नई दिल्ली : तारीख थी 7 जनवरी 1999, जगह फिरोजशाह कोटला मैदान (Arun Jaitley Stadium) भारत के सामने चिर प्रतिद्वंद्वी पाकिस्तान की टीम थी, जिसे मैच जीतने के लिए 420 रन बनाने थे. पाकिस्तान के ओपनर बल्लेबाज भारतीय गेंदबाजों की जमकर (Positive Bharat Podcast anil kumble) खबर ले रहे थे. ओपनर शाहिद अफरीदी और सईद अनवर मैदान में थे, दोनों 101 रनों की पार्टनरशिप कर चुके थे. दोनों बल्लेबाज ना सिर्फ विकेट संभाल कर रखा था, बल्कि तेजी से रन भी बना रहे थे. जनवरी की कड़कड़ाती ठंड में भी भारतीय गेंदबाजों को पाकिस्तानी बल्लेबाजों को आउट करने में पसीने छूट रहे थे. जब एक समय ऐसा लगा कि भारत के हाथ से मैच फिसल रहा है उसी समय टीम इंडिया के कप्तान ने गेंद अनिल कुंबले को सौंप दी (Positive Bharat Podcast). उसके बाद पर जो हुआ वह इतिहास बन गया.
अनिल कुंबले ने पूरी तैयारी के साथ मैदान में कदम रखा और आते ही शाहिद आफरीदी को आउट कर दिया, भारतीय टीम का जोश बढ़ा और अनिल की हिम्मत, फिर उसके बाद पाकिस्तान के 6 विकेट पवेलियन लौट चुके थे. कुंबले लगातार विकेट ले रहे थे और उनके सामने पाकिस्तानी बल्लेबाज बेबस नजर आ रहे थे (anil kumble biography). 61वें ओवर में वसीम अकरम के आउट होते ही उन्होंने टेस्ट क्रिकेट में इतिहास रच दिया. उनसे पहले मात्र एक बार ही टेस्ट क्रिकेट की एक पारी में किसी गेंदबाज ने 10 विकेट लिए थे. पर अब इतिहास नई शाही से दोबारा लिखा जा चुका था.
अनिल कुंबले से जुड़ा दूसरा मशहूर किस्सा, 20 मई 2002 को एंटीगुआ टेस्ट मैच का है, जब भारत और वेस्टइंडीज आमने सामने थे. वाकई में इस किस्से से अनिल कुंबले ने खेल भावना की अनूठी मिसाल कायम की. दरअसल मैच के दौरान वेस्टइंडीज के खिलाड़ी मर्विन डिल्लन ने एक जोरदार शॉट लगाया जो सीधे बल्लेबाजी करते हुए अनिल कुंबले के जबड़े से जा लगा.
अनिल कुंबले का जबड़ा गेंद लगने के कारण पूरी तरह से टूट गया. उनका चेहरा पूरा लहूलुहान था, सभी को लग रहा था शायद अब इस मैच में अनिल कुंबले ना खेल पाएं, ऐसी हालत में आमतौर पर खिलाड़ी रेस्ट मोड में चले जाते हैं, ताकि किसी तरह की शारीरिक क्षति का शिकार ना हो, लेकिन उस दिन अनिल ने जो किया, वो हैरान के साथ-साथ परेशान करने वाला था, कई दर्शक और मैदान में मोजूद उनके सह-खिलाड़ी उन्हें पवेलियन लौट जाने को कह रहे थे, लेकिन अनिल ने अपने दर्द की परवाह ना करते हुए, इस मैच और टीम को प्राथमिकता दी, औऱ 20 मिनट में अनिल की मैदान में वापसी हुई. उनके चेहरे पर बैंडेज और पट्टियाँ बंधी थीं. लेकिन इसके बाद भी उन्होंने गेंदबाजी जारी रखी. क्रिकेट के इतिहास में ये सबसे प्रेरणादायक पलों में से एक पल था. देश के लिए प्रेम और खेल भावना की ये अनूठी मिसाल थी, जिसे अनिल कुंबले ने सबके सामने पेश किया था.
बहुत पुरानी कहावत है,जिद करो दुनिया बदलो, आप भी अपनी जिंदगी बदल सकते हैं, बस लक्ष्य तय करने की जरूरत है.. उसे पाने की कोशिश में लगे रहिए..जिद्दी हो जाइये, जब तक न मिले, तब तक हिम्मत मत हारिए, मुश्किले आएंगी, परेशानियों से निपटिए, लेकिन डटे रहिए, एक दिन मंजिल मिल ही जाएगी.