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सोमनाथ से शुरू हुआ मिशन गुजरात: सौराष्ट्र और कच्छ पर BJP की नजर, कांग्रेस को लेकर सतर्क

गुजरात विधानसभा चुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी अभी से पूरा जोर लगा रही है. गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को सोमनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना कर गुजरात मिशन की शुरुआत कर दी है. पीएम मोदी और शाह के बराबर गुजरात दौरे से ये तो तय है कि पार्टी किसी भी तरह से बाकी दलों को हल्के में नहीं लेना चाहती. 'ईटीवी भारत' की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की रिपोर्ट.

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गुजरात में अमित शाह

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Published : Sep 12, 2022, 9:21 PM IST

नई दिल्ली :भाजपा का गढ़ कहे जाने वाले गुजरात में पिछले चुनाव में उसे कांग्रेस ने कड़ी टक्कर दी थी. यह बात भारतीय जनता पार्टी अभी तक भूली नहीं है. यही वजह है कि बीजेपी के चाणक्य माने जाने वाले गृह मंत्री अमित शाह ने सौराष्ट्र में स्थित सोमनाथ के मंदिर में पूजा अर्चना करके गुजरात चुनाव का अधिकारिक बिगुल फूंका है. वैसे भी सौराष्ट्र और कच्छ का क्षेत्र भारतीय जनता पार्टी के लिए हमेशा से कठिन माना जाता रहा है लेकिन इस बार शाह ने सोमनाथ पहुंचकर गुजरात वासियों को एक संदेश देने की कोशिश की है. 14 और 15 सितंबर को भी गृह मंत्री अमित शाह सूरत के इनडोर स्टेडियम में भाजपा के कार्यकर्ताओं को संबोधित कर उनमें जीत को लेकर उत्साह का संचार करेंगे (bjps strategy for gujarat elections).

ज्यादा एहतियात बरत रही भाजपा :सौराष्ट्र और कच्छ को लेकर भारतीय जनता पार्टी इस बार कुछ ज्यादा ही एहतियात बरत रही है, क्योंकि ये इलाके ऐसे हैं जहां बीजेपी कुछ कमजोर पड़ जाती है, यही वजह है कि पिछले दिनों प्रधानमंत्री ने भी कच्छ की यात्रा की थी. यात्रा के दौरान गांधीनगर के भाजपा कार्यालय में उन्होंने भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं से मुलाकात भी की थी और उन्हें चुनाव के लिए पूरी तरह से कमरकस लेने का आह्वान भी किया था.

भाजपा की चिंता यह है कि गुजरात में बहुमत का आंकड़ा 92 था और पिछली बार पार्टी को 99 सीटे ही मिली थीं. कांग्रेस ने उसे कड़ी टक्कर दी थी. 32 सालों में इस चुनाव में कांग्रेस ने बीजेपी को सबसे बड़ी शिकस्त दी थी. इससे पहले 1985 में कांग्रेस को 149 सीटें मिली थीं, लेकिन इस बार कांग्रेस ने गुजरात में विधानसभा चुनाव को लेकर अभी तक बहुत ज्यादा तैयारियां शुरू नहीं की हैं. ऐसा इसलिए है कि गुजरात के चुनाव के मात्र तीन महीने ही बचे हैं और राहुल गांधी गुजरात में कैंपेन करने की बजाय भारत जोड़ो यात्रा पर निकल पड़े हैं. ना तो गुजरात में कोई सभा और ना ही कोई संगठन की ज्यादा बैठक कांग्रेस ने आयोजित की हैं

कांग्रेस की वॉकओवर देने की तैयारी तो नहीं! :सूत्रों की मानें तो बीजेपी की चिंता का विषय यही है कि कहीं कांग्रेस गुजरात में दिल्ली की तरह आम आदमी पार्टी को वॉकओवर देने का मन तो नहीं बना चुकी है? यदि ऐसा होता है तो इसका सबसे ज्यादा नुकसान बीजेपी को हो सकता है, क्योंकि बीजेपी अभी तक ये मान कर चल रही थी की कांग्रेस और आप के बीच में बंटने वाले वोट का फायदा पार्टी उठा लेगी, मगर नई रणनीति की आशंका से बीजेपी में रात दिन मंथन चल रहा है कि उसकी काट क्या ढूंढी जाए.

सूरत निकाय चुनाव में लगा था झटका :गांधीनगर निकाय चुनाव में आप और कांग्रेस के बीच बंटे मत ने बीजेपी को फायदा पहुंचाया था और उस चुनाव में बीजेपी को जीत मिली थी मगर सूरत के निकाय चुनाव में 27 सीटों पर आप के पार्षद चुनकर आना भी बीजेपी के लिए एक बड़ा धक्का था जिसे पार्टी अभी तक भूल नही पाई है. हालांकि बीजेपी पिछले कई महीनों से तमाम बड़े नेताओं और यहां तक कि प्रधानमंत्री के भी हर महीने एक कार्यक्रम गुजरात में लगा रही है. कई उद्घाटन, शिलान्यास और केंद्र की योजनाओ का भी सूत्रपात वहां किया जा रहा है.सूत्रों की मानें तो बीजेपी 150 सीटों का लक्ष्य भी अपने नेताओं को दे रही है.

पार्टी के एक नेता का कहना है की पार्टी आलाकमान ने नेताओं से यहां तक कहा है कि इस बार पार्टी को कांग्रेस की कमजोर स्थिति का फायदा लेते हुए उसकी सीटें भी जीतने का लक्ष्य रखना है. शायद इसी रणनीति के तहत गृह मंत्री और प्रधानमंत्री स्वयं भी सौराष्ट्र और कच्छ के क्षेत्र को काफी महत्व दे रहे हैं. साथ ही गुजरात के आदिवासी इलाकों में भी केंद्र की योजनाओं को पहुंचाया जा रहा है. हालांकि सूरत पर भी बीजेपी अपनी पुरानी पकड़ वापस चाहती है लेकिन स्थानीय निकाय में 27 सीटें मिलने से उत्साहित आप पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल पूरे गुजरात में जीतने का दावा कर रहे हैं.

वैसे भी गुजरात प्रधानमंत्री और गृहमंत्री का गृह क्षेत्र है और यहां पार्टी के लिए नाक की लड़ाई है. पार्टी किसी भी हाल में यहां कोई कसर नही छोड़ना चाहती है. यही वजह है कि चुनाव की तैयारी सीधे गृह मंत्री अमित शाह की देख रख में शुरू की गई है. पार्टी के एक नेता की बात मानें तो गुजरात चुनाव पर सभी नेताओं को अनर्गल बयानबाजी से बचने की सख्त हिदायत दी गई है. कहा गया है कि ना तो पार्टी के नेता बयानबाजी कर अपनी रणनीति खोलें और ना ही नकारात्मक बयानबाजी करें. हां ये जरूर है कि आप की तरफ से लगाए जा रहे पुलिस रेड जैसे भ्रामक प्रचार प्रसार के खिलाफ अधिकारिक प्लेटफार्म पर खंडन करने की हिदायत जरूर दी गई है.

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