नई दिल्ली : देश में कोरोना रोकथाम के लिए वैक्सीनेशन अभियान तेज गति से जारी है. इसी बीच भारत बायोटेक बच्चों के लिए कोवैक्सीन के आपातकालीन मंजूरी के लिए दवा नियामक को वैक्सीन के चरण 2 और 3 क्लीनिकल ट्रायल के नतीजे प्रस्तुत करने वाला है.
इस संबंध में ईटीवी भारत ने वरिष्ठ स्वास्थ्य विशेषज्ञ और इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन (आईएपीएसएम) की अध्यक्ष सुनीला गर्ग से बात की. इस दौरान सुनीला गर्ग ने कहा कि स्कूलों को फिर से खोलना सरकार का प्राथमिक एजेंडा है. उन्होंने कहा कि बच्चों को स्कूल जाने से जो माहौल मिलता है, वह घर पर कभी नहीं मिल सकता है.
उन्होंने सुझाव दिया कि स्कूलों को फिर से खोला जाना चाहिए. भारत दुनिया के उन आठ देशों में शामिल है, जहां पर महामारी के चलते स्कूल बंद हैं. डॉ गर्ग ने कहा कि 10 से कम या 12 साल से कम उम्र के बच्चों में कोरोना का हल्का संक्रमण होता है. हालांकि, 12-18 साल की उम्र के बच्चे गैर-संक्रमणीय बीमारी की चपेट में आ जाते हैं.
सीरो-सर्वेक्षण का जिक्र करते हुए डॉ. गर्ग ने बताया कि 60 प्रतिशत से अधिक बच्चे कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं. इस दौरान बच्चे स्कूल नहीं जा रहे थे. वे घर के अंदर थे, लेकिन वे बाजारों में गए होंगे. जहां से वे संक्रमित हुए थे. और उनके अंदर कोरोना के खिलाफ एंटीबॉडी बनी थी.
गौरतलब है कि कई प्रदेशों की सरकारों ने कक्षा 9 से 13 तक के स्कूल खोलना शुरू कर दिया है. हालांकि, माता-पिता बच्चों को स्कूल भेजने से करता रहे हैं.
उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब जैसे राज्यों ने कक्षा नौ से बारह तक के स्कूलों को खोलने का फैसला किया है.