मुंबई : बंबई उच्च न्यायालय ने एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में गिरफ्तार कार्यकर्ता गौतम नवलखा को मंगलवार को जमानत दे दी. न्यायमूर्ति ए एस गडकरी के नेतृत्व वाली खंडपीठ ने कहा कि जमानत का आग्रह करने वाली नवलखा की याचिका को स्वीकार किया जाता है. राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) ने अदालत से छह सप्ताह की अवधि के लिए आदेश के कार्यान्वयन पर रोक लगाने का आग्रह किया, ताकि वह उच्चतम न्यायालय में अपील दायर कर सके. इस पर पीठ ने आदेश पर तीन सप्ताह के लिए रोक लगा दी. अगस्त 2018 में गिरफ्तार किए गए नवलखा को पिछले साल नवंबर में उच्चतम न्यायालय ने घर में नजरबंद करने की अनुमति दी थी. वह फिलहाल नवी मुंबई में हैं.
उच्च न्यायालय ने नवलखा को एक लाख रुपये के मुचलके पर जमानत दे दी. वह इस मामले में जमानत पाने वाला सातवें आरोपी हैं. इस साल अप्रैल में, एक विशेष अदालत ने नवलखा को जमानत देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि प्रथम दृष्टया ऐसे सबूत हैं कि कार्यकर्ता प्रतिबंधित संगठन भाकपा (माओवादी) के सक्रिय सदस्य थे. उच्च न्यायालय में दायर अपनी अपील में नवलखा ने कहा कि विशेष अदालत ने उन्हें जमानत देने से इनकार करके गलती की है. नियमित जमानत के लिए उच्च न्यायालय में नवलखा की यह दूसरे दौर की अपील है.
पिछले साल सितंबर में विशेष एनआईए अदालत द्वारा नियमित जमानत याचिका खारिज किए जाने के बाद नवलखा ने पूर्व में उच्च न्यायालय का रुख किया था. एनआईए ने तब नवलखा की जमानत याचिका का विरोध करते हुए दावा किया था कि उनकी भर्ती के लिए उन्हें पाकिस्तान इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) के जनरल से मिलवाया गया था, जो संगठन के साथ उनकी सांठगांठ को दर्शाता है. उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया था कि जमानत आवेदन पर विशेष अदालत द्वारा नए सिरे से सुनवाई की आवश्यकता है, और मामले को वापस संबंधित अदालत में भेज दिया था.