दावणगेरे : कुछ मंदिरों के प्रशासन ने भले ही कर्नाटक (Durga Devi Fair In Davanagere) के कुछ मंदिरों में गैर-हिंदुओं को मेलों और मंदिरों के परिसर में व्यापार करने की अनुमति नहीं दे रहे हों. लेकिन कर्नाटक के ही दावणगेरे के दुर्गा मंदिरों में हर दो साल पर लगने वाले मेले में किसी को भी व्यापार करने की छूट है. दावणगेरे में हर दो साल में एक बार दो सप्ताह के लिए मां दुर्गा की उपासना को लेकर मेला लगता है. उल्लेखनीय है कि हिंदू-गैर हिंदू व्यापारी मित्रवत तरीके से व्यापार कर रहे हैं.
दावणगेरे की देवी (The Goddess of Davangere) ने हिंदू और गैर हिंदुओं दोनों को आश्रय दिया है. मेले में गैर हिंदुओं को बिना किसी भेदभाव के व्यापार करने की अनुमति है. मेला शुरू हुए एक सप्ताह बीत चुका है. हिंदू-गैर हिंदू व्यापारी एक-दूसरे के साथ सांप्रदायिक सद्भाव में व्यापार कर रहे थे और उन लोगों को संदेश भेजते थे जिन्होंने मैंगलोर और उडुपी मेलों में गैर हिंदुओं को अनुमति नहीं दी थी.
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दुर्गम्भिका देवी जातरा समिति (Durgambhika Devi Jathra Committee) ने मेले में गैर-हिंदुओं को भी उचित भुगतान करके स्टाल लगाने की अनुमति दी है. 10,000 हिंदू-गैर हिंदू समुदाय के व्यापारियों ने मेले में बुटीक, खिलौने की दुकान, किराने की दुकान और बहुत कुछ लगाया है. यह मेला व्यापार के अनुकूल हैं. कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि मैंगलोर, उडुपी, शिमोगा और बेंगलुरु में फलफूल रहे धार्मिक उन्माद का असर दावणगेरे में नहीं है.
मर्चेंट शीला ने ईटीवी को बताया कि हमने दुर्गम्भिका देवी जातरा में दुकानें रखीं. हिंदू और गैर हिंदू का कोई भेद नहीं है. हम एकजुटता से व्यापार कर रहे हैं. हम सभी मेलों में इसी तरह व्यापार करते हैं. बिना किसी धार्मिक भेदभाव के हम व्यापार करते हैं. सभी अपने पेट के लिए काम कर रहे हैं. धर्म के लिए लड़ने से कोई लाभ नहीं है. चूड़ी व्यापारी, नजरुल्ल ने कहा कि मंदिर समिति ने हमें जगह दी है. उन्होंने कभी हिंदू और गैर हिंदू के बीच अंतर नहीं किया. यहां कोई हंगामा नहीं है. समिति ने हमें सुरक्षा दी है. यहां कोई नहीं कहता कि गैर हिंदू दुकानों पर मत जाओ. यहां की ज्यादातर दुकानें गैर हिंदूओं की हैं. कोई भेदभाव नहीं है. हमें आपस में नहीं लड़ना चाहिए.