हैदराबाद: पीएम मोदी ने मंगलवार को उत्तर-प्रदेश की जनता को पूर्वांचल एक्सप्रेसवे की सौगात दी. 22,497 करोड़ की लागत से बने इस एक्सप्रेसवे की लंबाई 341 किलोमीटर है. इस एक्सप्रेसवे के जरिये पूर्वांचल से लेकर बिहार तक की पहुंच उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ और देश की राजधानी दिल्ली तक आसान होगी. लेकिन पूर्वांचल एक्सप्रेसवे अपनी तरह की इकलौती सड़क नहीं है, ऐसे कुछ एक्सप्रेसवे पर गाड़ियां हवा से बातें करती हैं और कई एक्सप्रेसवे पर काम चल रहा है जो आने वाले कुछ सालों में पूरे होंगे.
क्या होता है ये एक्सप्रेसवे ?
एक्सप्रेसवे को हाइवे का अपग्रेडेड वर्जन कह सकते हैं. जहां छह से लेकर आठ और भविष्य में 12 लेन तक के एक्सप्रेसवे बनाने की प्लानिंग है. हाइवे और एक्सप्रेसवे के बीच एक अंतर पहुंच वाले रास्तों का भी है. एक हाइवे जो कई शहरों से होकर गुजरता है उससे कई जगह से आने वाले रास्ते मिलते हैं लेकिन एक्सप्रेसवे पर निर्धारित और सीमित स्थानों से ही वाहन एक्सप्रेसवे तक पहुंचते हैं.
देश में बिछ रहा एक्सप्रेसवे का जाल कुछ हाइवे पर वाहनों की अधिकतम रफ्तार की सीमा 80 किमी. प्रतिघंटा होती है जबकि एक्सप्रेसवे में रफ्तार की छूट और भी अधिक होती है. एक्सप्रेसवे की बनावट की वजह से वाहन इसपर हवा से बात कर सकते हैं. एक्सप्रेसवे आधुनिक सुविधाओं से लैस होते हैं.
पूर्वांचल एक्सप्रेसवे में क्या खास है ?
ये फिलहाल देश का सबसे लंबा ऑपरेशनल एक्सप्रेसवे है. इससे पहले 302 किलोमीटर वाला आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे सबसे लंबा एक्सप्रेसवे था. उत्तर प्रदेश फिलहाल देश में सबसे ज्यादा एक्सप्रेसवे वाला राज्य हैं, जहां तीन एक्प्रेसवे है और साल 2024 तक चार और एक्सप्रेसवे की सौगात मिल सकती है. पीएम मोदी ने जिस पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का उद्घाटन किया है उसकी विशेषताओं पर नजर डालें तो...
- करीब 341 किमी. लंबे एक्सप्रेस वे पर 3.2 किलोमीटर लंबी हवाई पट्टी भी बनाई गई है. जिसपर लड़ाकू विमान उतर सकते हैं. आपात स्थिति में इस हवाई पट्टी का इस्तेमाल भारतीय वायुसेना कर सकेगी.
- 3.75 मीटर चौड़ी सर्विस लेन के साथ इस एक्सप्रेस वे पर 7 रेलवे ओवरब्रिज, 271 अंडरपास और 18 फ्लाई ओवर बनाए गए हैं.
-एक्सप्रेसवे पर 13 इंटरचेंज और 11 स्थानों पर टोल टैक्स की व्यवस्था की गई है. इसमें से छह जगहों पर टोल प्लाजा और पांच जगह रैंप प्लाजा बनाए गए हैं
- एक्सप्रेसवे के जरिये लखनऊ से गाजीपुर तक का 340 किलोमीटर का सफर 5 से 6 घंटे में पूरा होगा. इसके अलावा एक्सप्रेसवे से वाराणसी, गोरखपुर, लखनऊ, आगरा, नोएडा और दिल्ली तक सीदी कनेक्टिविटी मिल सकेगी.
देश में बिछ रहा एक्सप्रेसवे का जाल भारत में बनेगा दुनिया का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे
देश की राजधानी दिल्ली और देश की आर्थिक राजधानी मुंबई के बीच दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे (Delhi-Mumbai Expressway) का काम भी चल रहा है. केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी के मुताबिक ये दुनिया का सबसे लंबा एक्सप्रेसवे होगा. जिसकी लंबाई 1,380 किलोमीटर होगी. इस एक्सप्रेसवे के बनने के बाद कार से मुंबई और दिल्ली के बीच की दूरी आधे वक्त में तय की जा सकेगी. कार से फिलहाल दिल्ली से मुंबई का सफर 24 से 26 घंटे में पूरा होता है, जो एक्सप्रेसवे बनने के बाद 12 से 13 घंटे में पूरा होगा.
ये एक्सप्रेसवे फिलहाल 8 लेन का होगा, जिसे भविष्य में 12 लेन का बनाया जाएगा. इस एक्सप्रेसवे का काम मार्च 2023 तक पूरा होगा. दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र से होकर गुजरने वाला ये एक्सप्रेसवे इलेक्ट्रिक चार्जिंग समेत कई सुविधाओं से लैस होगा. इसके अलावा 1257 किलोमीटर लंबा अमृतसर-जामनगर एक्सप्रेसवे भी मार्च 2023 तक बनकर तैयार हो सकता है.
एक्सप्रेसवे का बिछ रहा है जाल
केंद्र सरकार ने देशभर में एक्सप्रेसवे का जाल बिछाने के लिए एक मास्टरप्लान तैयार किया है. इस प्लान के तहत देश में 23 नए एक्सप्रेसवे बनाए जाएंगे. करीब 7800 किलोमीटर लंबाई वाले इन एक्सप्रेसवे के निर्माण पर करीब 3.3 लाख करोड़ का खर्च आएगा. नेशनल हाइवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया के मुताबिक इन सबी एक्सप्रेसवे का काम वित्त वर्ष 2024-25 के अंत यानि मार्च 2025 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है.
इनमें से चार एक्स्प्रेसवे का काम मार्च 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. इसमें दिल्ली-मुंबई, अहमदाबाद-धौलेरा, अम्बाला-कोटपूतली और अमृतसर-जामनगर एक्सप्रेसवे शामिल है. एनएचएआई की स्टेटस रिपोर्ट के मुताबिक 9 एक्सप्रेस वे मार्च 2024 और 9 अन्य ग्रीनफील्ड हाइवे मार्च 2025 तक पूरे हो सकते हैं.
पीएम मोदी ने किया पूर्वांचल एक्सप्रेसवे का उद्घाटन रोजगार और टोल कलेक्शन
देशभर में बिछ रहे सड़कों के जाल खासकर एक्सप्रेसवे के निर्माण से करोड़ों का निवेश आने का अनुमान है. एक्सप्रेसवे के कारण बड़े शहरों के बीच कनेक्टिविटी बढ़ने से रोजगार के अवसर पैदा होंगे. मैटिरियल की डिमांड बढ़ने से निर्माण सेक्टर से जुड़े क्षेत्र को बूस्ट मिलेगा. विशेषज्ञ मानते हैं कि कोरोना के कारण सुस्त पड़ी अर्थव्यवस्था को एक्सप्रेसवे के निर्माण से रफ्तार मिलेगी. रोजगार मिलने के अवसर मिलने के साथ-साथ शहरों के बीच की दूरी कम होने से कार्गो का मूवमेंट भी तेजी से होगा. जिससे वक्त और पैसे दोनों की बचत होगी. एक्सप्रेसवे और हाइवे के फैलते जाल से टोल कलेक्शन भी बढ़ेगा.
भारत में एक्सप्रेसवे का विकास
भारत में हाइवे के बाद एक्सप्रेसवे का विकास हो रहा है. आगामी एक दशक में सरकार का लक्ष्य सुविधाओं से लैस एक्सप्रेसवे और हाइवे का जाल देशभर में बिछाया जाएगा. भारतमाला परियोजना से लेकर स्वर्णिम चतुर्भुज जैसी परियोजनाएं इसका हिस्सा हैं. एक्सप्रेसवे के निर्माण में लगातार बेहतरी हो रही हैं जो भविष्य के भारत की तरफ बढ़ रही हैं.
केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के मुताबिक एक्सप्रेसवे के किनारे मॉडर्न औद्योगिक टाउनशिप के साथ ही स्मार्ट सिटी बनाने का भी प्रस्ताव है. पूरे रूट पर इंटरवल स्पॉट विकसित किए जाएंगे. 'सड़क से समृद्धि' की अवधारणा पर काम करते हुए देश में सड़कों का नया जाल बुन रहे हैं. छोटे शहरों को महानगरों से जोड़ने में ये सड़कें कारगर साबित होंगी. प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत आज दुनिया में सबसे अधिक और तेजी से सड़क निर्माण करने वाला देश बन गया है. इससे प्रगति के नए द्वार खुलेंगे. इससे आने वाली पीढ़ी का भविष्य सुखद होगा.
2025 तक कई एक्सप्रेसवे बनकर होंगे तैयार 5 राज्यों से होकर गुजरने वाले दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे में कुछ बातें बहुत खास होंगी. ये एक्सप्रेसवे राजस्थान के रणथंभौर और मुकुंदरा हिल्स के वन्य जीव अभयारण्यों से गुजरेगा. इन जगहों पर ये एक्सप्रेसवे पूरी तरह से एलिवेटेड होगा. नितिन गडकरी ने कहा कि यह एशिया का पहला और दुनिया का दूसरा ऐसा एक्सप्रेसवे होगा जिस पर एनिमल ओवरपास बनेंगे, ताकि जानवरों को जंगल में सड़क पार करने में कोई दिक्कत न हो. एक्सप्रेसवे इस तरह से कई सुविधाओं से लैस होने के साथ-साथ पर्यावरण से लेकर भविष्य को देखते हुए बनाए जा रहे हैं ताकि देश के विकास की रफ्तार इन एक्सप्रेसवे पर और तेज हो.
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