कोलकाता : पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में कोपई नदी (Kopai River) के किनारे खाली पड़ी जमीनों पर भू-माफियाओं और रियट स्टेट दलालों के द्वारा तेजी से अतिक्रमण किया जा रहा है. इसके बाद भी जिला प्रशासन इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है. नदी के किनारे की जमीनों पर धीरे-धीरे भू-माफिया स्थानीय राजनेताओं की कथित मिलीभगत से कब्जा कर रहे हैं.
खंभों के निर्माण के बहाने नदी के किनारों पर कब्जा कर रहे हैं और यह एक नियमित मामला बनता जा रहा है. नदी के किनारे की जमीन रिसॉर्ट और कॉफी हाउस के निर्माण के लिए बेची जा रही है. स्थानीय लोगों का आरोप है कि जिला प्रशासन के एक वर्ग और मंत्रियों सहित सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व के सीधे संरक्षण में ऐसा किया जा रहा है.
शांतिनिकेतन में आने वाले पर्यटकों की संख्या कई गुना बढ़ गई है. जिसके चलते नए रिसॉर्ट, फ्लैट, रेस्तरां और कॉफी हाउस बढ़ गए हैं. बोलपुर-शांति निकेतन में लगभग पिछले दो दशकों से पेड़ों को काटने का काम चल रहा है, लेकिन एक नदी के किनारे की जमीन पर तेजी से अतिक्रमण किया जा रहा है, जो एकदम नया प्रतीत होता है. यह वही नदी है, जिसका रविंद्रनाथ टैगोर के साहित्यिक कार्यों में अविस्मरणीय प्रतिनिधित्व है. बता दें शांतिनिकेतन रविंद्रनाथ टैगोर की जन्मस्थली भी है.
स्थानीय लोगों का दावा है कि चूंकि नदियां, समुद्र, पहाड़ और जंगल राष्ट्रीय संपत्ति हैं, इसलिए उन्हें बेचना गैरकानूनी है. यहां तक कि नदी किनारे बेचना भी अवैध है, लेकिन दुर्भाग्य से कई भू-माफिया कोपई नदी के तट पर तेजी से कब्जा जमा रहे हैं. नदी के किनारे राज्य भूमि एवं भू-राजस्व विभाग के अधिकार क्षेत्र में आते हैं. आए दिन यहां पर नए रिसॉर्ट, रेस्तरां आदि का निर्माण हो रहा है.