नई दिल्ली :भारत सरकार ने थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति (WPI) के आंकड़े जारी कर दिए हैं. अगस्त के 11.39 फीसदी के मुकाबले सितंबर में 10.66 फीसदी रही. इसमें गिरावट आई. डब्ल्यूपीआई सितंबर में लगातार छठे महीने दोहरे अंकों में रही. जबकि थोक मूल्य सूचकांक में पिछले साल के इसी महीने के दौरान थोक मूल्यों की तुलना में 10 फीसदी से अधिक की वृद्धि हुई है.
हालांकि, इन छह महीनों के दौरान स्थिर गिरावट आई है क्योंकि थोक मूल्य सूचकांक इस साल मई में 13.1 फीसदी से घटकर जून में 12.1 फीसदी और फिर जुलाई और अगस्त में क्रमशः 11.6 फीसदी और 11.4 फीसदी रह गया. और यह अंततः सितंबर में 10.66 फीसदी पर आ गया, जो पिछले छह महीनों में सबसे कम है.
मामूली गिरावट मुख्य रूप से प्राथमिक वस्तुओं में विशेष रूप से गेहूं, चावल, दालें, सब्जियां और फल, दूध, अंडे, मांस और मछली जैसे खाद्य पदार्थों के थोक मूल्यों में नरमी की वजह से है. वहीं प्राथमिक वस्तुओं में तिलहन, कच्चे तेल और प्राकृतिक गैस के थोक मूल्यों में लगभग 23 फीसदी का भार है. इसके अलावा पिछले साल सितंबर के दौरान कीमतों की तुलना में इस साल सितंबर में प्राथमिक वस्तु सूचकांक सिर्फ 4.1 फीसदी बढ़ा.
आंकड़ों से पता चलता है कि गेहूं के थोक मूल्य में 4.47 फीसदी, दालों (9.42%) और अंडे, मांस और मछली की कीमतों में 5.18% की वृद्धि हुई. वहीं, बारिश के मौसम में आलू के थोक भाव में 49 फीसदी और सब्जियों की कीमतों में 32.45 फीसदी की भारी गिरावट दर्ज की गई. जबिक प्याज, फल और धान की कीमतों में भी साल-दर-साल आधार पर सितंबर में नरमी आई. सितंबर में प्राथमिक वस्तु का थोक मूल्य सूचकांक 4.1 फीसदी था जो 7 महीने में सबसे निचले स्तर पर है.
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इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च के प्रधान अर्थशास्त्री सुनील सिन्हा का कहना है कि सितंबर में थोक कीमतों में गिरावट मुख्य रूप से प्राथमिक वस्तुओं के नरम होने के कारण थी और ईंधन और बिजली की कीमतों के कारण भी थी, जो इस साल अगस्त में 26.1 फीसदी के मुकाबले सितंबर में 24.8 फीसदी थी.
सिन्हा ने कहा कि सितंबर 2021 में बिजली की कीमतों में 6.7 फीसदी की गिरावट की वजह से ऐसा हुआ. साथ ही उन्होंने कहा कि सब्जियों में अपस्फीति के कारण सितंबर 2021 में खाद्य मुद्रास्फीति घटकर 1.1 फीसदी हो गई, जो साल-दर-साल आधार पर 32.4 फीसदी घट गई. उन्होंने बताया कि थोक कीमतों में नरमी की वजह खाद्य पदार्थों, खासकर सब्जियों की कीमतों में गिरावट आई.
खाने योग्य तेल
वहीं थोक बाजारों में खाद्य तेलों की ऊंची कीमतें चिंता का विषय बनी हुई हैं. आंकड़ों से पता चलता है कि सितंबर 2020 में इसकी कीमतों के मुकाबले इस साल सितंबर में खाद्य तेल की कीमतों में 37 फीसदी की वृद्धि हुई थी. हालांकि, खाद्य कीमतों में कुछ कमी आई है. थोक और खुदरा बाजारों में खाद्य तेलों की बढ़ती कीमतों ने सरकार को निर्यात शुल्क में कटौती करने के लिए मजबूर किया. फलस्वरूप खाद्य तेलों पर आयात शुल्क को युक्तिसंगत बनाने के बाद केंद्र ने गुरुवार को 8 राज्यों (राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश) को अपने क्षेत्र में खाद्य तेल की कीमतों में कमी लाने के लिए आयात शुल्क में कमी करने को कहा है. केंद्र ने कहा कि आयात शुल्क में कमी से खाद्य तेल की कीमतों में 15-20 रुपये प्रति लीटर की कमी हो सकती है.