हैदराबाद:विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने COVID-19 को लेकर शुक्रवार को घोषणा की कि अब यह वैश्विक महामारी नहीं है. यानी अब कोविड 19 अंतरराष्ट्रीय चिंता का विषय या सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (PHEIC) नहीं है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने यह भी घोषणा की कि यह देखते हुए कि दुनिया भर की सरकारों ने महामारी के प्रभावों को दूर करने के लिए महत्वपूर्ण उपाय किए हैं, अब ध्यान संक्रमण के दीर्घकालिक प्रबंधन पर होगा.
COVID-19 वायरस का पहली बार 2019 के अंत में चीन के वुहान में पता चला था. जनवरी 2020 में इसके मामलों की संख्या में वृद्धि हुई, जिसके कारण विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपने अलर्ट को बढ़ा दिया और इसे सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल (PHEIC) घोषित कर दिया. दरअसल महामारी कई देशों में फैल गई थी, अस्पताल में बड़ी संख्या में लोग भर्ती हुए थे और मौतें हुईं. इसका असर दुनिया भर में स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों पर पड़ा.
इन स्थितियों में घोषित किया जाता है सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल : किसी बीमारी को सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित करने के लिए, तीन कारण होने चाहिए. पहला यह कि ये बीमारी कई देशों में फैल रही हो. दूसरा, गंभीर बीमारी अस्पताल में भर्ती होने और मौतों का कारण होना चाहिए. तीसरा, इसकी वजह से स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों पर काफी दबाव पड़ रहा हो. COVID-19 महामारी ने 2020 और 2021 दोनों में इन तीनों मानदंडों को पूरा किया था.
भीषण रूप लिया था बीमारी ने :कोविड 19 का वायरस संक्रमण का एक नया स्वरूप था और शुरू में इसके बारे में बहुत कम जानकारी थी. जैसे-जैसे महामारी बढ़ी, डॉक्टरों और शोधकर्ताओं ने पाया कि वायरस ने शरीर की दूसरी प्रणालियों को भी प्रभावित किया है. कोरोना में मरीज साइटोकाइन स्टॉर्म का शिकार हो रहे थे. इसका असर बुजुर्गों और डायबिटिक लोगों पर ज्यादा पड़ रहा था.
पिछले तीन वर्षों में, डॉक्टरों और शोधकर्ताओं ने COVID-19 के बारे में बहुत कुछ सीखा है, जिसमें इसके फैलने के तरीके, इसके फैसले के कारण, निदान, उपचार प्रोटोकॉल और निवारक उपाय शामिल हैं. दुनिया भर में सरकारों ने स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों को मजबूत किया है और टीकाकरण अभियान शुरू किया है. भारत में 90% से अधिक लोगों को वैक्सीन के दो डोज मिल चुके हैं. ऐसे में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने Covid-19 से अपना PHEIC टैग वापस ले लिया है.
भारत में COVID-19 के करीब 4.43 करोड़ मामले सामने आए और 5.3 लाख मौतें हुईं. वैश्विक स्तर पर संक्रमण की संख्या 76.5 करोड़ को पार कर गई है, जिससे 69.2 लाख मौतें हुई हैं. हालांकि अब वायरस का प्रभाव कम हो गया है और स्वास्थ्य प्रणालियां अब दबाव में नहीं हैं.
ओमीक्रॉन वैरिएंट के कारण दुनिया भर में कोरोना के मामलों में वृद्धि दर्ज की गई थी. फिर भी, यह पहले के वैरिएंट्स की तुलना में कम वायरल था, क्योंकि लोगों ने इम्युनिटी हासिल कर ली थी. दुनिया भर की सरकारों ने वैरिएंट के प्रसार को रोकने के लिए यात्रा प्रतिबंध लगाए और टीकाकरण अनिवार्य करने जैसे कदम उठाए हैं.
भारत ने COVID-19 संक्रमण की तीन लहर देखीं. पहली लहर, 2020 के मध्य से उस वर्ष के सितंबर के आसपास थी. ये वह समय था जब डॉक्टर उपचार का पता लगा रहे थे. कई बार दिशा-निर्देश बदले गए. देश भर में टेस्ट के मामले बढ़े. इसके बाद अप्रैल-मई 2021 में भारत में COVID-19 की विनाशकारी दूसरी लहर आई, जिसके कारण बड़ी संख्या में कोरोना के केस सामने आए और मौतें हुईं. यह वृद्धि काफी हद तक डेल्टा वैरिएंट के कारण थी, जिसका सबसे ज्यादा असर फेफड़ों पर पड़ रहा था. इस लहर में देश भर के अस्पतालों में चिकित्सा ऑक्सीजन की कमी हो गई.
वायरस की तीसरी लहर ओमीक्रॉन वैरिएंट के कारण थी, गनीमत ये थी कि यह दूसरी लहर की तुलना में कम गंभीर थी. जनवरी 2022 के मध्य में मामलों की संख्या लगभग 21 लाख थी, जिसमें मौतों की संख्या लगभग 7,800 पर अपेक्षाकृत कम रही. तब से, भारत ने वायरस की किसी भी बड़ी लहर का अनुभव नहीं किया है. अस्पतालों और स्वास्थ्य प्रणालियों को किसी भी संभावित स्थिति से निपटने के लिए तैयार रखा गया है.
हालांकि इस साल अप्रैल में मामलों की संख्या में वृद्धि हुई थी. एक ही दिन में 12,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए थे. लेकिन तब से संख्या में फिर से गिरावट शुरू हो गई है. वर्तमान में कोई लॉकडाउन नहीं है और भारत में जीवन काफी हद तक सामान्य रूप से सामान्य रूप से चल रहा है. यहां रेस्तरां, सिनेमा और अंतरराष्ट्रीय यात्रा के संचालन के साथ सबकुछ सामान्य हो गया है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन की हालिया घोषणा के बावजूद कि ओमीक्रॉन वैरिएंट अब चिंता का कारण नहीं है, डॉ. अनुराग अग्रवाल जैसे विशेषज्ञों ने इसके प्रति आगाह किया है. उनका कहना है कि इसका आम आदमी पर व्यावहारिक प्रभाव न्यूनतम हो सकता है, वायरस की भविष्य की किसी भी लहर को रोकने के लिए निगरानी के प्रयासों को जारी रखना और स्थिति की बारीकी से निगरानी करना महत्वपूर्ण है.
COVID-19 अब सार्वजनिक स्वास्थ्य आपातकाल नहीं है, महामारी के दीर्घकालिक प्रभावों के प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित रहेगा. दुनिया भर में सरकारें टीकाकरण अभियान चलाना जारी रखेंगी, स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली को मजबूत करेंगी और नए वैरिएंट के सामने आने पर निपटेंगी. हालांकि महामारी ने विश्व स्तर पर जो व्यवधान पैदा किया है उससे सबक लेकर भविष्य की महामारियों से निपटना आसान होगा.
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