देहरादून (उत्तराखंड):आगामी 22 जनवरी को रामलला अपने मंदिर में विराजमान हो रहे हैं. जिसे लेकर देश के कोने-कोने में उत्साह का माहौल है. ऐसे में आज आपको एक ऐसे अधिकारी से रूबरू कराने जा रहे हैं, जिन्होंने फैजाबाद अब अयोध्या में बतौर कमिश्नर अपनी सेवाएं दी. जिन्हें खुद अटल बिहारी वाजपेयी ने अयोध्या में शांति बहाल और समन्वय बनाने के लिए भेजा था. अयोध्या राम मंदिर या कहें राम जन्मभूमि पर पहली बार पहुंचने के बाद उनकी जिंदगी में बड़े बदलाव भी आए. ये अधिकारी हैं शत्रुघ्न सिंह.
फैजाबाद के कमिश्नर पद पर तैनात रहे आईएएस अधिकारी शत्रुघ्न सिंह आगे चलकर उत्तराखंड के मुख्य सचिव बनाए गए. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान उन्होंने फैजाबाद से लेकर उत्तराखंड और फिर अयोध्या में मौजूदा समय में दे रहे अपनी सेवाओं के बारे में खुलकर बात की. राम जन्मभूमि और मंदिर से जुड़े तमाम किस्से एवं हकीकत भरी कहानियों के बारे में आपको बताएं, उससे पहले पूर्व आईएएस अधिकारी शत्रुघ्न सिंह के बारे में आपको बताते हैं.
बता दें कि शत्रुघ्न सिंह साल 1983 बैच के आईएएस ऑफिसर हैं. वे उत्तराखंड के 13 वें मुख्य सचिव बने. इसके साथ ही उत्तर प्रदेश में लंबी सेवाओं में रहे शत्रुघ्न सिंह साल 2000 में फैजाबाद के कमिश्नर बने. जबकि, जिस वक्त राम मंदिर का आंदोलन हुआ, उस वक्त यानी साल 1991 में वे मुजफ्फरनगर में तैनात थे. ऐसे में उन्होंने राम जन्मभूमि से जुड़े आंदोलन और विवाद को करीब से देखा. ऐसे में फैजाबाद तैनाती के दौरान उनके अनुभवों लेकर उत्तराखंड के ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ किरणकांत शर्मा ने उनसे फोन पर बातचीत की. जिसमें कई रोचक बातें भी सामने आई.
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सवाल- आप जब फैजाबाद में कमिश्नर थे, तब आपकी क्या भूमिका थी?
जवाब- बात साल 2000 की है, जब वो फैजाबाद में बतौर कमिश्नर के रूप में तैनात हुए थे. उस वक्त कमिश्नर का सबसे ज्यादा काम बाबरी मस्जिद और राम मंदिर के आसपास की व्यवस्था को देखना था. उन्हें याद हैं कि आज से करीब 24 साल पहले उनकी वहां पर तैनात थी.
उस दौरान ज्यादातर मामले जमीन से संबंधित, बीएचपी और दूसरे संगठनों के आते थे. इसमें सबसे ज्यादा विवाद तथाकथित बाबरी मस्जिद और राम जन्मभूमि का ही था. मेरा काम यही था कि दोनों ही समुदायों में समन्वय बना कर रखा जाए. उस वक्त भारत सरकार ने एक तरह से रिसीवर के तौर पर मुझे वहां पर तैनात किया था. वो अपनी पूरी रिपोर्ट उत्तर प्रदेश और केंद्र सरकार को दिया करते थे.
खास बात ये थी कि उन्हें उस वक्त एक अहम जिम्मेदारी दी गई थी. जिसे याद कर गौरवान्वित महसूस करते हैं. उन्हें रामलाल की पूजा पाठ, भोग प्रसाद और यात्रियों की देखरेख की जिम्मेदारी मिली थी. ऐसे में बतौर एक कमिश्नर उनका एक कर्तव्य था कि वहां की व्यवस्थाओं को अच्छी तरह से चलाया जाए. उनके रहते हुए वहां पर इस तरह की कोई भी घटना नहीं हुई.
सवाल- क्या आपकी तैनाती के दौरान अयोध्या के लोगों के बीच कभी विवाद हुआ?
जवाब:शत्रुघ्न सिंह बताते हैं कि, उन्हें पहली बार किसी संत से बात करने का भी अवसर मिला. दिगंबर अखाड़े के रामचंद्र परमहंस और नृत्य गोपाल दास ये दो ऐसे नाम थे, जिनके संघर्ष के बारे में सुना ही था. जब उनसे मुलाकात हुई तो कई तरह की चर्चाएं की. जिस पर उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया दी. उस दौरान वो तनावपूर्ण माहौल में ड्यूटी के दौरान दोनों पक्षों के साथ उठता बैठते थे. क्योंकि, यह उनका काम था.
आगे शत्रुघ्न सिंह ने बड़ी रोचक बात बताई. उन्होंने कहा कि 'असल में अयोध्या में कभी दो पक्षों में विवाद हुआ ही नहीं. अयोध्या के अंदर रहने वाले लोग बेहद मिलजुल कर रहा करते थे. कभी भी वहां पर दो समुदायों के बीच कोई झगड़ा नहीं हुआ. हां इतना जरूर है कि भले ही वो हिंदू हो या मुसलमान. वो बाहर से आने वाले लोगों को लेकर थोड़े चिंतित जरूर रहते थे. वरना अयोध्या के स्थानीय लोग आपस में कभी नहीं झगड़े.'
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