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टैगोर ने जिस नदी का किया था बार-बार गुणगान, उस पर भूमाफिया हो गए मेहरबान

पश्चिम बंगाल के बीरभूमि जिले में कोपई नदी के किनारे खाली पड़ी जमीनों पर तेजी से अतिक्रमण हो रहा है. लोगों को आरोप है कि यह अतिक्रमण जिला प्रशासन और तृणमूल नेताओं के मिलीभगत से हो रहा है. स्थानीय लोगों ने इस संबंध में शिकायत भी की. इसके बाद भी प्रशासन की तरफ से कोई कदम अब तक नहीं उठाया गया है.

कोपई नदी
कोपई नदी

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Published : Jun 28, 2021, 10:18 PM IST

कोलकाता : पश्चिम बंगाल के बीरभूम जिले में कोपई नदी (Kopai River) के किनारे खाली पड़ी जमीनों पर भू-माफियाओं और रियट स्टेट दलालों के द्वारा तेजी से अतिक्रमण किया जा रहा है. इसके बाद भी जिला प्रशासन इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है. नदी के किनारे की जमीनों पर धीरे-धीरे भू-माफिया स्थानीय राजनेताओं की कथित मिलीभगत से कब्जा कर रहे हैं.

खंभों के निर्माण के बहाने नदी के किनारों पर कब्जा कर रहे हैं और यह एक नियमित मामला बनता जा रहा है. नदी के किनारे की जमीन रिसॉर्ट और कॉफी हाउस के निर्माण के लिए बेची जा रही है. स्थानीय लोगों का आरोप है कि जिला प्रशासन के एक वर्ग और मंत्रियों सहित सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व के सीधे संरक्षण में ऐसा किया जा रहा है.

शांतिनिकेतन में आने वाले पर्यटकों की संख्या कई गुना बढ़ गई है. जिसके चलते नए रिसॉर्ट, फ्लैट, रेस्तरां और कॉफी हाउस बढ़ गए हैं. बोलपुर-शांति निकेतन में लगभग पिछले दो दशकों से पेड़ों को काटने का काम चल रहा है, लेकिन एक नदी के किनारे की जमीन पर तेजी से अतिक्रमण किया जा रहा है, जो एकदम नया प्रतीत होता है. यह वही नदी है, जिसका रविंद्रनाथ टैगोर के साहित्यिक कार्यों में अविस्मरणीय प्रतिनिधित्व है. बता दें शांतिनिकेतन रविंद्रनाथ टैगोर की जन्मस्थली भी है.

स्थानीय लोगों का दावा है कि चूंकि नदियां, समुद्र, पहाड़ और जंगल राष्ट्रीय संपत्ति हैं, इसलिए उन्हें बेचना गैरकानूनी है. यहां तक ​​कि नदी किनारे बेचना भी अवैध है, लेकिन दुर्भाग्य से कई भू-माफिया कोपई नदी के तट पर तेजी से कब्जा जमा रहे हैं. नदी के किनारे राज्य भूमि एवं भू-राजस्व विभाग के अधिकार क्षेत्र में आते हैं. आए दिन यहां पर नए रिसॉर्ट, रेस्तरां आदि का निर्माण हो रहा है.

इन आरोपों के बावजूद कि यह सत्तारूढ़ दल के स्थानीय नेताओं के संरक्षण के बाद किया गया है, इसके बाद भी जिला प्रशासन इसपर कोई कार्रवाई नहीं कर रहा है. कोपई नदी से सटे कई गांव हैं. ग्रामीण इस नदी का उपयोग मछली पकड़ने या नहाने के लिए करते हैं. स्थानीय लोगों को लगता है यदि यह प्रक्रिया जारी रही तो कोपई नदी धीरे-धीरे अपना आकर्षण और परंपरा खो देगी.

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श्याम बेसरा और सोना मुर्मू जैसे स्थानीय ग्रामीणों ने दावा किया कि रिसॉर्ट और कॉफी हाउस के निर्माण के लिए कोपई नदी से सटी जमीनों का अवैध रूप से बिक्री किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि हमने इसका कई बार विरोध किया है, लेकिन प्रशासन कार्रवाई करने से कतरा रहा था. हम इस नदी का उपयोग विभिन्न उद्देश्यों के लिए करते हैं, लेकिन सब कुछ खराब होता जा रहा है. बाहर के पूंजीपति इन दिनों सब कुछ अपने नियंत्रण में ले रहे हैं.

रुद्रपुर ग्राम पंचायत के उपप्रमुख रोनेंद्रनाथ सरकार ( Ronendranath Sarkar) ने दावा किया कि नदी किनारे बेचना पूरी तरह से अवैध है. हम ऐसा नहीं होने देंगे और जरूरत पड़ने पर कानूनी कदम उठाएंगे.

बोलपुर के अनुमंडल पदाधिकारी मानस हलदर (Manas Halder) ने भी कहा कि नदी किनारे को बेचना अवैध है. उन्होंने कहा कि मैंने बीएलआरओ को जांच करने और इस मामले में विस्तृत रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया है.

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