नई दिल्ली :मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह ने भ्रष्टाचार के मामले में महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख के खिलाफ कथित भ्रष्टाचार की सीबीआई जांच कराने की मांग करते हुए उच्चतम न्यायालय में दायर की गई याचिका वापस ले ली.
मामलों की सुनवाई न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति आर एस रेड्डी की पीठ कर रही है. पीठ ने मामले पर टिप्पणी करते हुए कहा कि यह अत्यंत गंभीर आरोप हैं. हालांकि, सिंह पहले उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाएं.
सिंह, 1988 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं. उन्होंने याचिका के जरिए न्यायालय से मुंबई के पुलिस आयुक्त पद से उनके तबादले को 'मनमाना' और 'गैरकानूनी’ होने का आरोप लगाते हुए इस आदेश को रद्द करने का भी अनुरोध किया है.
सिंह ने एक अंतरिम राहत के तौर पर अपने तबादला आदेश पर रोक लगाने और राज्य सरकार, केंद्र तथा सीबीआई को देशमुख के आवास की सीसीटीवी फुटेज फौरन कब्जे में लेने के लिए निर्देश देने का अनुरोध किया है.
उन्होंने अपनी याचिका में कहा है, याचिकाकर्ता ने साक्ष्यों को नष्ट कर दिये जाने से पहले, महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख के कदाचार की पूर्वाग्रह रहित, अप्रभावित, निष्पक्ष और स्वतंत्र जांच कराने का इस अदालत से अनुरोध करते हुए रिट अधिकार क्षेत्र का सहारा लिया है.
सिंह ने आरोप लगाया है, देशमुख ने अपने आवास पर फरवरी 2021 में वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की अनदेखी करते हुए अपराध खुफिया इकाई, मुंबई के सचिन वाजे और समाज सेवा शाखा, मुंबई के एसीपी संजय पाटिल सहित अन्य पुलिस अधिकारियों के साथ बैठक की तथा उन्हें हर महीने 100 करोड़ रुपये की वसूली करने का लक्ष्य दिया था. साथ ही, विभिन्न प्रतिष्ठानों एवं अन्य स्रोतों से भी उगाही करने का निर्देश दिया था.
सिंह ने कहा है कि इस बारे में विश्वसनीय जानकारी है कि टेलीफोन बातचीत की निगरानी के आधार पर पदस्थापना/तबादला में देशमुख के कदाचार को 24-25 अगस्त 2020 को राज्य खुफिया विभाग की खुफिया आयुक्त रश्मि शुक्ला ने पुलिस महानिदेशक के संज्ञान में लाया था, जिन्होंने इससे अतिरिक्त मुख्य सचिव, गृह विभाग, महाराष्ट्र सरकार को अवगत कराया था.