नई दिल्ली : गुजरात विधानसभा चुनाव 2022 (gujarat assembly election 2022) के लिए आज चुनाव आयोग ने तारीखों की घोषणा कर दी है. इस मौके पर आयोजित पत्रकार सम्मेलन में मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने कुमार ने गुजरात चुनाव की घोषणा में देरी करने में पक्षपात की विपक्ष की आलोचना को भी दरकिनार करते हुए दलील दी. उन्होंने कहा कि आयोग को मौसम, विधानसभा के कार्यकाल की अंतिम तिथि और आदर्श आचार संहिता लागू होने के दिन सहित कई चीजों में संतुलन बिठाना होता है.
उन्होंने कहा कि गुजरात विधानसभा का कार्यकाल 18 फरवरी 2023 को समाप्त हो रहा है और चुनावों की घोषणा 110 दिन पहले की गई है. यह कई कारकों का संयोजन है और इन्हीं सब को ध्यान में रखते हुए यह फैसला किया है. इन कारकों में आस-पास के राज्यों के चुनाव भी शामिल हैं. कुमार ने संकेत दिया कि चुनावों की घोषणा कुछ दिन पहले की जा सकती थी, लेकिन मोरबी में हुए हादसे को ध्यान में रखते हुए नहीं की जा सकी.
उन्होंने कहा, "हमें राज्य में हुए हादसे को भी ध्यान में रखना पड़ा. देरी में वह भी एक कारक रहा. बुधवार को तो गुजरात में राजकीय शोक था. इसलिए इसमें बहुत सारे कारक हैं." चुनाव आयोग की निष्पक्षता से जुड़े एक सवाल पर कुमार ने कहा कि बड़ी संख्या में विधानसभा चुनावों ने चौंकाने वाले नतीजे दिए हैं. उन्होंने कहा, "वास्तव में, काम और परिणाम शब्दों से होते हैं. बड़ी संख्या में विधानसभा चुनावों के नतीजों से पता चला है, कई बार आयोग की आलोचना करने वालों को चौंकाने वाले नतीजे मिले हैं. मैं विस्तार में नहीं जाना चाहता."
गुजरात-हिमाचल में चुनाव की घोषणा अलग-अलग दिन क्यों? जवाब दें आयोग : कांग्रेस
कांग्रेस ने गुजरात विधानसभा चुनाव के कार्यक्रम की घोषणा के बाद कहा कि निर्वाचन आयोग को इसका जवाब देना चाहिए कि उसने हिमाचल प्रदेश और गुजरात विधानसभाओं के लिए अलग-अलग तिथियों पर चुनाव की घोषणा क्यों की, जबकि दोनों ही राज्यों में मतगणना एक ही दिन होनी है. कांग्रेस के गुजरात प्रभारी रघु शर्मा ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी को आधिकारिक खर्च पर कई रैलियां करने का समय मिला और गुजरात में सरकारी संसाधनों का दुरुपयोग किया गया.
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, "मैं निर्वाचन आयोग का आभार जताता हूं कि उसने भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार के दबाव के बावजूद गुजरात चुनावों की घोषणा की है." शर्मा ने कहा, "लेकिन जब गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनाव परिणामों की घोषणा एक ही दिन होनी है तो तारीखों का ऐलान अलग अलग क्यों किया गया? चुनाव आयोग को इस बारे में स्पष्टीकरण या जवाब देना चाहिए. चुनाव आयोग संवैधानिक संस्था है. इसलिए देश उससे जवाब चाहता है."
कांग्रेस के मीडिया एवं प्रचार प्रमुख पवन खेड़ा ने आरोप लगाते हुए कहा, "गुजरात चुनाव की घोषणा कर दी गई है. इसके विलंब का कारण यही है कि प्रधानमंत्री को सरकारी खर्च पर अपने राजनीतिक कार्यक्रम करने थे. यहां तक कि मोरबी घटना का राजकीय शोक भी तीसरे दिन हुआ ताकि पीएम मोदी गुजरात में सारे 'रिबन' काट सकें." शर्मा ने मोरबी पुल हादसे को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि जब यह त्रासदी हुई थी तो कांग्रेस ने सभी राजनीतिक कार्यक्रम रद्द कर दिए थे, लेकिन प्रधानमंत्री ने आधिकारिक कार्यक्रम जारी रखा.
शर्मा ने कहा कि कांग्रेस गुजरात में कड़ी मेहनत कर रही है और राज्य में चुनाव के नतीजे चौंकाने वाले होंगे. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि आम आदमी पार्टी और ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन भाजपा की बी-टीम हैं और उनका मकसद केवल वोट काटना है. शर्मा ने कहा कि गुजरात में मुकाबला भाजपा और कांग्रेस के बीच होगा. उनका कहना था कि गुजरात की जनता आज एक ज्वलंत समस्या से जूझ रही है कि गुजरात ड्रग तस्करी का अड्डा कैसे बना? पिछले 6-8 महीने से गुजरात में हज़ारों करोड़ रू की ड्रग्स क्यों पकड़ी जा रही है?" उन्होंने यह सवाल भी किया कि गुजरात में पांच लाख स्वीकृत पद आज तक खाली क्यों पड़े हैं? यहां लगातार 22 पेपर लीक हो गए हैं लेकिन किसी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई.
बता दें कि गुजरात में विधानसभा चुनाव के लिए दो चरणों में, एक और पांच दिसंबर को मतदान होगा और मतों की गिनती हिमाचल प्रदेश के साथ ही आठ दिसंबर को होगी. मुख्य निर्वाचन आयुक्त राजीव कुमार ने यहां आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में आज यह घोषणा की. गुजरात में चुनाव की घोषणा जहां बृहस्पतिवार को की गई वहीं हिमाचल प्रदेश के लिये चुनावों की घोषणा 14 अक्टूबर को की गई थी. गुजरात की कुल 182 विधानसभा सीटों में से पहले चरण में 89 सीटों पर एक दिसंबर को चुनाव होगा तथा शेष 93 सीटों पर पांच दिसंबर को वोट डाले जाएंगे.
(पीटीआई-भाषा)