नई दिल्ली : इब्राहिम अलक़ाज़ी (Ibrahim Alqazi) लंदन के प्रतिष्ठित रॉयल एकेडमी ऑफ ड्रामेटिक आर्ट्स (राडा) से प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके थे. बंबई को ही उन्होंने अपनी रंगमंचीय गतिविधियों का केंद्र बनाया था, जिसमें प्रदर्शन और प्रशिक्षण दोनों ही शामिल था. इब्राहिम अलक़ाज़ी की प्रस्तुतियों (Ibrahim Alqazi Drama) की रेंज बहुत व्यापक थी, जिसमें 'अंधा युग', 'आषाढ़ का एक दिन', 'तुगलक' की प्रस्तुति शामिल हैं. अलक़ाज़ी ही वो चहेरा थे, जिन्होंने भारत में दर्शकों को रंगमंच तक ले आने की पहल की.
इब्राहिम अलक़ाज़ी (Ibrahim Alqazi NSD) के व्यक्तित्व में प्रशिक्षक झलकता था. शायद इसलिए ही वह थिएटर में भी प्रशिक्षण और शिक्षा की साझेदारी को ज्यादा महत्व देते थे और शायद इसलिए भी अलक़ाज़ी अभिनेताओं को रंगमंच पर प्रस्तुती दने से पहले उनकी आवाज़ (Ibrahim Alqazi Training), रंग भाषण, शरीर, दिमाग़, सोच आदि सब कुछ में प्रशिक्षित करने का पाठ्यक्रम को विकसित किया करते थे.
अलक़ाज़ी विश्व की सभी रंग परंपराओं से अवगत थे, उनका मानना था कि आधुनिक समय में कला वह स्थल है, जहां देश की सीमायें धुंधली हो जाती हैं. उनकी यह सोच उन पर शायद इसलिए भी हावी थी, क्योंकि उनका बचपन विभिन्न अस्मिताओं और विभिन्न सामाजिक सरंचना से होकर गुजरा था.
दरअसल, इब्राहिम अल-क़ाज़ी अरबी मां-बाप की संतान थे, उनका जन्म पुणे में हुआ और कार्यक्षेत्र बंबई और दिल्ली रहा. ऐसे में उनके घर में अरबी, उर्दू, हिन्दी, मराठी, गुजराती मिलाकर यह सभी प्रमुख भाषाओं का उपयोग किया जाता था (Ibrahim Alqazi Delhi).