नई दिल्ली : दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव में सत्ता परिवर्तन करने वाले डेमाेक्रेट नेता जो बाइडेन विश्वभर में चर्चा में हैं. बाइडेन को 50 प्रतिशत से अधिक लोकप्रिय वोट मिले हैं, जबकि निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप 48 प्रतिशत वोट ही हासिल कर सके हैं. जो बाइडेन की जीत को बहुत सकारात्मक रूप से देखा जा रहा है और दुनिया के अधिकांश देशों द्वारा इसका पूरे दिल से स्वागत किया जा रहा है.
बाइडेन की जीत के भारत, चीन और विश्व के लिए क्या मायने हैं, पूरी दुनिया के राजनीतिक परिदृश्य पर इसका क्या असर होगा, इस पर पूर्व राजनयिक अशोक सज्जनहार ने ईटीवी भारत से अपने विचार साझा किए.
सज्जनहार ने कहा, अमेरिका के 46वें राष्ट्रपति के रूप में जो बाइडेन का चुना जाना वैश्विक परिदृश्य में बड़ा परिवर्तन है. राष्ट्रपति ट्रंप जिनकी नीतियों, तेजतर्रार कार्यशैली और व्यवहार से यूरोपियन देश, नाटो देश ही नहीं बल्कि पड़ोसी देश भी नाखुश थे. कनाडा, मैक्सिको, जापान, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण कोरिया कोई इससे नहीं बचा. ऐसे में पहला बड़ा बदलाव ये होने वाला है कि संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके गठबंधन सहयोगियों और अन्य देशों के बीच एक सामान्य राजनयिक आदान-प्रदान होने जा रहा है. ऐसे में संबंधों को लेकर विश्व में स्थिरता आएगी.
पूर्व राजनयिक अशोक सज्जनहार से बातचीत ट्रंप विदेश नीतियों का संचालन सही से नही कर पा रहे थे. हालांकि बाइडेन के लिए भी चुनौतियां कम नहीं हैं, लेकिन वह इससे पार पा लेंगे, क्योंकि वाणिज्य और रक्षा विभाग में बड़े बदलाव की तैयारी में हैं. जलवायु परिवर्तन समझौते पर दस्तखत करवाना और लागू करवाना पहली चुनौती होगी. उम्मीद है अमेरिका डब्ल्यूएचओ से फिर जुड़ेगा. सीमा शुल्क जैसे मुद्दे सुलझेंगे.
भारत को उम्मीद मजबूत होंगे संबंध
भारत ने बाइडेन और कमला हैरिस की जीत का स्वागत किया है. पीएम मोदी ने पूरा भरोसा जताया है कि बाइडेन के कार्यकाल में अमेरिका के साथ भारत के संबंध और भी मजबूत होंंगें. जो बाइडेन हमेशा भारत के साथ एक मजबूत रिश्ते के समर्थक रहे हैं चाहे वह भारत-अमेरिका परमाणु समझौते में हो या भारत को प्रमुख रक्षा साझेदार के रूप में नामित किया गया हो. बाइडेन काफी मददगार रहे हैं और यह आगे भी जारी रहेगा. जहां तक रक्षा साझेदारी का संबंध है, संबंध मजबूत होंगे. कृषि, ऊर्जा, साइबर सुरक्षा, शिक्षा के क्षेत्र में भी संबंध बेहतर होने की संभावना है. यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि पाकिस्तान पर अमेरिका का क्या रुख रहेगा. जहां तक व्यापार के मुद्दों का संबंध है, भारत को व्यापार से जुड़े मुद्दों पर कुछ राहत मिलने की उम्मीद है. इमिग्रेशन वीजा पर भी भारत को राहत मिलेगी संयुक्त राज्य अमेरिका को भारत की उतनी ही आवश्यकता है जितनी भारत को. चीन से निपटने में भी अमेरिका मददगार रहेगा.
ताइवान मसला बढ़ा सकता है भारत की चिंता
जहां तक चीन से खतरे की बात है ये देखना दिलचस्प होगा कि बाइडेन उससे कैसे निपटते हैं. चीन के खिलाफ पुश बैक जारी रह सकता है, लेकिन रणनीति बदली होगी. बीते महीनों में चीन से जिस तरह का तनाव भारत का चल रहा है. भारत ने जिस तरह का स्टैंड लिया है. ट्रंप के समय में भारत को पूरा समर्थन मिला है. बाइडेन के समय में भी ऐसी उम्मीद की जा सकती है. पड़ोसी देशों पर चीन की तानाशाही का बाइडेन विरोध करते रहे हैं. ऐसे में चीन को बढ़ावा मिलने की उम्मीद नहीं है. हालांकि चीन अब ताइवान मसले पर दबाव बढ़ा सकता है. अमेरिका का रुख बदला तो ये भारत के लिए चिंता का कारण हो सकता है.
डेमोक्रेट्स के बयान में आएगा बदलाव
आतंकवाद के मुददे पर हमेशा ट्रंप पाकिस्तान पर सख्त रहे हैं. आतंकियों की फंडिंग रोकने के लिए पाकिस्तान पर दबाव बनाते रहे. पाकिस्तान वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) की ग्रे लिस्ट में बना रहा. कश्मीर मुद्दे.अनुच्छेद 370, कश्मीर में मानवाधिकारों को लेकर डेमोक्रेट्स के जो बयान रहे हैं, अब उनमें बदलाव आने की उम्मीद है.