नई दिल्ली : कांग्रेस पार्टी ने यह आरोप लगाया है कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'फेकबुक' बन गया है. कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता पवन खेड़ा ने एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि यह कंपनी फेकबुक बन गई है और इसकी जेपीसी जांच होनी चाहिए.
उन्होंने यह भी कहा कि सब जानने के बावजूद फेसबुक ने अपनी आंतरिक रिपोर्टों के आधार पर आरएसएस और बजरंग दल को खतरनाक संगठन के रूप में नामित क्यों नहीं किया? भारत सरकार सोशल मीडिया सुरक्षा अनुपालन का हवाला देते हुए ट्विटर के खिलाफ बेहद सक्रिय थी, वे अब एक शब्द क्यों नहीं बोल रहे हैं?
कांग्रेस ने कहा कि यह साबित करता है कि कथित फेकबुक और कुछ नहीं बल्कि भारत में शोषित और हाशिए पर पड़े लोगों के मन में कट्टरता, नफरत और भय फैलाने के लिए सत्तारूढ़ शासन और उसके छद्मों द्वारा इस्तेमाल किया जाने वाला एक शातिर उपकरण बन गया है.
कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता पवन खेड़ा का पत्रकार सम्मेलन उन्होंने आरोप लगाया कि भारत के लोगों के प्रति कंपनी का बिल्कुल कठोर रवैया इस तथ्य में परिलक्षित होता है कि वे अपने गलत सूचना बजट का 87 प्रतिशत अंग्रेजी बोलने वाले दर्शकों पर खर्च करते हैं जबकि वे उनकी संख्या केवल 9 प्रतिशत ही है.
कांग्रेस प्रवक्ता ने यह भी कहा कि ऐसा पहली बार नहीं है जब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर खुलासा हुआ है. कांग्रेस प्रवक्ता हालिया खुलासे पर बोल रहे थे, जहां यह आरोप लगाया गया है कि फेसबुक यह अच्छी तरह से जानता है कि वे विशेष रूप से हिंदी और बंगाली में अभद्र भाषा को फिल्टर करने के लिए सुसज्जित नहीं हैं. फेसबुक में काम करने वाले 37 वर्षीय इंजीनियर व्हिसल-ब्लोअर फ्रांसेस हॉगेन द्वारा लीक किए गए शोध दस्तावेजों में यह तथ्य सामने आया है.
कांग्रेस ने कहा कि फिर भी कंपनी ने इस तरह नफरत फैलाने वालों पर कोई निर्णायक कार्रवाई नहीं की. भारत में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के लगभग 370 मिलियन उपयोगकर्ताओं के साथ भारत, फेसबुक का सबसे बड़ा बाजार है.
भारत में अपने व्यवसाय को बनाए रखने के लिए लीक फेसबुक द्वारा एक आंतरिक मूल्यांकन ने सुझाव दिया है कि केवल 0.2 प्रतिशत अभद्र भाषा को हटाया जा रहा है, जो दर्शाता है कि फेसबुक सामग्री के बारे में हानिकारक जागरूकता नहीं थी.
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खेड़ा ने कहा कि सभी को अंखी दास से जुड़ी घटना याद है, जिनसे संसदीय पैनल ने फेसबुक द्वारा नफरत भरे कमेंट्स से निपटने में कथित पूर्वाग्रह पर सवाल किया था. सत्तारूढ़ भाजपा के लिए उनके स्पष्ट समर्थन का विवरण देने वाली अपनी आंतरिक पोस्टिंग सहित उनके इस्तीफे के बावजूद भाजपा-फेसबुक के बीच सौहार्द और गठजोड़ कभी समाप्त नहीं हुआ.
दरअसल, अमेरिकी मीडिया की एक खबर में कहा गया है कि फेसबुक के आंतरिक दस्तावेज बताते हैं कि कंपनी अपने सबसे बड़े बाजार भारत में भ्रामक सूचना, नफरत वाले भाषण और हिंसा पर जश्न से जुड़ी सामग्री की समस्या से संघर्ष कर रही है. इसमें यह उल्लेख भी किया गया है कि सोशल मीडिया के शोधकर्ताओं ने रेखांकित किया है कि ऐसे समूह और पेज हैं जो भ्रामक, भड़काऊ और मुस्लिम विरोधी सामग्री से भरे हुए हैं.
अमेरिकी अखबार 'न्यूयॉर्क टाइम्स' में शनिवार को प्रकाशित खबर के मुताबिक, फेसबुक के शोधकर्ताओं ने फरवरी 2019 में नए उपयोगकर्ता अकाउंट बनाए, ताकि देखा जा सके कि केरल के निवासी के लिए सोशल मीडिया वेबसाइट कैसा दिखता है.