे.
- 2019 की शुरुआत में, भारत बायोटेक ने ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन से चिरॉन बेहरिंग वैक्सीन प्राइवेट लि. का अधिग्रहण किया था और रेबीज वैक्सीन चिरोराब (Chirorab) के उत्पादन को बढ़ाकर 15 मिलियन यूनिट प्रतिवर्ष कर दिया गया. इसलिए कंपनी पहले से ही इस टीके को बड़े पैमाने पर उत्पादन करने की क्षमता रखती है.