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Nuh Violence : फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट में जानिए किसे ठहराया गया जिम्मेदार?, क्या कमियां गिनाईं - Campaign Against State Repression

हरियाणा के नूंह में 31 जुलाई को हुई नूंह के सिलसिले में एक फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट सामने आई है. जानिए कैंपेन अगेंस्ट स्टेट की फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट में हिंसा के लिए किसे जिम्मेदार ठहराया गया है. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता सौरभ शर्मा की रिपोर्ट.

Nuh Violence
नूंह हिंसा

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 31, 2023, 8:26 PM IST

नई दिल्ली :कैंपेन अगेंस्ट स्टेट रिप्रेशन (CASR) की एक फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट में हरियाणा के नूंह जिले में हुई खूनी हिंसा (Nuh Violence) के लिए विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी), बजरंग दल और स्वघोषित गोरक्षक मोनू मानेसर और अन्य जैसे दक्षिणपंथी संगठनों को दोषी ठहराया गया है.

गुरुवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि 31 जुलाई को हुई झड़पों में कम से कम छह लोग मारे गए और दर्जनों घायल हो गए, जिसके बाद स्थानीय संरचनाओं पर बुलडोज़र चलाने की घटनाएं हुईं, जिसे उच्च न्यायालय के हस्तक्षेप के बाद रोक दिया गया.

31 जुलाई की घटना क्यों हुई, इस पर रिपोर्ट में कहा गया है, 'मुख्य रूप से, नूंह के निवासी इस हिंसा का कारण यात्रा के दौरान हिंदुत्व ब्रिगेड से जुड़े उत्तेजक आचरण, बयानों और सोशल मीडिया सामग्री को मानते हैं. जांच टीम को कई वीडियो और बयानों का सामना करना पड़ा, जिनमें बजरंग दल के स्थानीय नेता बिट्टू बजरंगी की भड़काऊ टिप्पणियां भी शामिल थीं.'

इसमें कहा गया है कि 'इन बयानों में मेवात के लोगों की ओर निर्देशित उद्घोषणाएं शामिल थीं, जिसमें मांग की गई थी कि वे 'अपने जीजा के लिए मालाएं' लेकर तैयार रहें, जिसका तात्पर्य मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न की स्पष्ट धमकी है.'

'इसके अलावा, अलवर के नासिर और जुनैद की हत्या के आरोपी कथित भगोड़े मोहित यादव उर्फ ​​मोनू मानेसर ने 31 जुलाई को सार्वजनिक रूप से यात्रा में शामिल होने के अपने इरादे की घोषणा की.'

कुख्यात मोनू मानेसर पहले भी गोरक्षा की आड़ में कई मुस्लिम विरोधी हेट क्राइम से जुड़ा रहा है और सोशल मीडिया पर बंदूकें लहराते हुए वीडियो भी सामने आया है, वह फरार है.

फैक्ट फाइंडिंग टीम से बात करने वाले नूंह के कई मूल निवासियों ने यात्रा को दोषी ठहराया, जो 'दंगों को भड़काने के पूर्व-निर्धारित प्रयास के रूप में आयोजित की गई थी.' नूंह में सांप्रदायिक घटनाओं के बाद छापे, अवैध हिरासत और गिरफ्तारियां, संरचनाओं पर बुलडोजर चलाने की कई घटनाएं हुईं, जिन्हें इस फैक्ट फाइंडिंग रिपोर्ट में उजागर किया गया.

टीम का आकलन यह भी दावा करता है कि जिला प्रशासन पूरी तरह से मुस्लिम समुदाय पर ध्यान केंद्रित करते हुए मनमाने और सिलेक्टिव टारगेटिंग के माध्यम से जानबूझकर कदाचार में लगा हुआ है.

इसमें कहा गया है कि 'यह घर पर छापेमारी, असंतुलित गिरफ्तारियों की भेदभावपूर्ण प्रकृति और एक अन्यायपूर्ण वांछित/संदिग्ध सूची की प्रस्तुति में प्रकट होता है जो मुस्लिम समुदाय को अकेले उकसाने वाले और गलत काम करने वाले के रूप में चित्रित करता है.'

रिपोर्ट में कहा गया है कि 'टीम ने लगभग हर मामले में गैरकानूनी हिरासत के कई उदाहरणों का दस्तावेजीकरण किया है, साथ ही नाबालिगों को पकड़े जाने की चिंताजनक रिपोर्टें भी दर्ज की हैं. इसके अतिरिक्त, इन छापों के दौरान मुस्लिम महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा के मामलों का दस्तावेजीकरण किया गया है. पुलिस और जिला प्रशासन छापे, गिरफ्तारी और महिलाओं और नाबालिगों के उपचार से संबंधित स्थापित कानूनी मानदंडों और प्रोटोकॉल से गंभीर रूप से भटक गए हैं.'

रिपोर्ट में नूंह हिंसा मामले में दर्ज विभिन्न एफआईआर के संबंध में पकड़े गए सभी 286 लोगों को रिहा करने और मोनू मानेसर और गुरुग्राम में मौलवी साद की हत्या के लिए जिम्मेदार सभी लोगों को पकड़ने की मांग की गई है.

इसमें वीएचपी-बजरंग दल पर प्रतिबंध लगाने, विध्वंस से प्रभावित लोगों को वित्तीय मुआवजा देने और एक सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश के नेतृत्व में और लोकतांत्रिक अधिकार संगठनों से बनी एक न्यायसंगत और निष्पक्ष न्यायिक जांच शुरू करने की भी मांग की गई है.

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