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जानें, कैसे भारतीय शूरवीरों ने पूर्वी लद्दाख में तैनाती को बनाया आसान

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Published : Nov 11, 2020, 2:27 PM IST

Updated : Nov 11, 2020, 4:56 PM IST

पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत-चीन के बीच गतिरोध जारी है. सीमा पर हालात बेहतर करने के लिए दोनों देश लगातार सैन्य और राजनयिक स्तर पर वार्ता कर रहे हैं. लेकिन चीनी सैनिकों को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारतीय सेना पूर्वी लद्दाख के दुर्गम क्षेत्रों में मजबूती के साथ तैनात हैं. एलएसी पर इस समय तापमान माइनस 20 से ज्यादा गिर जाता है और यहां विषम परिस्थितियां हैं, इसके बावजूद भारतीय सैनिक सीमा पर तैनात हैं और इन हालातों को आसान बना दिया है. सेना के तैनाती पैटर्न को समझने के लिए पढ़ें वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट...

Indian soldiers
Indian soldiers

नई दिल्ली :भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर अब भी तनाव बना हुआ है. चीन के मंसूबों पर पानी फेरने और चीनी सैनिकों से निबटने के लिए भारतीय सेना के जवान पूर्वी लद्दाख में एलएसी के संवेदनशील इलाकों में तैनात हैं. भारतीय जवानों ने ऑक्सीजन की कमी वाले अत्यधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में इस समय अपनी तैनाती को बेहद आसान बना दिया है. सीमा पर तैनात हजारों भारतीय सैनिकों ने अपने जोश, जुनून और जज्बे से इस तैनाती को पिकनिक के जैसा बना दिया है.

कैसे होती है तैनाती
जवानों की तैनाती की बात की जाए तो भारतीय थल सेना की सभी 350 यूनिट में से प्रत्येक के लिए उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों जैसे सियाचिन ग्लेशियर और उत्तर-सिक्किम में तैनाती आवश्यक मानी जाती है. हालांकि राष्ट्रीय राइफल्स, असम राइफल्स और विशेष बलों की 70 यूनिट को इससे बाहर रखा जाता है. इस साल, सियाचिन में तैनात सैनिकों की संख्या जो कि पूर्वी लद्दाख में कम हो गई है, उनकी संख्या उन यूनिटों से भी अधिक है जिनकी अगली तैनाती यहां पर की जानी है. तैनाती पैटर्न को बेहतर तरीके से समझने वाले एक सैन्य अधिकारी ने बताया कि अप्रैल के आखिरी में भारत-चीन के बीच सीमा पर उपजे तनाव के बाद से सेना की कई यूनिटों को सियाचिन से पूर्वी लद्दाख में शिफ्ट किया गया है और अब अधिकांश सैनिक एलएसी पर तैनात हैं.

लद्दाख में तैनात भारतीय सैनिक.

दो साल की तैनाती और ट्रेनिंग
थल सेना की एक यूनिट में करीब एक हजार सैनिक होते हैं, जिनमें से प्रत्येक को लगभग दो साल के लिए लद्दाख क्षेत्र में तैनात किया जाता है, जिसमें से एक साल सियाचिन और दूसरा साल लद्दाख में तैनाती होती है. पहले वर्ष में सियाचिन में तैनाती के दौरान हर जवान को 12 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित सियाचिन बैटल स्कूल में एक चुनौतीपूर्ण और बेहद कठोर प्रशिक्षण दिया जाता है.

लद्दाख में तैनात भारतीय सैनिक.

सियाचिन के बाद पूर्वी लद्दाख
नाम न छापने की शर्त पर अधिकारी ने बताया कि सियाचिन में पहले वर्ष की तैनाती के दौरान जरूरी अभ्यास के बाद सैनिकों को लगातार 90 दिनों के लिए उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों में तैनात किया जाता है. 18 से 25 हजार फीट की ऊंचाई वाले इन क्षेत्रों का तापमान माइनस 50 डिग्री तक गिर जाता है और चौबीसों घंटे बर्फबारी होती रहती है. उन्होंने बताया कि चीनी सैनिकों को इसका अनुभव नहीं होता है. सियाचिन में तैनाती के बाद यूनिट को 12 से 18 हजार फीट की ऊंचाई पर पूर्वी लद्दाख में तैनात किया जाता है.

प्रशिक्षण कार्यक्रम के दौरान भारतीय सेना के जवान

लद्दाख में तैनाती 'पिकनिक'
यही वजह है कि सियाचिन में प्रशिक्षण और तैनाती के बाद कई हजार फीट नीचे पूर्वी लद्दाख में तैनाती जवानों के लिए पिकनिक से कम नहीं होती है. यहां पर हिमस्खलन, बर्फबारी का खतरा भी नहीं होता है. पाकिस्तान से तनाव के बाद पिछले 36 वर्षों से सियाचिन में भारतीय जवान तैनात हैं.

लद्दाख में तैनात भारतीय सैनिक.

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कब होती है तैनाती
किसी भी यूनिट की सियाचिन से लद्दाख में तैनाती मार्च से अक्टूबर के दौरान आठ महीनों में की जाती है. सर्दियों के महीनों में भारी बर्फ के कारण ग्लेशियर काट दिया जाता है. बता दें, दोनों देशों के बीच सीमा विवाद के कारण इस समय पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन के एक लाख से अधिक सैनिक तैनाती हैं. चीनी सैनिकों की तैनाती के बाद भारतीय सेना ने भी बड़े स्तर पर अपने जवानों को एलएसी पर तैनात किया है.

Last Updated : Nov 11, 2020, 4:56 PM IST

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