नई दिल्ली : चुनाव आयोग ने राज्य विधानसभा चुनावों में धनबल के इस्तेमाल को रोकने के लिए एक बहुस्तरीय निगरानी तंत्र स्थापित किया गया है. अधिकारियों ने बताया कि इसके लिए फ्लाइंग स्क्वॉड (एफएस), स्टेटिक सर्विलांस टीम (एसएसटी), वीडियो सर्विलांस टीम (वीएसटी) को गठन किया गया है. इसके अलावा राज्य पुलिस, आयकर विभाग के जांच निदेशालय, सीबीआईसी, निदेशालय, वित्तीय खुफिया इकाई (एफआईयू-आईएनडी), डीआरआई, आरपीएफ, सीआईएसएफ, बीएसएफ, आईटीबीपी, आईसीजी, वाणिज्यिक कर विभाग, नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो और डाक विभाग को निर्देश जारी किया गया है.
चुनाव आयोग ने चुनावी तैयारियों की समीक्षा के लिए सितंबर में गुजरात और हिमाचल प्रदेश का दौरा किया. आयोग ने दोनों राज्यों के अपने दौरे के दौरान मतदाताओं को प्रभावित करने के मामले में निगरानी के लिए प्रवर्तन एजेंसियों, जिला अधिकारियों और पुलिस नोडल अधिकारियों के साथ व्यापक समीक्षा की. आयोग ने गुजरात में 69 व्यय पर्यवेक्षकों और हिमाचल प्रदेश में 23 व्यय पर्यवेक्षकों को तैनात किया.
इसके अलावा राज्य के आबकारी विभागों को चुनाव प्रक्रिया के दौरान शराब के उत्पादन, वितरण, बिक्री और भंडारण की निगरानी करने को कहा गया. फ्लाइंग स्क्वॉड/मोबाइल टीमों के कामकाज और संचालन पर भी जीपीएस ट्रैकिंग और सी-विजिल ऐप के जरिए निगरानी की जाएगी. उम्मीदवारों को एक अलग बैंक खाता खोलने के लिए कहा गया. उसी खाते से अपने चुनावी खर्च को पूरा डिटेल भी भरना है.
इसके अलावा आयकर विभाग की जांच शाखा को राज्यों के हवाई अड्डों पर एयर इंटेलिजेंस इकाइयों को सक्रिय करने और खुफिया जानकारी इकट्ठा करने और बड़ी मात्रा में धन की आवाजाही को रोकने के लिए आवश्यक कार्रवाई करने के लिए कहा गया. अधिकारियों ने बताया कि हिमाचल प्रदेश के दौरे के दौरान मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार और चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पांडे ने जिलों और प्रवर्तन एजेंसियों की तैयारियों की समीक्षा करते हुए अवैध खनन और शराब, संदिग्ध नकदी आदि पर कड़ी निगरानी रखने पर जोर दिया.