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Positive भारत Podcast : हौसले और हिम्मत से पूरी दुनिया में भारत का तिरंगा लहराया

आज के पॉडकास्ट में सुनिए कहानी राजीव गांधी खेल रत्न से नवाजी गईं भारतीय पैरा एथलीट दीपा मलिक की, जिन्होंने अपनी खेल प्रतिभा के प्रदर्शन के साथ ही जिंदादिली की मिसाल पेश की.

ETV BHARAT PODCAST
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Published : Aug 12, 2021, 6:42 PM IST

नई दिल्ली : आमतौर पर व्हीलचेयर पर बैठे किसी इंसान को देख, हमारे दिल में उसके लिए हमदर्दी का भाव आता है. हम उसके दर्द और परेशानियों को समझने की कोशिश करते हैं, हम महसूस करना चाहते हैं कि उस शख्स पर क्या बीती होगी, लेकिन यह काफी हद तक उस शख्स पर भी निर्भर करता है कि वह दुनिया के सामने अपनी कैसी पहचान बनाता है. कई इसे महज अपनी कमजोरी समझ बैठते हैं, तो कई इसी के बल पर दुनिया में अपनी अलग और अनोखी पहचान बनाते हैं.

आज के पॉडकास्ट में कहानी एक ऐसे चेहरे की, जिसने हंसते हुए अपने साथ बीत रहे हर मुश्किल दौर का सामना किया, जिसने अपने हौसले और हिम्मत से पूरी दुनिया में भारत का तिरंगा लहराया, आज के पॉडकास्ट में कहानी राजीव गांधी खेल रत्न से नवाजी गईं भारतीय पैरा एथलीट दीपा मलिक की.

Podcast : आज कहानी पैरा एथलीट दीपा मलिक की

साल 29 अगस्त 2019, दिल्ली के राष्ट्रपति भवन का दरबार हॉल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज रहा था, स्टेज पर खड़ा एनाउंसर एक के बाद एक कर पैरा एथलीट दीपा मलिक की कहानी-किस्से, खेल, कारनामे और उपलब्धियों की फेहरिस्त लोगों के सामने रखता जा रहा था. इस दृश्य का गवाह बने दर्शकों के जेहन में बस एक सवाल था कि आखिर कैसे? आखिर कैसे एक दिव्यांग महिला जिसका निचला हिस्सा पुरी तरह से लकवाग्रस्त हो चुका हो, वो इन बुलंदियों को हासिल कर सकती है.

पैरा एथलीट दीपा मलिक का यह सफर इतना आसान नहीं था. आज जानते हैं कि इस सफलता के सफर की असली शुरुआत कहां से हुई. दरअसल दीपा का जन्म 30 सितंबर 1970 को हरियाणा में हुआ था, ऐसे में दीपा स्कूली दिनों से ही खेलकुद में रुचि रखती थीं. लेकिन कभी इसे करियर बनाने का नहीं सोचा. दीपा की शादी 19 साल की उम्र में ही हो गई, ऐसे में घर-गृहस्ती की जिम्मेदारी भी उनके सिर आ गई. सबकुछ अच्छा चल रहा था, तभी दूसरे बच्चे के जन्म के दौरान उन्हें कुछ शारीरिक परेशानियां शुरू हुई. कमर में दर्द रहने लगा था, पैरों में अकड़न शुरू हो गई थी, जिसके बाद दीपा ने अपनी जांच कराई, शुरुआती जांच में दीपा की रीढ़ में ट्यूमर पाया गया, जिसके बाद दीपा का दिल्ली में इलाज शुरू हुआ. उनके 3 ऑपरेशन किए गए, जिसके लिए उनकी कमर और पांव के बीच 180 से ज्यादा टांके लगे, लेकिन तभी एक बुरी खबर मिली, डॉक्टर ने बताया कि दीपा के कमर से नीचे का हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया है और अब वह कभी चल नहीं पाएंगी. जिसके बाद दीपा व्हीलचेयर पर बैठने को मजबूर हो गई.

ऐसे वक्त में आमतौर पर इंसान के पास दो रास्ते होते हैं, या तो वह सारी उम्मीदें छोड़ कर किस्मत पर निर्भर रहे, या फिर वह खुद अपनी किस्मत बनाए. दीपा ने दूसरा रास्ता चुना. उन्होंने अपनी खेल प्रतिभा के जरिए खुद को योग्य साबित किया और देश-विदेश के स्तर पर हुए कई खेल प्रतियोगिता में अच्छे प्रदर्शन के साथ उम्दा उदाहरण बनी. इन प्रदर्शनों में स्विमिंग, एथलेटिक्स, मोटर रेसलर, जैवलिन थ्रो, शॉटपुट, चक्का फेंक सहित कई अन्य खेल शामिल है. दीपा ने अंतराष्ट्रीय स्पर्धाओं में 23 पदक, जबकी राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में 68 पदक अपने नाम किए हैं.

दीपा ने रियो ओलंपिक 2016 में भी शॉटपुट गेम में सिल्वर मेडल जीतकर भारत का मान वैश्विक स्तर पर बढ़ाया. जिसके लिए उन्हें खेल रत्न अवॉर्ड दिया गया था. तो यह थी भारतीय पैरा एथलीट दीपा मलिक की कहानी जिन्होंने असहाय स्थिति में व्हीलचेयर को हिम्मत बनाकर ओलिंपिक पोडियम तक का रास्ता तय किया.

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