नई दिल्ली: आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) की सूची से कई लाभार्थियों के बाहर हो जाने से उन्हें इस योजना का लाभ नहीं मिल सकेगा. इस तथ्य से अवगत होने के कारण स्वास्थ्य और परिवार कल्याण की एक संसदीय समिति ने सरकार को इस योजना के तहत लाभार्थियों की सूची का विस्तार करने के सुझाव दिया है. इस बारे में राज्यसभा सांसद प्रोफेसर राम गोपाल यादव की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा है कि यदि कोई व्यक्ति सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना (एसईसीसी) 2011 में शामिल है तो वह इसका लाभ उठा सकता है. लेकिन एसईसीसी जनगणना 2011 के आंकड़ाें के हिसाब से पहचान किए जाने से कई जरूरतमंद लाभार्थी इससे वंचित हो जाएंगे.
इसी के मद्देनजर समिति ने योजना के तहत लाभार्थियों की सूची के विस्तार की आवश्यकता पर जोर दिया. साथ ही हाल ही में समिति ने राज्यसभा में प्रस्तुत अपनी 133वीं रिपोर्ट में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को सामुदायिक स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और स्थानीय लोगों को शामिल करके दिशानिर्देशों के व्यापक प्रसार के लिए जागरूकता अभियान चलाने की सिफारिश की है. बता दें कि 2018 में शुरू की गई आयुष्मान भारत प्रधान मंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) स्वास्थ्य देखभाल के लिए अस्पताल में प्रति परिवार प्रति वर्ष 5 लाख रुपये तक का इलाज कराने की सुविधा प्रदान करती है.
सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना (एसईसीसी) 2011 के अनुसार अब तक लगभग 10.75 करोड़ लाभार्थी परिवारों की पहचान की जा चुकी है. वहीं स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में चुनिंदा अभाव और व्यावसायिक मानदंडों के आधार पर आयुष्मान भारत प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (AB-PMJAY) के तहत लाभार्थी परिवारों की पहचान सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना (एसईसीसी) 2011 से की गई है.
गौरतलब है कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना (एसईसीसी) के कुछ सीमाओं को स्वीकार करते हुए कहा है कि डेटाबेस को अपडेट करने का कोई प्रावधान नहीं है. इसके अलावा मंत्रालय ने कहा है कि लगभग 30-40 प्रतिशत लाभार्थी परिवारों की जमीनी हकीकत का पता नहीं लगाया जा सकता है और सामाजिक आर्थिक जाति जनगणना (एसईसीसी) के अनुसार लाभार्थियों को उनकी पात्रता के बारे में संवाद करना मुश्किल है. इसके अलावा, जनसांख्यिकीय विवरण के आधार पर लाभार्थी डेटाबेस की खोज करना मुश्किल है.