नई दिल्ली:उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) द्वारा मापी गई भारत की खुदरा मुद्रास्फीति मार्च में 6.95% थी, जो कि लगातार तीसरा महीना रिज़र्व बैंक द्वारा तय मानक से ऊपर थी. आरबीआई के अनुसार खुदरा मुद्रास्फीति छह प्रतिशत से नीचे रखना अनिवार्य है. मार्च में उपभोक्ता मूल्य आधारित मुद्रास्फीति 17 महीने के उच्चतम स्तर पहुंची. पिछले एक साल से अधिक समय में अधिकांश कमोडिटी समूह रिकॉर्ड स्तर पर थे. उदाहरण के लिए, अनाज और उत्पाद इस साल मार्च में 19 महीने के उच्च स्तर पर थे. इसी तरह दूध और डेयरी उत्पाद 16 महीने के उच्चतम स्तर पर थे यहां तक की सब्जियां भी 16 महीने के उच्चतम स्तर पर थी. कुछ अन्य वस्तुओं के दाम ने भी मार्च में उच्च रिकॉर्ड स्तर को छुआ. उदाहरण के लिए कपड़ों की वस्तुएं पिछले 100 महीनों में अपने उच्चतम स्तर पर थीं. चप्पल व जूते के दाम पिछले 111 महीनों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गए, घरेलू सामान और सेवाओं ने 102 महीनों के रिकॉर्ड उच्च स्तर को छुआ. जबकि पर्सनल केयर आइटम 13 महीने के उच्च स्तर पर थे और फूड इंडेक्स पिछले 16 महीनों में अपने उच्चतम स्तर पर था.
स्वास्थ्य महंगाई चिंता का विषय:इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के प्रमुख अर्थशास्त्री सुनील सिन्हा का कहना है कि उनकी एजेंसी इस ओर इशारा कर रही है कि स्वास्थ्य और घरेलू सामान और सेवाओं की मुद्रास्फीति संरचनात्मक हो रही है क्योंकि पिछले 15 महीनों में स्वास्थ्य मुद्रास्फीति 6% से अधिक रही है और घरेलू सामान और सेवाएं पिछले 10 महीनों में मुद्रास्फीति 5% से अधिक थी. संरचनात्मक मुद्रास्फीति का अर्थ है कि मुद्रास्फीति ने अपनी मौसमी प्रकृति के मुकाबले कुछ हद तक स्थायी रही है, जो खाद्य पदार्थों के कीमतों के रूप में देखी जा सकती है, खास कर सब्जियों और फलों के दामों में हम देख सकते हैं कि नई फसलों के आगमन के साथ भाव नॉर्मल हो जाती है.