श्रीनगर : कश्मीर में मादक पदार्थों, खासकर हेरोइन की तस्करी नई ऊंचाइयों को छू रही है और विशेषज्ञों ने आगाह किया है कि इस बुराई से एक पीढ़ी के खोने का खतरा है तथा अधिकतर युवा नशे की लत के शिकार हो सकते हैं. जम्मू-कश्मीर के पुलिस प्रमुख दिलबाग सिंह का कहना है कि पाकिस्तान युवाओं को मादक पदार्थों का आदी बना रहा है.
आतंकवाद की शिकार कश्मीर घाटी के समग्र परिदृश्य में सामाजिक कार्यकर्ताओं और डॉक्टरों की राय है कि तीन दशकों से चली आ रही आतंकी हिंसा ने जहां एक पीढ़ी को खा लिया है, वहीं नशे की बुराई का वर्तमान पीढ़ी पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा.
डीजीपी दिलबाग सिंह ने पाकिस्तान को जिम्मेदार ठहराते हुए कहा, 'वे वही गंदा खेल दोहरा रहे हैं, जो उन्होंने पंजाब में खेला था - पहले हथियारों का प्रशिक्षण देना और बाद में युवाओं को मादक पदार्थों से बर्बाद करना.
विशेषज्ञों की इन टिप्पणियों के बारे में पूछे जाने पर कि कश्मीर ने आतंकवाद में एक पीढ़ी खो दी है और नशीले पदार्थों की बुराई से वह अगली पीढ़ी खो सकता है, सिंह ने कहा, 'निश्चित रूप से हां, मेरी इस बारे में कोई दो राय नहीं हैं.'
दिलबाग सिंह ने कहा कि पिछले दो वर्षों में नशीले पदार्थों से जुड़ी बुराई में काफी वृद्धि हुई है और मादक पदार्थों की तस्करी पंजाब तथा जम्मू की सीमाओं से की जाती है. उन्होंने कहा, 'हम जानते हैं कि मादक पदार्थों की बिक्री से होने वाली आय का इस्तेमाल आतंकवाद के वित्तपोषण में किया जाता है और इसलिए हम इस बारे में अतिरिक्त रूप से सतर्क रहे हैं तथा इस पर अंकुश लगाने के प्रयास कर रहे हैं.'
पुलिस प्रमुख ने कहा कि मादक पदार्थों के जोखिम से प्रभावित मुख्य क्षेत्र उत्तरी कश्मीर में करनाह, दक्षिण कश्मीर में अनंतनाग और जम्मू के कुछ इलाके हैं. उन्होंने कहा कि पुलिस ने श्रीनगर और जम्मू में नशामुक्ति केंद्र स्थापित करने में अग्रणी भूमिका निभाई है तथा कुछ और नशामुक्ति केंद्र उत्तरी कश्मीर में बनाए जा रहे हैं.
दिलबाग सिंह ने अपनी अपील में कहा, 'मुझे लगता है कि यह सामाजिक-धार्मिक नेताओं के लिए युवाओं को खतरे से दूर करने के लिए तत्काल आधार पर कदम उठाने का समय है. आज, हमारे पास समय है और हो सकता है कि कल हमारे पास समय न हो. इसलिए, अभी और तेजी से कार्य करना बेहतर है.'
इसी तरह के विचार श्रीनगर में नशामुक्ति केंद्र के प्रमुख डॉ मोहम्मद मुजफ्फर खान ने व्यक्त किए. उन्होंने कहा कि घाटी में ऐसे केंद्रों की संख्या मादक पदार्थों से प्रभावित लोगों की संख्या की तुलना में बहुत कम है.
खान ने कहा कि धरातल पर स्थिति और भी खराब है क्योंकि बड़ी संख्या में युवा लड़के नशीले पदार्थों के आदी हो रहे हैं.
उन्होंने कहा, 'पहले, हम 18 वर्ष और इससे अधिक उम्र के लड़कों (नशीले पदार्थों के आदी) को देखते थे, लेकिन अब 12 और 13 साल के बच्चों से जुड़े मामले आ रहे हैं तथा नशीले पदार्थों के सेवन की प्रकृति भी बदल गई है. पहले यह चरस या औषधीय ओपिऑइड होता था, लेकिन अब हेरोइन इनकी जगह ले रही है.'