न्यूज डेस्क : सत्तारूढ़ भाजपा स्पष्ट रूप से मणिपुर में लगातार दूसरी सरकार बनाने को तैयार है. भाजपा ने अपने दम पर 32 सीटें जीती हैं. कांग्रेस की इन चुनावों में करारी हार हुई है. 60 में महज पांच सीटों पर कांग्रेस विधायक चुने गए. वहीं जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू), नेशनल पीपुल्स पार्टी (एनपीपी) और नगा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) जैसी पार्टियों ने इस साल मणिपुर चुनाव में अपने प्रदर्शन से चौंकाया है. मणिपुर में जनता दल यूनाइटेड ने छह सीटें जीती हैं. वहीं मेघालय की सत्तारूढ़ पार्टी एनपीपी ने सात सीटों पर जीत हासिल की है. इसी तरह, एनपीएफ ने पांच सीटें हासिल की हैं और एक पर आगे चल रही है. कुकी पीपुल्स एलायंस (केपीए) ने दो सीटें जीती थीं और दो उम्मीदवार इस बार भी चुनाव जीते हैं. तीन विधायक निर्दलीय चुने गए हैं.
अपने दम पर बना रहे हैं सरकार - मुख्यमंत्री
मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने कहा कि बीजेपी इस बार अपने दम पर राज्य में अगली सरकार बनाने जा रही है. हालांकि सिंह अगली सरकार में एनपीएफ को समायोजित करने के लिए तैयार हैं, हालांकि, वे अगली सरकार में एनपीपी को भागीदार के रूप में शामिल करने से कतराते हैं. एनपीएफ और एनपीपी दोनों ही मणिपुर में भाजपा के नेतृत्व वाली मौजूदा सरकार के सहयोगी हैं. मुख्यमंत्री ने गुरुवार को अपना विजयी प्रमाण पत्र प्राप्त करने के बाद कहा, 'हम इस बार अपने दम पर सरकार बनाने जा रहे हैं.'
इस बार मणिपुर चुनाव में भाजपा के दिग्गज नेता और प्रदेश के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह (हिंगांग निर्वाचन क्षेत्र), विधानसभा अध्यक्ष वाई खेमचंद सिंह (सिंगजामेई निर्वाचन क्षेत्र से), थोंगजू निर्वाचन क्षेत्र से थोंगम बिस्वजीत सिंह और थानलॉन से मंत्री वुंगजागिन वाल्टे शामिल हैं. चुनाव क्षेत्र. लामसांग निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा उम्मीदवार एस राजेन सिंह और वांगोई निर्वाचन क्षेत्र से तीन बार के विधायक ओइनम लुखोई सिंह, हालांकि उच्च वोल्टेज अभियानों के बावजूद चुनाव हार गए.