दिल्ली

delhi

By

Published : May 31, 2022, 11:00 PM IST

ETV Bharat / bharat

Environment lover Ravindra Khaiwal: देश को प्रदूषण मुक्त बनाने की मुहिम में जुटे चंडीगढ़ के वैज्ञानिक रविंद्र खैवाल

चंडीगढ़ पीजीआई के प्रोफेसर रविंद्र खैवाल को देश के बेहतरीन वैज्ञानिकों की लिस्ट में 11वीं रैंक मिली है. पर्यावरण को लेकर किए गए रिसर्च के लिए रविंद्र खैवाल दुनिया के शीर्ष 200 वैज्ञानिकों की लिस्ट में शामिल हैं.

environment scientist professor ravindra khaiwal
environment scientist professor ravindra khaiwal

चंडीगढ़: पीजीआई के वैज्ञानिक प्रोफेसर रविंद्र खैवाल (scientist professor ravindra khaiwal) को देश के बेहतरीन वैज्ञानिकों की लिस्ट में 11वां रैंक मिला है. दुनिया भर में विज्ञान को लेकर काम करने वाली प्रतिष्ठित संस्था research.com की ओर से ये सूची जारी की गई है. वैज्ञानिक प्रोफेसर रविंद्र खैवाल को ये रैंक पर्यावरण को लेकर किए गए कार्यों के लिए दिया गया है. पर्यावरण को लेकर किए गए रिसर्च के लिए रविंद्र खैवाल दुनिया के शीर्ष 200 वैज्ञानिकों की लिस्ट में शामिल हैं.

ईटीवी भारत हरियाणा के साथ बातचीत में प्रोफेसर रविंद्र खैवाल ने बताया कि इस रैंकिंग के लिए कई तरह के नियम बनाए गए हैं. उन्हीं नियमों के आधार पर रैंकिंग तय की जाती है. जैसे- कौन से वैज्ञानिक ने अपने क्षेत्र में किस तरह की रिसर्च कर रहे हैं? उनके कितने रिसर्च पेपर पब्लिश हो चुके हैं? उनके रिसर्च का समाज पर कितना प्रभाव पड़ा है? या वो लोगों को किस हद तक अपनी रिसर्च से जोड़ पाए हैं. प्रोफेसर रविंद्र खैवाल ने कहा कि वो पर्यावरण को लेकर काम करते हैं.

देश को प्रदूषण मुक्त बनाने की मुहिम में जुटे चंडीगढ़ के वैज्ञानिक रविंद्र खैवाल

पर्यावरण पर रिसर्च करते हैं रविंद्र: रविंद्र ने कहा कि वो अपने विषय से जुड़े बहुत से रिसर्च पेपर पब्लिश करा चुके हैं. उनकी रिसर्च कई बातों पर निर्भर होती है. जैसे पर्यावरण में प्रदूषण को कैसे कम किया जाए. प्रदूषण से होने वाले दुष्प्रभावों, बीमारियों और मौतों को कैसे रोका जाए. रविंद्र ने इन मुद्दों पर काफी रिसर्च की है. रविंद्र का दावा है कि रिसर्च में उन्होंने कई ऐसे तरीके खोज निकाले, जिनसे हवा में प्रदूषण को कम किया जा सकता है. प्रदूषण से होने वाली बीमारियों और उनकी मौतों को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है.

वैज्ञानिक ने कहा कि उनके रिसर्च पेपर्स को ना सिर्फ केंद्र सरकार, बल्कि कई राज्यों की सरकारों ने भी अपनाया है. उनके रिसर्च को नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम में भी शामिल किया गया है. रविंद्र ने ना सिर्फ शहरों बल्कि गांव को लेकर भी रिसर्च की है. गांव में जो महिलाएं चूल्हे पर खाना बनाती हैं. रविंद्र ने उनको कुछ ऐसे तरीके सुझाए. जिससे महिलाओं पर धुएं का असर कम हो सके. जहां-जहां भी उनके बनाए तरीकों को अपनाया गया. वहां पर प्रदूषण में कमी देखी गई. इन्हीं रिसर्च की वजह से रविंद्र को कई अंतर्राष्ट्रीय अवॉर्ड भी मिल चुके हैं.

इन पुरस्कारों से किया जा चुका है सम्मानित

  • राष्ट्रीय पर्यावरण विज्ञान अकादमी (एनईएसए) ने साल 2007 में 'पर्यावरणविद: अराउंड द ग्लोब' पुरस्कार से सम्मानित किया.
  • प्रोफेसर रविंद्र खैवाल 'एल्सेवियर NASI-SCOPUS 2014' युवा वैज्ञानिक पुरस्कार के लिए फाइनलिस्ट थे.
  • साल 2018 में उन्हें यूएस डिपार्टमेंट ऑफ स्टेट, यूएसए द्वारा IVLP फैलोशिप अवॉर्ड से सम्मानित किया गया.
  • भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने सार्वजनिक स्वास्थ्य (पर्यावरण) में PN राजू ओरेशन अवॉर्ड-2019 से सम्मानित किया.
  • सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए उनकी सेवाओं के लिए उन्हें इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन (IAPSM), भारत ने 'प्रेसिडेंशियल अवॉर्ड 2021' से सम्मानित किया.

स्मोक फ्री एट पब्लिक प्लेसिस मुहिम: प्रोफेसर रविंद्र खैवाल ने कहा कि उन्होंने पंजाब के फतेहगढ़ साहिब में 'स्मोक फ्री एट पब्लिक प्लेसिस' नाम की मुहिम चलाई. जिसमें उन्होंने वहां की स्थानीय संस्थाओं और सरकार को अपने साथ जोड़ा. फतेहगढ़ साहिब को स्मोक फ्री एट पब्लिक प्लेस बनाने के लिए प्रशासन की ओर से नोटिफिकेशन निकाला गया. जिसके बाद प्रोफेसर रविंदर के नेतृत्व में पीजीआई की टीम ने फतेहगढ़ साहिब के प्रशासन से बात की और इस मुहिम को शुरू किया.

एनजीओ की टीमों को ना सिर्फ शहरी इलाके बल्कि ग्रामीण इलाकों में भी भेजा और गांव के लोगों को भी धूम्रपान ना करने को लेकर जागरूक किया. इसके लिए स्कूली बच्चों को साथ लेकर रैलियां निकाली गई. जिसमें लोगों को धूम्रपान से होने वाले नुकसान के बारे में बताया गया और उन्हें धूम्रपान ना करने को लेकर जागरूक किया. स्कूलों में बच्चों को भी लेक्चर के माध्यम से धूम्रपान के खिलाफ जागरूक किया गया. स्कूलों में अलग-अलग प्रतियोगिताएं करवाई गई. हर स्कूल में धूम्रपान निषेध और इससे होने वाले नुकसान के बारे में बोर्ड लगवाए गए, ताकि बच्चे आते जाते उन्हें पढ़ सकें.

सार्वजनिक स्थानों पर पुलिस की सहायता ली गई. संस्थाओं के सदस्य पुलिस के साथ मिलकर सार्वजनिक स्थानों पर देखरेख करते थे कि कोई व्यक्ति धूम्रपान कर रहा हो तो उसे समझाया जा सके. इस तरह कई तरीके अपनाकर फतेहगढ़ साहिब को स्मॉक फ्री एट पब्लिक प्लेसेस बनाया गया. जल्द ही इस मुहिम का असर देखने को मिला. फतेहगढ़ साहिब स्मोक फ्री एट पब्लिक प्लेसिस का पहला शहर बन गया. इसके अलावा उन्होंने कई ऐसे मॉडल्स और तकनीक भी इजाद की. जिससे प्रदूषण से काफी हद तक छुटकारा पाया जा सकता है. सरकार उनकी पिछली मुहिमों की सफलता को देखते हुए उनकी तकनीकों को अपना रही है.

हरियाणा की विश्वसनीय खबरों को पढ़ने के लिए गूगल प्ले स्टोर से डाउनलोड करें Etv Bharat APP

ABOUT THE AUTHOR

...view details