पटना:राष्ट्रीय इंजीनियर दिवस बिहार के लिए इसलिए भी खास हो जाता है, क्योंकि बिहार का मुख्यमंत्री एक इंजीनियर है. बिहार के पटना इंजीनियरिंग कॉलेज से मैकेनिकल इंजीनियर की डिग्री लेने वाले नीतीश कुमारका जन्म 1 मार्च 1951 को नालंदा जिले के कल्याणबीघा में हुआ था. उनके पिता स्वतंत्रता सेनानी और वैद्य थे. हालांकि नीतीश कुमार का बचपन और युवावस्था पटना जिले के बख्तियारपुर में बीता.
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मंजू सिन्हा से 1973 में शादी की: बख्तियारपुर के सरकारी स्कूल से उन्होंने हाई स्कूल तक की पढ़ाई की और ऊंची पढ़ाई के लिए वह पटना पहुंचे. उन्होंने पटना इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन लिया, तभी उनकी शादी मंजू सिन्हा से 22 फरवरी 1973 में हो गई. नीतीश कुमार को राजनीति की लत उनके छात्र जीवन में ही लग गई थी. अक्सर छात्रों का हुजूम बनाना और उसे हुजूम लीड करना, नीतीश कुमार की राजनीति में प्रवेश करने का एक सुगम साधन बन गया.
पत्नी और बेटे के साथ नीतीश कुमार नीतीश कुमार के बेटे को राजनीति में रुचि नहीं: इसी बीच 20 जुलाई 1975 को नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार का जन्म हुआ. निशांत ने भी पिता की तरह बीआईटी मेसरा से इंजीनियरिंग की पढ़ाई की है. हालांकि उनको राजनीति से कोई खास लगाव नहीं है. बहुत कम ही वह किसी राजनीतिक कार्यक्रमों में शामिल होते हैं.
बेटे निशांत के साथ नीतीश कुमार जेपी के आंदोलन से चमके:नीतीश कुमार की राजनीति को पंख उसे समय लगा, जब लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने संपूर्ण क्रांति का बिगुल फूंक दिया. 1974 के इस आंदोलन में नीतीश कुमार ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. उस दौरान नीतीश कुमार के मित्र हुआ करते थे आरजेडी चीफ लालू यादव और बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी सरीखे नेता.
बड़े नेताओं के साथ नीतीश कुमार पहला चुनाव हारा, 1985 में विधायक बने: नीतीश कुमार ने 1977 में पहली बार जनता पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ा था. हालांकि वह चुनाव हार गए थे. 1985 में वह बिहार विधानसभा के सदस्य चुने गए थे. 1987 में नीतीश कुमार युवा लोक दल के अध्यक्ष बने. उसके बाद नीतीश कुमार ने बिहार और देश की राजनीति में पीछे मुड़कर नहीं देखा.
नीतीश कुमार के युवा अवस्था की तस्वीर कई बार केंद्र में मंत्री बने नीतीश कुमार:1989 में नीतीश कुमार लोकसभा का चुनाव लड़े और फिर उसमें जीत हासिल की. उसके अगले साल 1990 में नीतीश कुमार देश के कृषि और सहकारिता मंत्रालय के केंद्रीय राज्यमंत्री बनाए गए. 1996, 1998 और 1999 में लोकसभा के लिए चुने गए. इस दौरान नीतीश कुमार केंद्र में रेल और कृषि मंत्री भी रहे.
2000 में पहली बार बिहार के सीएम बने: नीतीश कुमार के जीवन में वह मोड भी आया, जब उन्होंने अपने हाथ में बिहार की बागडोर संभाली. साल 2000 वह पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री बने लेकिन 7 दिनों में ही उन्हें मुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी. हालांकि बाद में जाकर वह एक बार फिर से 2001 में केंद्र में मंत्री बन गए. 2004 तक केंद्र में रेल मंत्री रहने के बाद 2004 में वह एक बार फिर से लोकसभा के लिए चुने गए.
2005 से नीतीश के हाथ में बिहार की कमान:अगले साल ही 24 नवंबर 2005 को उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री पद के लिए एक बार फिर उन्होंने शपथ ली. तब से लेकर अब तक सात बार नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली है. हालांकि बीच के 9 महीने जीतनराम मांझी के कार्यकाल को हटा दिया जाए तो लगातार वह बिहार के मुख्यमंत्री बनते रहे हैं.