सहरसा: सामाजिक कुप्रथा एवं कुरीतियों का शुरू से विरोध करने वाले अधिवक्ता अजय आजाद के पिता नित्यानन्द भगत का गत दिनों निधन हो गया. पिता की मौत के बात मृत्यु भोज नहीं कराने का बेटे ने बड़ा निर्णय लिया. इस फैसले के खिलाफ समाज का गुस्सा फूट पड़ा है और परिवार को समाज से बहिष्कृत कर दिया गया है.
पिता की मौत के बाद बेटे ने नहीं किया मृत्यु भोज: बता दें कि नित्यानंद भगत अपने पीछे तीन बेटे छोड़ गए हैं. सबसे बड़े बेटे अजय आजाद पेशे से अधिवक्ता हैं. वहीं दूसरा बेटा विजय भगत अनाज खरीद फरोख्त का काम करते हैं. जबकि तीसरे बेटे डॉ शशि भगत जेएनयू दिल्ली में पढ़ाई करते थे, अब ब्राजील जाकर PHD कर रहे हैं.
विधिवत क्रियाकर्म करने का फरमान जारी :पिता के निधन के बाद छोटे पुत्र के इंतजार में चार दिनों तक शव पड़ा रहा और ब्राजील से आने के बाद शव का दाह संस्कार किया गया. नौवें दिन शोकसभा आयोजित कर क्रियाकर्म सम्पन्न करने का प्रयास किया गया. जब इसकी सूचना ग्रामीणों को मिली तो उनलोगों ने आनन फानन में आपात बैठक कर इनलोगों को मृतक का विधिवत क्रियाकर्म करने का फरमान जारी किया.
ग्रामीणों ने किया हुक्का पानी बंद:साथ ही नया फरमान नहीं मानने पर सामाजिक बहिष्कार करते हुए हुक्का पानी बंद करने का ऐलान कर दिया गया. हालांकि सामाजिक फरमान के बाद मंझला भाई विजय भगत ने परम्परा निवर्हन का फैसला लेते हुए न सिर्फ अपना बाल का मुंडन करवाया बल्कि मृत्यु भोज करने का निर्णय लेते हुए पूरे समाज को एक दिन भोज भी खिलाया.
एक बेटे ने मान ली लोगों की बात: वहीं दो अन्य भाइयों पर कोई असर नहीं पड़ा. उनलोगों ने समाज के विरुद्ध अपने फैसले पर कायम रहते हुए किसी भी कर्मकांड को मानने से इनकार करते हुए अपने पूर्व के निर्णय पर कायम रहे. न नखबाल करवाया और न ही भोज में शरीक हुए.
सामाजिक कुप्रथा के खिलाफ है बड़ा बेटा: वहीं इस मामले पर जब बड़े भाई अजय आजाद अधिवक्ता से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हम शुरू से ही मृत्यु भोज के खिलाफ थे. कर्मकांड और ये जो सामाजिक कुप्रथा है जो वर्षों से चली आ रही थी, उसके विरुद्ध वे लगातार आवाज बुलंद करते थे. यदि किसी पड़ोसी का निधन होता था तो हम उसको जागरूक करते थे कि मृत्य भोज मत किजिये.
शिक्षा में पैसे खर्च करने की सलाह:अजय आजाद ने कहा कि मैं लोगों को यही कहता हूं कि मृत्यु भोज में जो खर्च होगा उसको शिक्षा पर खर्च कीजिये. पारिवारिक समृद्धि तभी आयेगी. समाज जब शिक्षित होगा तभी हम समृद्ध होंगे. इन्होंने कहा कि हम वर्षों से चली आ रही परम्परा को तिलांजलि देने की शुरुआत किये हैं.