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चार खनिज ब्लॉक से बिहार की अर्थव्यवस्था पकड़ेगी रफ्तार, खुलेंगे रोजगार के द्वार

बिहार में क्रोमियम (Chromium), पोटाश (Potash), फायर क्ले (Fire Clay) और माइका (Mica) मिला है. जिसके बाद से इस बात की उम्मीद जगी है कि अब बिहार में भी उद्योग-धंधे लगेंगे, जिससे रोजगार सृजन होगा. अगर ऐसा होता है तो पलायन (Migration) पर भी काफी हद तक रोक लग सकती है.

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Published : Oct 20, 2021, 1:17 AM IST

चार खनिज ब्लॉक
चार खनिज ब्लॉक

पटना: उद्योग की कमी (Lack of Industry) और रोजगार की किल्लत (Lack of Employment) से जूझ रहे बिहार में आने वाले दिनों में रोजगार की बाढ़ (Employment Opportunities in Bihar) आ सकती है. खनन एवं भूतत्व मंत्री जनक राम (Mines and Geology Minister Janak Ram) ने बताया कि माइनिंग (Mining) के क्षेत्र में बहुत जल्द क्रांति आने वाला है, जिसके बाद बेरोजगारों को रोजगार के लिए दूसरे राज्यों में नहीं जाना पड़ेगा.

दरअसल, बिहार में खनन के क्षेत्र में बड़ी संभावना दिख रही है. ईटीवी भारत से बातचीत के दौरान विभागीय मंत्री जनक राम ने बताया कि भारत सरकार के मंत्री प्रह्लाद जोशी ने पिछले दिनों देश के सभी खान एवं भूतत्व मंत्रियों की बैठक बुलाई थी. जहां बिहार के चार ब्लॉक की चर्चा की गई.

ईटीवी भारत की रिपोर्ट.

मंत्री ने बताया कि औरंगाबाद और गया की धरती से क्रोमियम (Chromium) मिला है. रोहतास की धरती पर 3 ब्लॉक में पोटाश (Potash) मिला है. भागलपुर के कहलगांव में फायर क्ले (Fire Clay) मिला है, जबकि भागलपुर में कोयला भी मिला है. वहीं, नवादा के रजौली में अभ्रक यानी माइका (Mica) मिला है.

जनक राम ने कहा कि उद्योग स्थापित करने और रोजगार को बढ़ावा देने के लिए ये चार ब्लॉक काफी मददगार साबित हो सकते हैं. इन सभी जगह जूलोजिकल सर्वे ऑफ इण्डिया (Zoological Survey of India) की दो टीमें जांच कर रही है. माइका के क्षेत्र में भी टेंडर के लिए हमने हाथ आगे बढ़ाया है. बाकी बचे क्रोमियम निकेल और पोटाश (Chromium Nickel and Potash) के लिए इसी साल के अंत तक पूरी प्रक्रिया कर ली जाएगी और उसकी खुदाई प्रारंभ की जाएगी.

ईटीवी भारत GFX

मंत्री ने कहा कि जैसे ही सर्वे का काम पूरा हो जाएगा और यह पता चल जाएगा कि कहां पर कितनी मात्रा में माइंस है. उसके बाद टेंडर प्रक्रिया की जाएगी. इससे न केवल भारत के आर्थिक क्षेत्र में क्रांति आएगी, बल्कि बिहार के बेरोजगारों को रोजगार भी मिलेगा. जब बेरोजगारों को रोजगार मिलेगा तो जाहिर तौर पर पलायन (Migration) पर भी रोक लगेगी.

तो क्या वास्तव में बिहार के हाथ रोजगार देने का कोई खजाना हाथ लग गया है, जिससे बेरोजगारी खत्म हो जाएगी और पलायन भी थम जाएगा? इस बारे में आर्थिक मामलों के जानकार डॉ. संजय कुमार कहते हैं कि साल 2000 में जब बिहार से झारखंड अलग हुआ था, तब जितना भी खनिज संपदा था वह झारखंड के हिस्से में चला गया. उन्होंने कहा कि जहां खनिज संपदा होगी, वहीं पर उद्योग-धंधे लगेंगे. अब जब लंबे अंतराल के बाद बिहार की धरती पर मिनरल मिला है, तो ऐसे में उम्मीद जगी है कि हमारे यहां भी इंडस्ट्रीज आएगी.

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डॉ. संजय कुमार कहते हैं कि बिहार जो सदियों से पलायन का दंश झेल रहा है, अगर उद्योग लगेंगे और रोजगार सृजन होगा तो निश्चित तौर पर युवाओं को प्रदेश के अंदर ही काम मिल जाएगा. वे कहते हैं कि पंजाब में अगर खेतों में हरियाली है तो बिहार के मेहनतकश मजदूरों की बदौलत है. गुजरात की अगर चिमनियां धुंआ उगल रही हैं तो बिहार के ही मेहनतकश मजदूरों की बदौलत हो पा रहा है. ऐसे में बिहार में खनिज संपदा मिली है तो स्वभाविक है कि बिहार के लोगों को रोजगार मिलेगा. बाहर की बड़ी-बड़ी कंपनियां यहां आएंगी, इससे सरकारी खजाना भी भरेगा. बिहार आर्थिक रूप से मजबूत होगा.

हालांकि वह यह भी कहते हैं कि अबतक हम लोग कहते रहे हैं कि बिहार में एग्रो वेस्ट इंडस्ट्री की संभावना है, लेकिन जब बिहार में माइका मिनरल पोटाश मिलने लगा है. उस मिनरल्स को निकाला जाएगा और उस पर बेस्ड इंडस्ट्रीज पॉलिसी बनती है तो बिहार में रोजगार ही नहीं बल्कि बेहतर बिहार की संभावना है. बिहार के लोगों को भटकना नहीं पड़ेगा और यहां के नौजवानों के लिए भी एक नई उम्मीद की किरण जगेगी.

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