नई दिल्ली : हरिद्वार में हुई धर्म संसद के दौरान कुछ साधु-संतों के भाषण को लेकर विवाद जारी है. सुप्रीम कोर्ट भी इससे जुड़ी याचिका पर सुनवाई के लिए तैयार हो गई है. हालांकि, पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एसवाई कुरैशी मानते हैं कि इस मामले में कार्यपालिका को जिस तरह की कार्रवाई करनी चाहिए थी, वैसा कुछ भी नहीं किया गया. ईटीवी भारत के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में कुरैशी ने कहा कि जिस तरह की चर्चाएं वहां पर हुईं हैं, सरकार को कानून के कड़े प्रावधानों के तहत कार्रवाई करनी चाहिए थी. यह अफसोस की बात है, कि इस मामले में तत्परता नहीं दिखी. क्या हो रहा है, लोगों को सब दिख रहा है.
कुरैशी ने दो टूक कहा कि इन लोगों को सत्ता का संरक्षण मिला हुआ है. चारों ओर जिस तरह से इस मुद्दे पर चुप्पी है, यह बहुत ही चिंताजनक है. बल्कि आप कहिए कि यह 'चुप्पी' भी तो 'संलिप्तता' ही है. किसी ने निंदा तक नहीं की है, इससे अफसोसनाक बात और क्या हो सकती है. एक दिन पहले रविवार को बसपा सुप्रीमो मायावती ने राजनीति में धर्म के प्रयोग पर चिंता व्यक्त की थी. उन्होंने चुनाव आयोग से इस मामले में कार्रवाई करने की भी अपील की. दरअसल, जिस दिन यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने एक भाषण के दौरान कहा था कि यूपी में 80 पर्सेंट वर्सेस 20 पर्सेंट चुनाव में देखने को मिलेगा, उसके ठीक अगले दिन धर्म संसद में विवादास्पद भाषण दिया गया.
इससे जुड़ा सवाल जब कुरैशी से किया गया, तो उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को सजग रहना होगा. अगर कोई नियमों का उल्लंघन करता है, तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करनी होगी. आयोग को किसी तरह की ढिलाई या लचीला रूख नहीं अपनाना चाहिए. और वैसे भी चुनाव की घोषणा होते ही कानून एवं व्यवस्था की जिम्मेदारी चुनाव आयोग के पास चली आती है. कोई भी किसी तरह का बयान देता है, तो आयोग उनके खिलाफ कदम उठाने के लिए पूरी तरह से स्वतंत्र है.