नई दिल्ली:भारत में कैंसर की घटनाओं के लिए भौगोलिक कारक भी जिम्मेदार है. संसदीय समिति (Parliamentary Committee) ने सरकार को एक विशिष्ट क्षेत्र में कैंसर के कारणों को समझने और निष्कर्ष के साथ आने के लिए क्षेत्र आधारित कैंसर अनुसंधान परियोजनाओं को प्रोत्साहित करने का सुझाव दिया है (cancer research projects).
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण पर राज्यसभा सांसद प्रो. राम गोपाल यादव की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने कहा, 'कैंसर अनुसंधान परियोजनाओं में ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में कैंसर की विभिन्न घटनाओं पर अध्ययन भी शामिल होना चाहिए. इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में कैंसर के मामलों की बढ़ती घटनाओं के लिए महत्वपूर्ण समाधान होना चाहिए.'
यादव ने हाल ही में नई दिल्ली में राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ (Jagdeep Dhankar) को अपनी 139 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी है. पश्चिमी और मध्य भारत में मुंह और जीभ का कैंसर देखा गया है. रिपोर्ट के अनुसार, अहमदाबाद क्षेत्र में पुरुषों में मुंह के कैंसर के ज्यादा मामले हैं, जबकि भोपाल में महिलाओं में जीभ के कैंसर के मामले ज्यादा हैं. महाराष्ट्र में भी ये कैंसर महिला और पुरुषों दोनों में ज्यादा है, जबकि वे विभिन्न भौगोलिक क्षेत्रों में बहुत कम थे. इसी तरह, इन कैंसर के ज्यादा मामले मेघालय में देखे जाते हैं. नासॉफिरिन्जियल कैंसर नागालैंड में थोड़ा अधिक पाया है.
गॉल ब्लैडर (gall bladder) का कैंसर उत्तरी और पूर्वी क्षेत्रों में तेजी से पाया जा रहा है. समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा, 'पहले के रिकॉर्ड ने उच्च जोखिम वाले भौगोलिक बैंड में पित्ताशय के कैंसर की अपेक्षाकृत उच्च आवृत्ति पर हमारा ध्यान आकर्षित किया है, जो पश्चिम में पंजाब से पूर्व में पश्चिम बंगाल और पूर्वोत्तर में फैला हुआ है.' हाल की रिपोर्टों के अनुसार, उत्तरी नदी के मैदानों (दिल्ली) में और ब्रह्मपुत्र (कामरूप-असम) नदी के किनारे वाले इलाकों में पित्ताशय के कैंसर के मामले ज्यादा सामने आए हैं.'
थाइरॉइड का कैंसर :विशेषकर महिलाओं में, थाइरॉइड का कैंसर (cancer of the thyroid) उत्तर-पूर्वी राज्यों में अपेक्षाकृत अधिक होता है. तुलनात्मक रूप से, थायरॉइड के कैंसर की ज्यादा घटनाएं देश के दक्षिण-पश्चिमी तटीय सिरे से दर्ज की गई हैं, जैसा कि तिरुवनंतपुरम और कोल्लम जिलों के आंकड़ों से स्पष्ट है.