Elephant Terror In Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में हाथियों का आतंक, तीन दिन के अंदर एलिफेंट अटैक में तीन की मौत - हाथी मानव संघर्ष
Elephant Terror In Chhattisgarh छत्तीसगढ़ में हाथियों की दहशत कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. हाथी मानव संघर्ष बढ़ता ही जा रहा है. बीते तीन दिनों में प्रदेश के अलग अलग जिलों में तीन युवकों ने हाथी के हमले से अपनी जान गंवा दी. Elephant News Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में हाथियों की दहशत
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Published : Jun 23, 2023, 3:10 PM IST
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Updated : Jun 23, 2023, 9:09 PM IST
रायपुर:छत्तीसगढ़ में एक तरफ सरकार हाथियों के रहवास और सुरक्षा के लिए योजनाएं बना रही है तो दूसरी तरफ प्रदेश में ना तो हाथी सुरक्षित हो रहे हैं ना ही वनांचल क्षेत्रों में रहने वाले ग्रामीण इन हाथियों से अपनी सुरक्षा कर पा रहे हैं. प्रदेश में हाथियों के आतंक के कारण पिछले तीन दिनों में अलग अलग जिलों में तीन लोगों की मौत हो गई. ग्रामीणों का कहना है कि वनांचल क्षेत्र में रहने के कारण बिना जंगल गए उनका गुजर बसर नहीं हो सकता है और इसी दौरान वे हाथियों की चपेट में आ जाते हैं.
हाथियों की दहशत:बीते तीन दिनों में हाथियों ने बलरामपुर, मरवाही और सरगुजा में तीनों युवकों को कुचल दिया. बलरामपुर के रामानुजगंज फोरेस्ट रेंज के ग्राम कनकपुर के जंगल में गुरुवार को हाथियों के दल ने एक चरवाहे को बेरहमी से कुचल दिया. चरवाही बकरी चराने जंगल की तरफ गया था. इसी दौरान हाथियों के दल ने उसे घेर लिया और कुचल कर उसकी जान ले ली.
अंबिकापुर के परसा गांव में बुधवार को तीन हाथियों के दल ने एक युवक को पटक पटककर मार डाला. युवक भिंडी तोड़ने अपने खेत जा रहा था, इसी दौरान तीन हाथियों ने उसे घेर लिया और पटक पटकर उसकी जान ले ली. बुधवार को ही मरवाही में भी 5 हाथियों का दल गांव पहुंच गया. हाथियों ने गांव में कई घरों में तोड़फोड़ की. खेतों को नुकसान पहुंचाया और गांव में उत्पात मचाने के बाद एक ग्रामीण को कुचल दिया.
छत्तीसगढ़ के हाथी प्रभावित जिले: पहले जान लेते हैं छत्तीसगढ़ में हाथी प्रभावित कौन कौन से जिले हैं. छत्तीसगढ़ में लगभग 60 हजार किलोमीटर वन क्षेत्र है. यानी प्रदेश में 44.21 प्रतिशत क्षेत्र वनों से घिरे हैं. ये क्षेत्र अंबिकापुर, कोरबा, जशपुर, कोरिया, रायगढ़, महासमुंद, गरियाबंद, धमतरी, बलरामपुर, सूरजपुर जिले में आता है. यहीं क्षेत्र हाथियों का भी प्रमुख ठिकाना है. यहां हाथी जंगलों में विचरण करते हुए खाना पानी की तलाश में वनों से लगे गांवों में पहुंच जाते हैं. यहां हाथी उत्पात मचाते हुए ग्रामीणों को घरों को तोड़ना, उनकी फसल को उजाड़ना के साथ ही उन्हें कई तरीके से नुकसान पहुंचाते हैं.