नई दिल्ली : टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की संसद सदस्यता खत्म हो गई. एथिक्स कमेटी ने उनके मामले में अपनी रिपोर्ट लोकसभा के पटल पर रखी. इसे लोकसभा में स्वीकार कर लिया गया. महुआ मोइत्रा को लोकसभा से निष्कासित करने के साथ ही उनकी संसद सदस्यता भी रद्द कर दी गई.
बता दें कि रिपोर्ट पेश होने से पहले ही महुआ ने कहा कि 'महाभारत का रण' अब शुरू होगा. एथिक्स कमेटी के अध्यक्ष विनोद सोनकर ने लोकसभा में शुक्रवार को अपनी रिपोर्ट रखी. पूरी रिपोर्ट 106 पन्ने की है. इस रिपोर्ट में बीएसपी सांसद दानिश अली पर मीडिया में गलतबयानी करने के भी आरोप लगाए गए हैं. एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा की लोकसभा सदस्यता रद्द करने की अनुशंसा की गई थी.
क्या कहा लोकसभा अध्यक्ष ने-यह एक पीड़ादायी फैसला है, लेकिन कई बार ऐसा करना पड़ता है. हम सदन में उच्च मर्यादा को कायम रखना चाहते हैं, ताकि हमारे लोकतंत्र की विशिष्ट पहचान बनी रहे.
कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी-आरोपी को अपनी पूरी बात रखने का समय नहीं दिया गया और न ही आरोप लगाने वालों का क्रॉस एग्जामिन किया गया. एथिक्स कमेटी यह तय नहीं कर सकती है कि उन्हें संसद से बर्खास्त किया जाए, यह सिर्फ सदन तय कर सकता है. हां, कमेटी अनुशंसा जरूर कर सकती है.
महुआ मोइत्रा को बोलने का मौका क्यों नहीं मिला- तृणमूल सांसदों ने स्पीकर से बार-बार अनुरोध किया कि वे महुआ मोइत्रा को बोलने का मौका देें. इस पर स्पीकर ने एक पुराना फैसला सामने रखा. स्पीकर ने कहा कि जब सोमनाथ चटर्जी स्पीकर थे, तब उन्होंने 10 सांसदों को अपना पक्ष रखने की अनुमति नहीं दी थी, उस समय उन्हें निष्कासित किया जाना था. उसी परिपाटी को यहां पर रखा जा रहा है. स्पीकर ने कहा कि वैसे भी सदस्य को कमेटी के सामने अपना पक्ष रखने का मौका मिल चुका है.
इस पर टीएमसी के सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा कि जिसने आरोप लगाए हैं, उनका क्रॉस एग्जामिनेशन नहीं हुआ. न तो हीरा नंदानी को कमेटी ने बुलाया. इसलिए पूरा मामला ही गलत है.
पूरे मामले पर कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने क्या कहा- महुआ मोइत्रा को अपना पक्ष रखने के लिए तीन से चार दिनों का समय दिया जाना चाहिए था.
क्या कहा कांग्रेस नेता कार्ति चिदंबरम ने.