जोधपुर. बहादुरी के साथ दूसरे विश्व युद्ध में देश की तरफ से लड़ चुके शतायु पूर्व सैनिक चंडीप्रसाद जोशी ने शनिवार को अपना 104वां जन्मदिन धूमधाम से (ex serviceman Chandi Prasad Joshi 104th birthday) मनाया. भारत और पाकिस्तान के बीच 1965 और 1971 के युद्ध के साक्षी जोशी आज भी उसी जोश से लबरेज हैं. आज भी उनकी यादों में युद्ध के एक-एक पल शीशे की तरह साफ उकेरे से नजर आते हैं. उनके 104वें जन्मदिन को सेलिब्रेट करने के लिए न केवल पारिवारिक और सामाजिक सदस्य शामिल हुए, बल्कि जोधपुर सैन्य स्टेशन के जवान भी पहुंचे. उनकी वर्दी देख जोशी में वही सैनिक वाला जोश देखते ही उमड़ता दिखाई दिया.
मूल रूप से उत्तराखंड के चंडीप्रसाद खुद के पहाड़ी होने पर हमेशा गर्व करते हैं. 1969 में सेना से सेवानिृवत होने के बाद वे जोधपुर के ही होकर रह गए. जोशीजी ने अपना 104वां जन्मदिन मनाया. इनके पांच पुत्रियां हैं. एक अविवाहित बेटी गीता साथ रहती है. आज जन्मदिन के मौके पर बाकी चारों पुत्रियां व उत्तराखंड समाज के लोग मौजूद रहे. जोशी ने केक काटा. जोशी को अपने पहाड़ी इलाके से प्रेम है. वे कहते हैं कि उन्होंने वहां की शिक्षा के लिए बहुत कुछ किया था. दो किलोमीटर पैदल चला, पहाड़ों में घूमा. पूर्व प्रधानमंत्री नेहरू व शास्त्रीजी से मिला. तब कहीं जाकर वहां शिक्षा की अलख जगी थी.
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सेना के जवानों को देख खुश होते हैं जोशी:आज जन्मदिन के मौके पर उनको शुभकामनाएं देने के लिए विशेष रूप से जोधपुर सैन्य स्टेशन से जवान उनके घर आए थे. उनके लिए केक भी लाए. वर्दी देखते ही जोशी का जोश दोगुना हो गया. उनके साथ बैठकर अपनी यादें ताजा करने लगे. इस दौरान हर कोई उनको देख खुश हो रहा था. जोशी ने तत्कालीन ब्रिटीश भारतीय फौज की ओर से 1939 से 1945 तक दूसरा विश्व युद्ध लड़ा था. आजादी के बाद 1965 और 1971 के युद्ध के भी साक्षी रहे.