नई दिल्ली/गाजियाबाद : जब सोशल मीडिया (Social Media) का दायरा बढ़ा, तो लोगों ने सोचा कि इससे जानकारी का दायरा भी बढ़ेगा, ऐसा हुआ भी. गूगल, फेसबुक, यूट्यूब, ट्विटर जैसे सोशल प्लेटफॉर्म पर लोगों ने हर तरह की जानकारी साझा की. अब सोशल मीडिया के भयानक परिणाम भी लगातार सामने आ रहे हैं.
बुजुर्ग की पिटाई के वीडियो पर बवाल
सोशल मीडिया के एक घातक परिणाम का जीता जागता उदाहरण गाजियाबाद से सामने आया वो वीडियो है, जिसमें बुजुर्ग के साथ अभद्रता की गई. वीडियो सोशल मीडिया पर आया, तो उसमें आपत्तिजनक बातें लिखी गईं. जिसके चलते हालात तनावपूर्ण हो गए.
नतीजा यह हुआ कि ट्विटर और सात अन्य लोगों पर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश संबंधी मुकदमा दर्ज हुआ. लेकिन ये पहला वीडियो नहीं है, जब इस तरह के मुश्किल हालात पैदा हुए हों. इससे पहले भी कई ऐसे वीडियो हालातों को नाजुक मोड़ पर लाते रहे हैं.
इस बाबत मनोचिकित्सक से की गई बात
आम तौर पर देखा जा रहा है कि लोग नफरत और बदला लेने की भावना से वीडियो बनाते हैं और फिर उसे सोशल प्लेटफॉर्म पर अपलोड कर देते हैं. जिसका नतीजा ये होता है कि कई पीड़ितों की मानसिक स्थिति पर बुरा प्रभाव पड़ता है. ऐसा क्यों होता है, ये जानने के लिए हमने गाजियाबाद के मनोचिकित्सक सुनील पवार से बात की.
वर्चस्व दिखाने के लिए कुछ लोग डालते हैं वीडियो
मनोचिकित्सक का कहना है कि खुद का वर्चस्व दिखाने के लिए आमतौर पर लोग ऐसा करते हैं. किसी की पिटाई कर देना या फिर उसे थप्पड़ मार कर या गाली देकर वीडियो अपलोड किया जाता है. ऐसे मामलों के आरोपी दरअसल ये दर्शना चाहते हैं कि उनसे बड़ा कोई नहीं है. अगर उनके साथ गलत किया तो अंजाम इस तरह की बेज्जती होगा. ऐसा बढ़ते हुए गुस्से और खोते हुए धैर्य के कारण होता है.