बेंगलुरु : पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने 2018 में जद (एस)-कांग्रेस शासन के दौरान महत्वाकांक्षी 'कंपीट विद चाइना' नीति की घोषणा की थी. यह परियोजना शुरू की गई थी लेकिन फिर भी इसे अभी तक पूरी तरह से लागू नहीं किया गया है. क्योंकि येदियुरप्पा की सरकार ने इसे ज्यादा महत्व नहीं दिया.
'कंपीट विद चाइना' नीति चीनी उत्पादों का बहिष्कार करने और स्थानीय उत्पादों को वरीयता देकर उनसे प्रतिस्पर्धा करने की थी. पिछले साल-२०२० में जब भारत-चीन सीमा गतिरोध की पृष्ठभूमि में चीनी उत्पादों के बहिष्कार का आह्वान किया गया उस दौरान कुमारस्वामी ने एक ट्वीट में कहा, मेरा उद्देश्य स्थानीय निवासियों को नौकरी देना, चीन के लिए बाजार के अवसरों को छीनना और चीनी उत्पादों को त्यागना था. हालांकि, वर्तमान सरकार ने हमारी योजना के लिए क्या किया है? यह नहीं पता है कि यह अभी भी जारी है या नहीं.
एचडी कुमारस्वामी ने 2018 के राज्य बजट में इस नीति की घोषणा की थी. उन्होंने इसके लिए 9 जिलों को औद्योगिक क्लस्टर जोन के रूप में चुना और सरकार द्वारा प्रत्येक जिले को दो हजार करोड़ रुपये देने का फैसला किया था. योजना को निजी क्षेत्रों से 3 हजार करोड़ रुपये के निवेश को आकर्षित करने के लिए डिजाइन किया गया था. लक्ष्य उत्पादों को क्लस्टरवार (clusterwise) विकसित करना था, जैसे खिलौना, मोबाइल उपकरण, बाथरूम और बिजली के उपकरण आदि.