नई दिल्ली : करगिल युद्ध को हुए 2 दशक से भी ज्यादा वक्त बीत चुका है, वर्ष 1999 में भारतीय सेना ने पाक के नापाक मंसूबों का मुंहतोड़ जवाब दिया था. मई से जुलाई 1999 के बीच करीब दो माह तक ऑपरेशन विजय के नाम से चले करगिल युद्ध में कई देश के कई वीरों ने अपनी भारत मां के लिए बलिदान दिया था, आज के पॅाडकास्ट में कहानी इंडियन आर्मी के सबसे खतरनाक कोबरा कमांडो में से एक दिगेन्द्र कुमार सिंह की.
राजस्थान के सीकर निवासी दिगेन्द्र कुमार सिंह ने करगिल में अदम्य साहस और वीरता का ऐसा उदाहरण पेश किया, जिस पर हिन्दुस्तान आज भी गर्व करता है. 1999 के करगिल युद्ध में 5 गोलियां लगने के बाद भी दिगेन्द्र कुमार ने पाकिस्तान के 48 फौजी मार गिराए और पाक मेजर अनवर खान का सिर काटकर तिरंगा फहरा दिया. मई 1999 में जम्मू कश्मीर के द्रास सेक्टर में करगिल युद्ध स्मारक के ठीक सामने स्थित तोलोलिंग की पहाड़ी को पाक के हजारों सैनिकों ने घुसपैठ कर कब्जा जमा लिया था.
तोलोगिंग को मुक्त करवाने में भारतीय सेना की 3 यूनिट फेल हो गई थी. एक यूनिट के 18, दूसरी के 22 और तीसरी यूनिट के 28 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे. तोलोलिंग पर विजय पाना भारतीय सेना के लिए चुनौती बन गया था. तब भारतीय सेना की सबसे बेहतरीन बटालियन को तोलोलिंग को मुक्त करवाने की जिम्मेदारी सौंपने का फैसला लिया गया और 300 किलोमीटर दूर कुपवाड़ा से सिपाहियों की 2 राज रिफ बटालियन को द्रास बुलाया गया, जिसमें दिगेन्द्र कुमार सिंह भी शामिल थे.