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राहु-केतु का राशि परिवर्तन, 18 साल बाद मेष और तुला में करेंगे गोचर

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों का राशि परिवर्तन बेहद महत्वपूर्ण माना गया है. ग्रहों के राशि परिवर्तन का प्रभाव सभी राशि के जातकों पर पड़ता है. ईटीवी भारत धर्म में आज हम इसी पर बात करेंगे. ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास से जानेंगे कि राहु और केतु के राशि परिवर्तन का क्या प्रभाव पड़ेगा.

Effect of Rahu Transit in Aries
राहु का मेष राशि में गोचर का प्रभाव

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Published : Apr 3, 2022, 11:31 AM IST

नई दिल्ली:वैदिक ज्योतिष शास्त्र में ग्रहों का राशि परिवर्तन बहुत ही मायने रखता है, क्योंकि इसका प्रभाव सभी राशियों के जातकों पर होता है. साल 2022, कई ग्रहों के लिए राशि परिवर्तन का वर्ष होगा. इस वर्ष अप्रैल का महीना ग्रहों के राशि परिवर्तन के हिसाब से खास रहने वाला है. अप्रैल के महीने में शनि, गुरु और राहु-केतु काफी लंबे अंतराल के बाद राशि बदलेंगे.

ज्योतिषाचार्य डॉ. अनीष व्यास ने बताया कि अप्रैल के महीने में राहु-केतु करीब 18 महीने के बाद राशि बदलने वाले हैं. राहु-केतु का राशि परिवर्तन 11 अप्रैल को होगा. राहु-केतु दोनों ही छाया ग्रह माने गए हैं और ये हमेशा वक्री यानी उल्टी चाल से चलते हैं. 11 अप्रैल को राहु मेष राशि में और केतु तुला राशि में प्रवेश करेंगे. मौजूदा समय में राहु वृषभ राशि में और केतु वृश्चिक राशि में मौजूद हैं. 2022 से 18 साल पहले राहु-केतु मेष और तुला राशि में थे. मेष राशि का स्वामी मंगल ग्रह है और मंगल और राहु एक-दूसरे के शत्रु माने जाते हैं. वहीं तुला राशि का स्वामी शुक्र ग्रह है. शनि देव के बाद राहु-केतु सबसे ज्यादा दिनों तक किसी एक राशि में विराजमान रहते हैं. शनि जहां ढाई साल के बाद राशि परिवर्तन करते हैं तो वहीं राहु-केतु डेढ़ साल के बाद उल्टी चाल से चलते हुए राशि बदलते हैं.

18 साल बाद दोबारा से राहु-केतु मेष और तुला राशि में प्रवेश करने वाले हैं. वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मेष राशि के स्वामी ग्रह मंगल हैं और तुला राशि के स्वामी ग्रह शुक्र ग्रह हैं. जहां मंगल और राहु एक-दूसरे के प्रति शत्रुता का भाव रखते हैं, वहीं केतु और शुक्र ग्रह एक दूसरे के प्रति समान भाव के माने गए हैं. राहु-केतु के बारे में पौराणिक कथा काफी प्रचलित है कथा के अनुसार जब समुद्र मंथन हो रहा था तो राहु-केतु चुपके से मंथन के दौरान निकला अमृत पी लिया था. तब भगवान विष्णु मोहनी का रूप धारण करके सभी देवताओं को अमृतपान करा रहे थे जैसे ही उन्हें इस बात का आभास हुआ फौरन ही अपने सुदर्शन चक्र से राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया था. हालांकि इस दौरान राहु ने अमृत पान कर लिया जिसके कारण उसकी मृत्यु नहीं हुई. तभी से राहु को सिर और केतु को धड़ के रूप में माना जाता है.

राहु-केतु का असर:राहु के मेष राशि में जाने से देश-दुनिया में प्राकृतिक प्रकोप आने के योग बन सकते हैं. गर्मी की बढ़ोतरी होगी और वर्षा में कमी आ सकती है. वहीं राजनीति के क्षेत्र में उतार-चढ़ाव बना रहेगा जिससे जनता में तनाव बढ़ सकता है. केतु के तुला में होने से झूठी बातें ज्यादा तेजी से फैलेंगी और जनता को त्वचा रोगों का सामना करना पड़ सकता है. इसके अलावा, किसानों की फसलों पर टिड्डियों और अन्य कीटों का आक्रमण हो सकता है इसलिए किसानों को अतिरिक्त सावधानी रखनी होगी. देश-दुनिया में राजनीति अपने चरम पर हो सकती है और एक-दूसरे देश में तनाव काफी बढ़ जाता है. रोग बढ़ जाते है जिससे जनता का हाल बुरा हो जाता है.

राशियों पर असर :राहु-केतु की वजह से मेष, कर्क, कन्या, मकर राशि के लोगों को अतिरिक्त सतर्कता के साथ काम करना होगा, वर्ना हानि हो सकती है. वृष, सिंह, तुला, वृश्चिक, धनु, कुंभ राशि के लोगों के लिए समय लाभदायक रह सकता है. इन लोगों को धन लाभ के साथ ही मान-सम्मान मिल सकता है. मिथुन और मीन राशि के लिए समय सामान्य रह सकता है. इन लोगों को मेहनत के अनुसार फल मिलता रहेगा.

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उपाय :जिन जातकों की कुंडली में राहु-केतु अशुभ प्रभाव रखते हैं, उनको इससे बचने के लिए शनिदेव और भैरव भगवान की पूजा-अर्चना करनी चाहिए. इसके साथ ही हनुमान चालीसा का पाठ करने से भी राहु-केतु का प्रभाव नहीं रहता. इनके अशुभ प्रभाव से बचने के लिए जरूरतमंद लोगों को काले कंबल और जूते-चप्पल का दान करें. और किसी मंदिर में पूजन सामग्री अर्पित करें. इसके साथ ही माता दुर्गा और नाग पर नाचते हुए भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करें. साथ ही मंत्र 'ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' का जाप करें.

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