हैदराबाद :पंजाब इन दिनों बिजली संकट का सामना कर रहा है. यह संकट कितना गहरा है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पंजाब स्टेट पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड ने औद्योगिक क्षेत्र के लिए हफ्ते में दो दिन की साप्ताहिक छुट्टी की अपील की है.
आलम यह है कि राज्य के कई जिलों में 10-15 घंटो तक बिजली गुल रहती है, जिससे न केवल लोग परेशान हैं, बल्कि किसानों को भी खेतीबाड़ी करने के लिए दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, वह धान की रोपाई को लेकर चिंतित है. बिजली संकट को लेकर आज अकाली दल ने मानसा, मोगा, मोहाली, रोपड़ में सड़कों पर पंखा लेकर विरोध प्रदर्शन किया.
बिजली संकट को देखते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सरकारी दफ्तरों में काम-काज का समय कम कर दिया है. यहां केवल सुबह आठ बजे से दोपहर दो बजे तक ही सरकारी कार्य किए जाएंगे. इतना ही नहीं सरकारी दफ्तरों में एसी भी नहीं चलेंगे.
अन्य राज्यों से बिजली खरीद रहा है पंजाब
बिजली की कमी से जूझ रहा पंजाब, अन्य राज्यों से बिजली खरीद ने को मजबूर है, वो भी महंगे दामों पर. जहां बिजली की राष्ट्रीय औसत कीमत रु. 3.85 प्रति यूनिट है, तो वहीं राज्य 4.54 प्रति यूनिट की दर से भुगतान कर रहा है. इसके अलावा पंजाब की प्रति यूनिट खपत का राजस्व भारत में सबसे कम है.
9000 हजार करोड़ ₹ की सब्सिडी
पंजाब पहले ही 9000 हजार करोड़ ₹ की बिजली सब्सिडी देता है, जबकि दिल्ली बिजली सब्सिडी के रूप में केवल 1699 ₹ देती है.
पंजाब में कितनी बिजली पैदा होती है
ऑल इंडिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के प्रवक्ता वीके गुप्ता के मुताबिक पंजाब सौर ऊर्जा सहित विभिन्न स्रोतों से लगभग 5,500 मेगावाट का अपना उत्पादन है, यह उत्तरी ग्रिड से अधिकतम 7,300 मेगावाट का आयात कर सकता है. मौजूदा हालात में पंजाब करीब 12,800 मेगावाट बिजली की आपूर्ति कर सकता है.