नई दिल्ली :भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को लेकर अब भी तनाव बना हुआ है. चीन के मंसूबों पर पानी फेरने और चीनी सैनिकों से निबटने के लिए भारतीय सेना के जवान पूर्वी लद्दाख में एलएसी के संवेदनशील इलाकों में तैनात हैं. भारतीय जवानों ने ऑक्सीजन की कमी वाले अत्यधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में इस समय अपनी तैनाती को बेहद आसान बना दिया है. सीमा पर तैनात हजारों भारतीय सैनिकों ने अपने जोश, जुनून और जज्बे से इस तैनाती को पिकनिक के जैसा बना दिया है.
कैसे होती है तैनाती
जवानों की तैनाती की बात की जाए तो भारतीय थल सेना की सभी 350 यूनिट में से प्रत्येक के लिए उच्च ऊंचाई वाले क्षेत्रों जैसे सियाचिन ग्लेशियर और उत्तर-सिक्किम में तैनाती आवश्यक मानी जाती है. हालांकि राष्ट्रीय राइफल्स, असम राइफल्स और विशेष बलों की 70 यूनिट को इससे बाहर रखा जाता है. इस साल, सियाचिन में तैनात सैनिकों की संख्या जो कि पूर्वी लद्दाख में कम हो गई है, उनकी संख्या उन यूनिटों से भी अधिक है जिनकी अगली तैनाती यहां पर की जानी है. तैनाती पैटर्न को बेहतर तरीके से समझने वाले एक सैन्य अधिकारी ने बताया कि अप्रैल के आखिरी में भारत-चीन के बीच सीमा पर उपजे तनाव के बाद से सेना की कई यूनिटों को सियाचिन से पूर्वी लद्दाख में शिफ्ट किया गया है और अब अधिकांश सैनिक एलएसी पर तैनात हैं.
दो साल की तैनाती और ट्रेनिंग
थल सेना की एक यूनिट में करीब एक हजार सैनिक होते हैं, जिनमें से प्रत्येक को लगभग दो साल के लिए लद्दाख क्षेत्र में तैनात किया जाता है, जिसमें से एक साल सियाचिन और दूसरा साल लद्दाख में तैनाती होती है. पहले वर्ष में सियाचिन में तैनाती के दौरान हर जवान को 12 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित सियाचिन बैटल स्कूल में एक चुनौतीपूर्ण और बेहद कठोर प्रशिक्षण दिया जाता है.