नई दिल्ली :कांग्रेस की पंजाब इकाई में विवाद को समाप्त करने के प्रयास जारी है. खबर के मुताबिक पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह दिल्ली पहुंच चुके हैं. अमरिंदर सिंह ने आज दिल्ली रवाना होने से पहले विधायक सुखपाल सिंह खैरा और पूर्व विपक्ष के नेता और उनके दो आप विधायक सहयोगियों जगदेव सिंह कमलू, विधायक मौर और पीरमल सिंह धौला, विधायक भदौरा का पार्टी में स्वागत किया.
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी ने कहा पंजाब कांग्रेस में कोई झगड़ा नहीं है. समिति के साथ बातचीत गोपनीय है. जो भी उन्होंने पूछा, मुझे जो भी कहना था मैंने उनके समझ रखा है. पार्टी की प्रथा और परंपरा रही है कि जिस प्रदेश में हम चुनाव लड़ते हैं उसकी रणनीति और मुद्दों पर विचार विमर्श होता है.
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की ओर से गठित तीन सदस्यीय समिति ने बुधवार को भी विधायकों के साथ अपनी बातचीत जारी रखी. जानकारी के मुताबिक पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह भी पंजाब कांग्रेस और उनकी सरकार में चल रहे संकट पर अपने विचार और राय व्यक्त करने के लिए कल दिल्ली आएंगे. इस समिति के सदस्य और पंजाब कांग्रेस प्रभारी हरीश रावत ने बताया था कि सीएम या तो गुरुवार शाम या शुक्रवार सुबह पैनल से मिलेंगे.
पिछले तीन दिनों में राज्य के करीब 80 कांग्रेस नेता इस समिति के समक्ष पेश होकर अपनी बात रख चुके हैं. इनमें से अधिकतर विधायक हैं. सूत्रों ने बताया कि बुधवार को समिति से मुलाकात करने वाले कुछ नेताओं ने सरकार से जुड़े मुद्दे उठाए तो कुछ नेताओं ने 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले संगठन को दुरुस्त करने की मांग उठाई. कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि पंजाब प्रदेश कांग्रेस कमेटी की पूर्व अध्यक्ष रजिंदर कौर भट्टल, प्रताप सिंह बाजवा, शमशेर सिंह ढुलो, मोहिंदर सिंह कायपी और एच एस हंसपाल ने समिति से मुलाकात की.
वरिष्ठ नेता जेपी अग्रवाल इस समिति में शामिल
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अध्यक्षता वाली इस समिति ने सांसद परनीत कौर, मनीष तिवारी और जसबीर गिल डिम्पा से भी राय ली. सूत्रों ने बताया कि यह समिति गुरुवार या शुक्रवार को मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह से भी मुलाकात कर सकती है. संभावना है कि अमरिंदर सिंह आज दिल्ली में होंगे. राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय समिति के समक्ष सोमवार और मंगलवार को करीब 50 मंत्रियों, सांसदों एवं विधायकों ने अपनी बात रखी थी. खड़गे के अलावा कांग्रेस महासचिव और पंजाब प्रभारी हरीश रावत और दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जेपी अग्रवाल इस समिति में शामिल हैं.
सत्य प्रताड़ित हो सकता है, लेकिन पराजित नहीं हो सकता.
हाल के कुछ सप्ताह में मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच तीखी बयानबाजी देखने को मिली है. विधायक परगट सिंह और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कुछ अन्य नेताओं ने भी मुख्यमंत्री के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. सिद्धू ने मंगलवार को इस समिति से मुलाकात कर अपने विचार रखे थे. समिति से मुलाकात के बाद उन्होंने कहा था कि सत्य प्रताड़ित हो सकता है, लेकिन पराजित नहीं हो सकता. इस बीच, ऐसी चर्चा है कि सिद्धू को सरकार में बतौर उप मुख्यमंत्री शामिल करने और उनके साथ ही किसी हिंदू दलित को दूसरा उप मुख्यमंत्री बनाने के फार्मूले पर विचार चल रहा है. सूत्रों की मानें, तो मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह आलाकमान को अपने इस रुख से पहले ही अवगत करा चुके हैं कि उप मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सिख को देने से अच्छा संकेत नहीं जाएगा क्योंकि इस समाज से ही मुख्यमंत्री खुद हैं तथा हिंदू समुदाय को भी प्रतिनिधित्व देना है.
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तीन सदस्यीय समिति का गठन
ऐसे में माना जा रहा है कि प्रदेश अध्यक्ष और उप मुख्यमंत्री के पद के जरिए कांग्रेस आलाकमान राजनीतिक समीकरण के साथ सामाजिक समीकरण को साधने के लिए कदम उठा सकता है.कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और पूर्व मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू के बीच चल रहे वाकयुद्ध के बीच पार्टी की राज्य इकाई के नेताओं के मतभेद को दूर करने के लिए शुक्रवार को तीन सदस्यीय समिति का गठन किया था. राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को इस समिति का प्रमुख बनाया गया है. कांग्रेस महासचिव और पंजाब प्रभारी हरीश रावत और दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जेपी अग्रवाल इस समिति में शामिल हैं.