हैदराबाद : पश्चिम बंगाल (West Bengal Election 2021) की 294 विधानसभा सीट के लिए 27 मार्च से मतदान शुरू होने वाला था. 10 मार्च 2021, चुनाव प्रचार के दौरान पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के पैर चोट आई. इससे पहले पश्चिम बंगाल में एक स्लोगन फेमस हो गया था- खेला होबे यानी खेल होगा. 2 मई को चुनाव के नतीजे आ गए और खेला हो चुका था. तृणमूल कांग्रेस 213 सीटों पर जीत दर्ज कर चुकी थी और ममता बनर्जी तीसरी बार सीएम बनना तय हो गया था.
इस जीत के साथ एक बार फिर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर और उनकी आई-पैक (I-PAC) की टीम सफलता का स्वाद चख चुकी थी. इसके साथ तमिलनाडु में भी प्रशांत किशोर की रणनीति कामयाब रही और डीएमके सत्ता में लौटी.
पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु में राजनीतिक हालात अलग थे. ममता बनर्जी के सामने एंटी इनकंबेंसी से लड़ने की चुनौती थी तो स्टालिन को एंटी इनकंबेसी को अपने पक्ष में करना था. प्रशांत किशोर एक साथ दोनों तरीकों से चुनावी रणनीति बना रहे थे. प्रशांत किशोर की खासियत थी उन्होंने एक साथ कई चुनावी रणनीति पर काम करते हैं. वह अपने विरोधियों पर इस तरह का दबाव बनाते हैं, जिससे उनके क्लाइंट सेंटर स्टेज में आ जाते हैं. इसके बाद वह वोटर तक अपनी रणनीति के मुताबिक, वह सारे संदेश आसानी से पहुंचा देते हैं, जो विरोधियों को चित्त कर देती है.
एक्सपर्ट मानते हैं कि प्रशांत किशोर विपक्ष को कोसने के बजाय अपनी पॉजिटिविटी पर फोकस करते हैं. उनके एक्शन प्लान में पब्लिक कनेक्ट शामिल है.
- बंगाल में उनकी टीम ने दीदीर के बोलो ( दीदी को बोलो), बांग्लार गोर्वो ममता ( बंगाल की गौरव ममता), दीदी 10 अंगीकार, द्वारे सरकार, बंगध्वनि यात्रा के जरिये लोगों के बीच गए.
- 2020 के दिल्ली चुनाव में लगे रहो केजरीवाल, आप का रिपोर्ट कार्ड, टाउन हॉल, केजरीवाल की 10 गारंटी, मुहल्ला सभा प्रशांत और उनकी टीम का आइडिया था.
- 2019 में आंध्र में जब जगन मोहन रेड्डी के लिए कमान संभाली तब नवरत्न सभालु, वाईएसआर कुटुम्बकम, प्रजा संकल्प यात्रा, वॉक विद जगन ( walk with Jagan) जैसे कार्यक्रम किए.
- 2017 के पंजाब विधानसभा चुनाव में पंजाब दा कैप्टन, कॉफी विद कैप्टन, कैप्टन किसान यात्रा, हर घर तो एक कैप्टन जैसे कैंपेन ने भी धमाल मचाया था.
- 2015 के बिहार चुनाव में भी हर घर दस्तक, नीतीश के 7 निश्चय, स्वाभिमान रथ काफी हिट रहा.
- 2014 के लोकसभा चुनाव में चाय पर चर्चा, नरेंद्र मोदी की 3डी रैली, मंथन जैसे आइडियाज पर पीके ने काम किया. चुनावी रणनीतिकार के तौर पर पीके ने 2011 में गुजरात से अपना सफर शुरू किया. तब वह बीजेपी के लिए काम करते थे
प्रशांत किशोर की स्ट्रैटजी और आई पैक ( I-PAC) :गुजरात विधानसभा में बीजेपी की जीत के बाद 2013 में प्रशांत किशोर ने कैग ( citizen for accountable governance) नाम की संस्था बनाई. 2014 में लोकसभा चुनाव के बाद पीके को लोग जानने लगे. 2015 में बिहार विधानसभा चुनाव से पहले कैग के साथियों के साथ आई पैक ( I-PAC) की नींव रखी. इसके बाद से उन्होंने इस टीम के साथ 8 राज्यों में अलग-अलग दलों के लिए इलेक्शन स्ट्रैटजी बनाई. प्रशांत सभी विचारधारा की पार्टियों के साथ काम कर चुके हैं.