नई दिल्ली: आज़ाद हिन्द फौज (Azad Hind Fauj) का गठन पहली बार राजा महेन्द्र प्रताप सिंह (Raja Mahendra Pratap Singh Azad Hind Fauj) द्वारा 29 अक्टूबर 1915 को अफगानिस्तान में किया गया था. मूलरूप से उस वक्त यह आजाद हिन्द सरकार (azad hind Sarkar) की सेना थी, जिसका लक्ष्य अंग्रेजों से लड़कर भारत को स्वतंत्रता (India Freedom) दिलाना था. जब दक्षिण-पूर्वी एशिया में जापान (Subhash Chandra Bose Japan) के सहयोग द्वारा नेताजी सुभाष चंद्र बोस (Subhash Chandra Bose) ने करीब 40,000 भारतीय स्त्री-पुरुषों की प्रशिक्षित सेना का गठन शुरू किया. इस सेना को भी आजाद हिन्द फौज का नाम दिया गया. नेताजी आज़ाद हिन्द फौज के सर्वोच्च कमांडर (Azad Hind Fauj Commander Subhash Chandra Bose) बनें.
नेताजी सुभाष चंद्र बोस की अगुवाई में बनी आजाद हिंद फौज का एक ही लक्ष्य था, देश की स्वाधीनता. सेना के फौजियों का जुनून ऐसा, कि अच्छे से अच्छों की रूह कांप जाए.
सुभाष चंद्र बोस के नेतृत्व में उस वक्त फौज में 85,000 (Azad Hind Fauj Soldier) सैनिक शामिल थे. इसमें कैप्टन लक्ष्मी स्वामीनाथन के नेतृत्व वाली महिला यूनिट भी थी. पहले इस फौज में उन भारतीय सैनिकों को लिया गया था, जो जापान की ओर से बंदी बना लिए गए थे. बाद में अन्य देशों के भारतीय स्वयंसेवक भी भर्ती किये गये.