नई दिल्ली : केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय (Union Health Ministry) द्वारा डेल्टा प्लस को चिंता का विषय (variant of concern ) घोषित किए जाने के एक दिन बाद वरिष्ठ स्वास्थ्य विशेषज्ञ और इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन (indian Association of Preventive and Social Medicine) की अध्यक्ष डॉ सुनीला गर्ग (Dr Suneela Garg) ने ईटीवी भारत से कहा कि यह उचित समय है कि लोग सख्ती से कोविड उचित व्यवहार का पालन करें.
चूंकि डेल्टा प्लस वैरिएंट (Delta plus variant) में भी बढ़ी हुई ट्रांसमिसिबिलिटी ( transmissibility) और मोनोक्लोनल एंटी बॉडी रिस्पॉन्स (monoclonal anti body respons) में संभावित कमी की विशेषता है, इसलिए डॉ गर्ग ने बताया कि वैक्सीन निर्माता (vaccine manufacturer) को एंटी बॉडी बूस्टर (anti body booster) को बढ़ावा देने के अलावा अपने टीके को लगातार संशोधित करना चाहिए.
वैक्सीन और इम्यूनिटी से बच सकता है डेल्टा प्लस वैरिएंट
डेल्टा वेरिएंट के हालिया म्यूटेशन (mutation) के बाद अब हमें डेल्टा प्लस या AY.1 वेरिएंट मिल गया है. डेल्टा प्लस वैरिएंट वैक्सीन और संक्रमण प्रतिरोधक (infection immunity) क्षमता दोनों से बच सकता है.
ऑर्गनाइज्ड मेडिसिन एकेडमिक गिल्ड (Organised Medicine Academic Guild ) की अध्यक्ष डॉ गर्ग ने चेतावनी दी है कि हमारे पास एंटी बॉडी भी है, लेकिन डेल्टा प्लस इससे भी बच सकता है. जो लोग एक बार संक्रमित हो जाते हैं, वह भी डेल्टा वैरिएंट स्ट्रेन (Delta variant strain) से संक्रमित हो सकते हैं.
उन्होंने कहा, 'डेल्टा प्लस में मूल डेल्टा की विशेषताएं हैं, लेकिन यह K417N के रूप में जाना जाने वाला एक म्यूटेशन से गुजरा है. यह दक्षिण अफ्रीका (South Africa) में बीटा संस्करण (Beta variant) में भी खोजा गया था, जो वैक्सीन से भी बचता है. यह बीटा संस्करण (B.1.351 वंश) में मौजूद है, जिसमें प्रतिरक्षा से बचने की सूचना दी गई थी.'
सबूतों से पता भी चलता है कि बीटा संस्करण वैक्सीन से बचता है. दक्षिण अफ्रीकी सरकार (South African government) ने पहले एस्ट्राजेनेका वैक्सीन (of Astra Zeneca vaccine) की खेप वापस कर दी थी.
केंद्र ने मंगलवार को डेल्टा प्लस को चिंता का विषय घोषित किया, क्योंकि यह लोगों को अधिक गंभीर और अधिक लोगों को प्रभावित कर सकता है.
40 मामलों की पहचान
अब तक भारत में अनुक्रमित 45000 नमूनों में से इस प्रकार के अब तक लगभग 40 मामलों की पहचान की गई है. यह वेरिएंट महाराष्ट्र, केरल और मध्य प्रदेश में देखा गया है. महाराष्ट्र में 21 लोग डेल्टा प्लस से पीड़ित हैं.