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आपातकाल इतिहास का वह कालखंड, जिसे कभी भुलाया नहीं जा सकता: प्रधानमंत्री मोदी

आपातकाल की 48वीं बरसी के चलते पूरे देश की राजनीति में हलचल मचा दी है. साल 1975 में लगाई गई इमरजेंसी की बरसी को भारतीय जनता पार्टी इतिहास के काले दिवस के तौर पर प्रचारित कर रही है और कांग्रेस पार्टी पर तीखा हमला बोल रही है.

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Published : Jun 25, 2023, 7:24 PM IST

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आपातकाल पर बीजेपी के नेताओं की टिप्पणी

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी के नेताओं ने 1975 के आपातकाल की बरसी पर रविवार को कांग्रेस पर निशाना साधा, जो नरेंद्र मोदी नीत सरकार पर देश में असहमति को दबाने, लोकतंत्र का गला घोंटने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर अंकुश लगाने का आरोप लगा रही है. गौरतलब है कि 25 जून 1975 को देश में आपातकाल लगाने की घोषणा की गई थी और उस समय इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं.

आपातकाल के दौरान लोगों के मौलिक अधिकारों को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया और प्रेस पर प्रतिबंध लगा दिया गया. 21 महीने बाद आपातकाल को हटाया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक ट्वीट में कहा कि मैं उन सभी साहसी लोगों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं, जिन्होंने आपातकाल का विरोध किया और हमारी लोकतांत्रिक भावना को मजबूत करने के लिए काम किया. आपातकाल के काले दिन हमारे इतिहास का वह कालखंड हैं, जिसे भुलाया नहीं जा सकता है. यह हमारे संवैधानिक मूल्यों के बिल्कुल विपरीत था.

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि अपने सत्ता-स्वार्थ के लिए लगाया गया आपातकाल, कांग्रेस की तानाशाही मानसिकता का प्रतीक और कभी न मिटने वाला कलंक है. उन्होंने ट्वीट किया कि आज ही के दिन 1975 में एक परिवार ने अपने हाथ से सत्ता निकलने के डर से जनता के अधिकारों को छीन कर व लोकतंत्र की हत्या कर देश पर आपातकाल थोपा था. उस कठिन समय में अनेक यातनाएं सहकर लोकतंत्र को पुनर्जीवित करने के लिए लाखों लोगों ने संघर्ष किया. मैं उन सभी देशभक्तों को दिल से नमन करता हूं.

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि आपातकाल के दिन उनकी पीढ़ी के लिए निर्णायक राजनीतिक अनुभव और जीवन भर का सबक थे. जयशंकर ने ट्वीट किया कि आपातकाल की घोषणा की बरसी पर, उन काले दिनों को याद करें और कैसे देश ने इस चुनौती पर काबू पाया। यह मेरी पीढ़ी का निर्णायक राजनीतिक अनुभव और हमारे लोकतांत्रिक ताने-बाने को मजबूत करने के लिए एक आजीवन सबक था.

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आपातकाल के दौरान प्रेस और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रतिबंध के खिलाफ संघर्ष के बारे में याद दिलाने के लिए अखबार की कतरनों के साथ ट्वीट किया. उन्होंने ट्वीट में कहा कि मीडिया ने आपातकाल के तहत अभिव्यक्ति की आजादी और प्रेस की आजादी पर रोक लगाने का विरोध किया. सत्ता की भूखी कांग्रेस ने मीडिया का मुंह बंद कर दिया, पूरे विपक्ष को जेल में डाल दिया और संविधान में एकतरफा संशोधन किया.

सीतारमण ने कहा, कांग्रेस वंशवाद की सेवा करती है, भारत के लोगों की नहीं. भाजपा प्रमुख जेपी नड्डा ने कहा कि कांग्रेस की निर्दयता ने सैकड़ों वर्षों के विदेशी शासन के अत्याचार को भी पीछे छोड़ दिया था. उन्होंने ट्वीट किया कि 25 जून 1975 को एक परिवार ने अपनी तानाशाही प्रवृत्ति के कारण देश के महान लोकतंत्र की हत्या कर आपातकाल जैसा कलंक थोपा था. ऐसे कठिन समय में असीम यातनाएं सहकर लोकतंत्र की स्थापना के लिए संघर्ष करने वाले सभी राष्ट्र भक्तों को नमन करता हूं.

(पीटीआई-भाषा)

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