जबलपुर :अंग्रेजों के जमाने में जबलपुर को खासा महत्व दिया जाता था. अंग्रेजों ने जबलपुर को पूरे इलाके की राजधानी बना कर रखा हुआ था. शहर के केंटोनमेंट (Jabalpur Cantonment Area) इलाके को तो अंग्रेजों ने विकसित किया ही था, लेकिन शहर के रहवासी इलाके के बड़ा भूभाग भी अंग्रेजों द्वारा विकसित किया गया था. शहर के कई इलाकों के नाम बदल दिए गए हैं, लेकिन लोग इन्हें सदियों पुराने अंग्रेजों के दिए नाम से ही जानते हैं. आज भी शहर के बड़े हिस्से के चौक चौराहों के नाम सुनकर ऐसा एहसास होता है कि आप किसी इंग्लिश कंट्री के शहर में हैं. शहर के हर नाम के साथ कुछ रोचक इतिहास भी जुड़ा हुआ है. आएये शहर के इन्हीं नामों के इतिहास पर नजर डालते हैं.
लॉर्ड गंज
यह इलाका शहर का सबसे व्यस्त बाजार का इलाका कहलाता है. हालांकि, किसी जमाने में यहां बड़ा मैदान रहा होगा. 1833 के आस-पास भारत के गवर्नर जनरल लॉर्ड विलियम बैंटिक जबलपुर आए थे. उनका तंबू जहां लगाया गया था, उस जगह को बाद में लॉर्ड गंज कहा गया. इस घटना के पौने दो सौ साल के लगभग हो चुके हैं, लेकिन अभी भी इस जगह का नाम लॉर्ड गंज ही है. हालांकि, यहां पर अब अंग्रेजों से जुड़ी कोई भी चीज जिंदा नहीं है, लेकिन नाम आज भी उनका ही है.
नेपियर टॉउन
कुछ ऐसा ही किस्सा नेपियर टाउन के साथ भी जुड़ा हुआ है. मिस्टर नेपियर जबलपुर में कमिश्नर हुआ करते थे. उसी जमाने में एक बड़ी कॉलोनी इस इलाके में बनाई गई थी. इसमें ज्यादातर अंग्रेज अफसर या फिर उनकी फैक्ट्रियों में काम करने वाले कर्मचारी रहा करते थे. यह बहुत व्यवस्थित कॉलोनी थी. आज इस जगह को नेपियर टाउन के नाम से जाना जाता है.
राइट टॉउन
जबलपुर के राजा गोकुलदास की परफेक्ट पॉटरी नाम की एक फैक्ट्री थी. इसमें चीनी मिट्टी के पाइप बनाए जाते थे. इसी फैक्ट्री के मैनेजर एक अंग्रेज अफसर आर्थर राइट हुआ करते थे. उन्होंने नेपियर टॉउन के ठीक बाजू में एक दूसरी कॉलोनी विकसित की थी, जिसे राइट टॉउन का नाम दिया गया. आज भी यह क्षेत्र राइट टॉउन के नाम से ही जाना जाता है.
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