नई दिल्ली : सेना ने जम्मू-कश्मीर में बिजली आपूर्ति की सुविधा बहाल करने के लिए कमान संभाल ली है. सरकार के निजीकरण के फैसले के खिलाफ बिजली विभाग के 20 हजार कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए हैं. हड़ताल के दूसरे दिन रविवार को कई इलाकों में पूर्ण ब्लैकआउट की स्थिति उत्पन्न हो गई थी. इसके बाद जम्मू संभागीय कमिश्नर राघव लंगर ने पत्र लिखकर बिजली आपूर्ति बहाल करने के लिए भारतीय सेना से मदद मांगी थी. हालात को देखते हुए सेना को बिजली आपूर्ति बहाल करने के लिए बुलाया गया है.
प्राप्त जानकारी के अनुसार, राजौरी के थुडी सब स्टेशन पर सेना और एमईएस के कर्मचारियो की टीम ने जिम्मेदारी संभाल ली है. पावरग्रिड की टीम को सांबा जिले में भी बिजली आपूर्ति बहाल करने में कामयाबी मिल गई है. हड़ताल के मद्देनजर सभी पावर स्टेशनों और वॉटर सप्लाई स्रोतों पर सेना को तैनात किया है.
बता दें कि जम्मू-कश्मीर पावर डवलपमेंट डिपार्टमेंट का पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया में विलय और निजी कंपनियों को संपत्ति सौंपने के सरकार के कदम का बीस हजार कर्मचारी विरोध कर रहे हैं. कर्मचारी शुक्रवार आधी रात से हड़ताल पर हैं. कड़ाके के ठंड के बीच बिजली विभाग के कर्मचारियों की अनिश्चितकालीन हड़ताल से सामान्य जनजीवन बुरी तरह प्रभावित है.
सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि जम्मू-कश्मीर की सरकार कर्मचारियों के मुद्दों पर सहानुभूतिपूर्वक विचार कर रही है. बिजली कर्मचारियों की समन्वय समिति के साथ बातचीत कर रही है. पूरे घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने उम्मीद जताई कि पूरे मामले का यथाशीघ्र शांतिपूर्ण समाधान निकल आएगा. इस बीच, नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने सरकार से कहा कि वह निजीकरण के फैसले को निर्वाचित सरकार पर छोड़ दे.
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