नई दिल्ली: विशेषज्ञों ने कृषि क्षेत्र (agricultural sector) में सटीक कृषि और प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देने पर जोर दिया है, जिससे एक ही समय में उचित विकास प्राप्त करने और पारिस्थितिक संतुलन (ecological balance) बनाए रखने में मदद मिलेगी. यह जानकारी अखिल भारतीय स्तर पर तकनीकी और कीटनाशकों के निर्माताओं/आयातकों का प्रतिनिधित्व करने वाले उद्योग निकाय, एग्रो केमिकल फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसीएफआई) (Agro Chemical Federation of India) द्वारा सतत कृषि में फसल संरक्षण रसायनों की भूमिका पर आयोजित एक पैनल चर्चा में दी गई.
आईसीएआर के पूर्व डीजी डॉ. त्रिलोचन महापात्र (Former DG ICAR Dr. Trilochan Mohapatra) ने सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि '1950-60 के दशक के शिप टू माउथ सिंड्रोम से बचने के लिए, जनसंख्या में हो रही निरंतर बढ़ोतरी के कारण मांग में बढ़ोतरी के मुकाबले हमारे कृषि उत्पादन को तेज गति से बढ़ाना सबसे ज्यादा जरूरी है. प्रौद्योगिकी और सटीक कृषि पद्धतियों के उपयोग से हमें एक ओर जहां उत्पादन बढ़ाने और पारिस्थितिक तंत्र को संतुलित करने में मदद मिलेगी. वहीं लगातार बढ़ती पर्यावरणीय (environmental) चिंता के बीच, स्थायी समाधान समय की आवश्यकता है और प्रौद्योगिकी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी.'