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रसोई गैस पर टैक्स ने बनाया विश्व रिकाॅर्ड, एलपीजी सिलेंडर की कीमतों में लगी आग - Explosive rise in the cooking gas price

करीब चार महीने पहले एक लोकप्रिय ऊर्जा अनुसंधान और परामर्श संगठन-वुड मैकेंजी ने कहा कि वर्ष 2030 तक भारत खाना पकाने के गैस (एलपीजी) की खपत में चीन को पीछे छोड़ देगा. हालांकि, सरकारें सार्वजनिक रूप से स्वीकार नहीं करतीं. लेकिन यह सच है कि भारत ने ईंधन पर लगाए करों के मामले में विश्व रिकॉर्ड बनाया है. इन करों की वजह से ही पेट्रोल और डीजल के साथ-साथ रसोई गैस सिलेंडर की कीमत भी आम आदमी की पहुंच से बाहर होती दिख रही है.

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Published : Mar 4, 2021, 3:58 PM IST

हैदराबाद : करीब तीन महीने के छोटे अंतराल में सिलेंडर की कीमत में 225 रुपये की बढ़ोतरी होने से दुखी गृहणियों ने गैस का उपयोग बेहद कम कर दिया है. हालांकि, केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री ने घोषणा की है कि ईंधन की कीमतें अप्रैल तक कम हो जाएंगी. ऐसा अनुमान है कि उस समय तक गैस सिलेंडर की कीमत 1000 रुपये तक पहुंच जाएगी.

इस बीच यह ध्यान रखना भी जरूरी है कि वाणिज्यिक एलपीजी सिलेंडर की कीमत 1800 रुपये है. देश के हर राज्य में लाखों रसोई गैस कनेक्शन हैं. रसोई गैस की कीमत में अत्यधिक वृद्धि ने हर घर के बजट को प्रभावित किया है. रसोई गैस पर सब्सिडी की ओर प्रदान किया गया प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (DBT) तेजी से खत्म हो रहा है. वर्ष 2017 में प्रत्येक सिलेंडर पर डीबीटी 535 रुपये था. जबकि प्रत्येक सिलेंडर की कीमत 1000 रुपये थी. पिछले महीने से सब्सिडी 41 रुपये प्रति सिलेंडर से नीचे चली गई, लेकिन रसोई गैस की कीमत में साप्ताहिक वृद्धि आम आदमी की जेब काटती रही.

सब्सिडी से पांच हजार करोड़ की बचत

दूसरी ओर पेट्रोलियम एजेंसियां ​​यह सुनिश्चित कर रही हैं कि गैस भरने वाले स्टेशनों से दूर रहने वाले लोगों पर सब्सिडी लागू की जाए. ताकि दूसरों को रसोई गैस बाजार दर पर बेची जा सके. बाजार की जगह में उलटफेर करके गरीब वर्गों के साथ क्रूर मजाक हो रहा है. वर्ष 2015 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संपन्न वर्गों से रसोई गैस की सब्सिडी को छोड़ने की अपील की थी. इसके जवाब में 1.13 करोड़ लोगों ने सब्सिड छोड़ने का दावा किया. इससे लगभग 5000 करोड़ रुपये की बचत हुई.

8 करोड़ परिवारों को कनेक्शन

यह देखते हुए कि साधारण गांव के चूल्हे पर खाना पकाने से प्रति घंटे 400 सिगरेट के बराबर प्रदूषण फैलता है. केंद्र सरकार ने 8000 करोड़ रुपये की लागत वाली प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना शुरू की. इस योजना का उद्देश्य तीन साल की अवधि में गरीबी रेखा के नीचे रहने वाले 5 करोड़ लोगों को खाना पकाने के लिए रसोई गैस कनेक्शन प्रदान करना था. हाल ही में केंद्र सरकार के सचिव ने घोषणा की कि उज्ज्वला योजना के तहत महिला सशक्तिकरण के उद्देश्य से चार वर्षों के भीतर 8 करोड़ लोगों को एलपीजी कनेक्शन दिए गए हैं.

सरकार ने बजट में घटाई सब्सिडी

उन्होंने यह भी कहा कि आज देश में कुल मिलाकर 29 करोड़ रसोई गैस कनेक्शन हैं. केंद्र सरकार की योजना है कि उज्ज्वला योजना के तहत अगले दो वर्षों में एक करोड़ कनेक्शन दिए जाएं. हालांकि, सरकार रसोई गैस की कीमत को गरीबों पर थोपने का कोई विचार नहीं रखती. 20 करोड़ उपभोक्ताओं की कमर तोड़ते हुए केंद्र के नवीनतम बजट ने 40,915 करोड़ रुपये की वार्षिक रसोई गैस सब्सिडी की मात्रा घटाकर 12,995 करोड़ रुपये कर दी है.

रसाई गैस पर बढ़ा टैक्स का बोझ

आम लोग दोहरी मार झेल रहे हैं. एक ओर उनकी रसोई गैस की सब्सिडी खत्म कर दी गई है, जबकि रसोई गैस पर अन्य करों में भारी वृद्धि की गई है. आग जलाने की लकड़ी, कोयले और मिट्टी के तेल के विकल्प के रूप में लोगों को रसोई गैस अपनाने के लिए प्रेरित किया गया. ऐसा करने के बाद सरकार ने रणनीतिक रूप से रसोई गैस सब्सिडी को घटा दिया.

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गरीब लोग इस असहनीय बोझ को कैसे सहन करेंगे? वे इस बेलगाम मुद्रास्फीति के नकारात्मक प्रभाव से अपने जीवन को कैसे बचाएंगे?

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